सुप्रीम कोर्ट
केरल।। केरल के सबरीमाला मंदिर में अब सभी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिल गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में कई वर्षों से चली आ रही परंपरा पर विराम लगाते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में स्प्ष्ट कर दिया है कि मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष के बीच महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध उचित नहीं है और अब सभी महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकेगी। बतातें चलें कि 10 से 50 वर्ष उम्र की महिलाओं को उनके मासिक धर्म के कारण मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी के लिए मौलिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सबरीमाला मंदिर को लेकर जो बातें कही गई है, उनमें यह कि सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी के लिए खोले जाने चाहिए। सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है। सभी श्रद्धालुओं को पूजा का अधिकार एक समान होता है। पितृसत्तात्मक नियम को बदलने का समय आ गया है। महिला को दोयम दर्जे के नजरिए से देखने से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि लिंग के आधार पर श्रद्धालुओं के साथ पूजा के अधिकार में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान आदरणीय है। पूजा का अधिकार मौलिक अधिकार है। कहा कि 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संवैधानिक सिद्धांतों का है उल्लंघन है। महज शारीरिक रचना के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है।
This post was published on सितम्बर 28, 2018 11:44
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