क्रिकेट की पीच से निकल कर सियासत में आए इमरान खान ने शनिवार को पाकिस्तान के 22वें वजीर-ए-आजम के रूप में राष्ट्रपति भवन में शपथ लेकर इतिहास रच दी। हालांकि, इमरान खान को भ्रष्टाचार से रूग्न पाकिस्तान को अब एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य में तब्दील करने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। स्मरण रहे कि आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ यानी पीटीआई के उभरने के बाद से ही इमरान खान के पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बनना लगभग तय माना जा रहा था।
पाकिस्तान को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का सपना
इमरान खान ने पाकिस्तान में वर्ष 1996 में पीटीआई की स्थापना की थी। उनका मकसद था पाकिस्तान को भ्रष्टाचार मुक्त करके सभी के लिए न्याय की उचित व्यवस्था करना। एक ऐसे देश की राजनीति में खुद को और एक नयी पार्टी को स्थापित करना बेहद मुश्किल काम था जिसकी राजनीति दो प्रमुख पार्टियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज यानी पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी के ही इर्दगिर्द घूमती रही है। अपनी पार्टी को पहचान दिलाने के लिए खान ने अथक परिश्रम किया और 22 साल के लम्बे संघर्ष के बाद आज वह पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बन चुकें हैं। लिहाजा, पाकिस्तान की आबाम उनसे सुधार की उम्मीद पाले बैठी है।
पीएम इमरान का सियासी सफरनामा
क्रिकेट की मैदान से सियासत में उतरने के बाद इमरान खान वर्ष 2002 में हुए चुनाव में संसद सदस्य बने और 2013 में नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनाव में वह फिर से निर्वाचित हो गये। आपको याद ही होगा कि इस चुनावों में लोगों के जबर्दस्त समर्थन से उनकी पार्टी पाकिस्तान की दूसरी सबसे पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई थी। चुनाव के अगले ही साल मई 2014 में खान ने चुनाव में धांधली होने के आरोप लगा कर सुर्खियों में आ गये थे। इन चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन विजयी हुई थी और मियां नबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने थे।
ताहिर उल कादरी के साथ किया गठबंधन
अगस्त 2014 में कथित चुनावी धांधली की जांच कराने और शरीफ के इस्तीफे की मांग करते हुए खान ने समर्थकों के साथ लाहौर से इस्लामाबाद तक रैली निकाली थी। इसके एक माह के भीतर ही खान ने पाकिस्तान मूल के कनाडाई मौलबी ताहिर उल कादरी के साथ गठबंधन कर लिया था। इस गठबंधन ने मिल कर शरीफ के इस्तीफे की मांग करते हुए उग्र प्रदर्शन किया था। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने का समझौता होने के बाद ही इनका प्रदर्शन समाप्त हुआ।
भारत के साथ संबंध पर टिकी निगाहें
प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2018 में अपने चुनाव प्रचार में भ्रष्टाचार से निपटने, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम लागू करने, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र को बेहतर बनाने का वादा किया है। माना जा रहा है कि पीएम खान को पाकिस्तान की सेना का भी समर्थन हासिल है। लिहाजा, अब लोगो को उम्मीद है कि पीएम खान शीघ्र ही पाकिस्तान को एक कल्याणकारी इस्लामिक राज्य के रूप में तब्दिल कर सकेंगे। इस बीच भारत के साथ उनके रिश्तो को लेकर भी दुनिया की नजर उन पर टिकी हुई है। पिछले महीने उन्होंने जीत के बाद अपने भाषण में कहा था कि वह भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध को बेहतर बनाने के लिए तैयार हैं। किंतु, उनके पीएम बनते ही जिस प्रकार से कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में इजाफा हुआ है, इससे उनकी नीयत पर शक होना भारत सहित पूरे दुनिया के लिए लाजमी है।
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This post was published on अगस्त 18, 2018 15:47
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