भारत में अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा, इस सवाल पर राजनीति के गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से यह पद रिक्त है और इसके बाद से राजनीति में इस पद को लेकर कयासों का दौर जारी है। कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। हाल ही में संसद भवन परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को उम्मीदवार चयन का अधिकार सौंपा गया है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद बताया कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था। इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, जदयू नेता ललन सिंह, शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रिकांत शिंदे, तेदेपी के लवु श्री कृष्ण देवराजालु और लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान शामिल थे।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से उपराष्ट्रपति पद रिक्त पड़ा है। राजनीतिक हलकों में लगातार यह चर्चा हो रही है कि इस पद के लिए अगला उम्मीदवार कौन होगा। भाजपा ने पिछली बार उपराष्ट्रपति पद के लिए धनखड़ के नाम की घोषणा करके सभी को चौंका दिया था। अब फिर से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी कुछ नया देखने को मिल सकता है।
मनोज सिन्हा
एक नाम जो बहुत चर्चा में है, वह है जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम उपराष्ट्रपति के लिए सामने आ रहा है। हाल ही में उनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हुआ है। सिन्हा को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि, उनका कार्यकाल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कारण विवादों में आ गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, फिर भी उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है और उनके कार्यों से उनका राजनीतिक कद भी मजबूत हुआ है।
वीके सक्सेना
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का नाम भी इस दौड़ में है। कॉर्पोरेट क्षेत्र से आने वाले सक्सेना ने दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ कई अहम प्रशासनिक फैसले लिए हैं। इन फैसलों ने उनकी केंद्रीय सरकार के प्रति निष्ठा और सक्रियता को दर्शाया है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि उन्हें अब बड़ी भूमिका सौंपी जा सकती है। उनका नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में है, और उन्हें इस महत्वपूर्ण पद का उम्मीदवार माना जा सकता है।
नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार का नाम भी इस समय चर्चा में है। कई सूत्रों से यह खबर आ रही है कि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति के पद के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं। हालांकि, यह अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है। इसके अलावा उनकी सेहत को लेकर भी हाल के दिनों में कई सवाल उठे हैं। कुछ एनडीए के सहयोगी दलों का मानना है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से हटकर राष्ट्रीय राजनीति में एक नई भूमिका निभा सकते हैं। जदयू के कुछ नेताओं ने इस ओर इशारा किया है कि नीतीश कुमार अब पार्टी में नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपने का विचार कर सकते हैं।
हरिवंश नारायण सिंह
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह भी इस दौड़ में शामिल हैं। वे जदयू से आते हैं और इस समय राज्यसभा में उपसभापति के पद पर हैं। उनकी निष्ठा और अनुभव उन्हें एक विश्वसनीय और मजबूत उम्मीदवार बनाता है। वे सरकार और विपक्ष दोनों के साथ संतुलन बनाए रखने में सक्षम रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच अच्छा विश्वास स्थापित किया है, जिसके कारण उनके नाम पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए इस बार उम्मीदवार का चयन करते समय राजनीतिक संतुलन, सामाजिक प्रतिनिधित्व और अनुभव को ध्यान में रखेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक भूमिका में सबकी निगाहें होंगी, क्योंकि वे इस निर्णय में प्रमुख भूमिका निभाने वाले हैं।
एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत है, जिससे उनके लिए उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चयन करना आसान हो सकता है। लेकिन विपक्ष भी जल्द ही अपने उम्मीदवार पर मंथन शुरू कर सकता है, जिससे यह चुनाव और भी दिलचस्प हो सकता है। इस बार के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को चुनने में जो भी रणनीति अपनाई जाएगी, वह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण संकेतक होगी कि पार्टी भविष्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाना चाहती है।
भारत में उपराष्ट्रपति का पद केवल एक प्रतीकात्मक भूमिका नहीं है। उपराष्ट्रपति ना केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। ऐसे में इस पद के लिए उम्मीदवार का चयन बहुत सोच-समझकर किया जाता है। एक उपराष्ट्रपति को न केवल राजनीति में अनुभव होना चाहिए, बल्कि उसे संसद के संचालन के मामले में भी गहरी समझ होनी चाहिए।
एनडीए इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे उम्मीदवार का चयन करेगा, जो पार्टी की विचारधारा के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व कर सके। इसके अलावा, यह भी देखा जाएगा कि उम्मीदवार की छवि कितनी प्रबल है और क्या वह अन्य राजनीतिक दलों से भी सहमति प्राप्त कर सकते हैं।
भारत में अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह चुनाव राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। एनडीए अपने उम्मीदवार का चयन जल्द ही करने वाला है, और इस पद पर अगले नेता का नाम भी अब बहुत जल्द सामने आ सकता है। इसके साथ ही विपक्ष भी अपनी तरफ से उम्मीदवार का चयन करेगा, जिससे मुकाबला और भी रोचक हो सकता है।
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