26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय का प्रतीक है। इस दिन को भारतीय सैनिकों के बलिदान और वीरता को सम्मानित करने के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपनी जान की आहुति दी। कारगिल युद्ध, जो 84 दिनों तक चला, पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ करने के बाद शुरू हुआ था। यह संघर्ष अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया, जहां हिमालय की ऊंची चोटियों पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को हराया।
कारगिल युद्ध की शुरुआत: पाकिस्तान की घुसपैठ का पता चलना
3 मई 1999 को भारत को पता चला कि पाकिस्तान के सैनिकों ने भारत की सीमा में घुसपैठ की है। यह सूचना कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को दी थी। इसके बाद, भारतीय सेना ने तुरंत पेट्रोलिंग पार्टी को भेजा, जो 5 मई को घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची। लेकिन घुसपैठियों ने इस पेट्रोलिंग पार्टी को घेर लिया और पांच भारतीय सैनिकों को शहीद कर दिया। इसके बाद घुसपैठियों ने लेह-श्रीनगर हाईवे को कब्जे में लेने का प्रयास किया, ताकि लेह को बाकी भारत से काट दिया जा सके। यह स्थिति बेहद गंभीर हो गई और भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए युद्ध की ओर बढ़ना पड़ा।
पाकिस्तान के हमले और भारतीय सेना का जवाब
9 मई 1999 को पाकिस्तान ने भारतीय गोला-बारूद डिपो पर हमला किया, जिससे भारत का एक बड़ा गोला-बारूद डिपो नष्ट हो गया। इसके बाद 10 मई 1999 को द्रास, काकसर और बटालिक क्षेत्रों में पाकिस्तान के सैनिकों के घुसने की पुष्टि हुई। अनुमान था कि लगभग 600 से 800 पाकिस्तानी सैनिक भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुके थे। भारत ने इसके बाद अपनी सेनाओं को इस क्षेत्र में भेजना शुरू किया।
15 मई 1999 को भारतीय सेना ने जम्मू और कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों से अपनी अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियों को भेजना शुरू किया। 26 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों पर बमबारी की, जिससे घुसपैठियों की स्थिति कमजोर हुई।
भारतीय वायुसेना की वीरता और शहीदी की घटनाएँ
27 मई 1999 को पाकिस्तान ने दो भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्तान ने युद्धबंदी बना लिया, जबकि स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा ने अपनी जान की कुर्बानी दी। यह दोनों घटनाएं भारतीय सेना के हौसले को और भी मजबूत करने का काम करती हैं। उनके बलिदान ने भारतीय सेना के जज़्बे को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान
31 मई 1999 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने बयान में कहा कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं। उनका यह बयान भारतीय जनता और सैनिकों के लिए एक संकल्प की तरह था, जो यह दिखाता था कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में पूरी तरह से खड़ा है और अपने क्षेत्र की रक्षा करेगा।
भारतीय सेना की प्रमुख विजय: टाइगर हिल, द्रास, बटालिक
4 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया। यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति थी, और इसे जीतने के बाद भारतीय सेना ने यहां अपनी विजय का ऐलान किया। 11 घंटे की निरंतर लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने इस महत्वपूर्ण पोस्ट पर अपना कब्जा जमाया। 5 जुलाई को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर भी कब्जा कर लिया, जो और भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था। 7 जुलाई को बटालिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर भारतीय सेना ने एक और महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की। इस दिन कैप्टन विक्रम बत्रा ने भी सर्वोच्च बलिदान दिया।
11 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर की लगभग सभी चोटियों पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया। यह भारतीय सेना की एक और बड़ी सफलता थी, जिसने पाकिस्तान को इस क्षेत्र से पूरी तरह खदेड़ दिया।
पाकिस्तान की हार और भारत की पूर्ण विजय
12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने युद्ध में पाकिस्तान की हार को स्वीकारते हुए भारत से बातचीत की पेशकश की। हालांकि, भारत ने तब तक किसी भी बातचीत के लिए हामी नहीं भरी, जब तक पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र से अपनी सेना को पूरी तरह से नहीं खदेड़ा। 14 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय क्षेत्र से पूरी तरह खदेड़ दिया। अब भारत ने अपने सभी क्षेत्रों को वापस प्राप्त कर लिया था।
26 जुलाई 1999 को भारत ने आधिकारिक रूप से कारगिल युद्ध जीतने की घोषणा की। यह दिन भारतीय सेना की वीरता और बलिदान की गाथा बन गया। 18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया यह युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम का प्रतीक बन गया।
कारगिल विजय दिवस का महत्व
कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना के लिए एक श्रद्धांजलि है। यह दिन हमें उन भारतीय सैनिकों की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना भारत की रक्षा की। इस दिन हम उन शहीदों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका साहस और समर्पण आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। कारगिल विजय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए कई वीरों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है।
कारगिल युद्ध का प्रभाव और भारतीय सेना की ताकत
कारगिल युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह भारतीय सेना के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी है। इस युद्ध ने हमें यह सिखाया कि अगर हम एकजुट हो जाएं तो कोई भी ताकत हमें हमारी धरती से निकाल नहीं सकती। इस युद्ध के बाद भारतीय सेना को एक नया सम्मान मिला और उसकी ताकत और रणनीतिक कौशल की पूरी दुनिया में सराहना की गई।
कारगिल विजय दिवस केवल एक ऐतिहासिक दिन नहीं है, बल्कि यह दिन भारतीय सैनिकों के संघर्ष, बलिदान और वीरता का प्रतीक है। इस दिन हम उन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी जान की आहुति दी और हमें हमारी मातृभूमि की रक्षा करने की प्रेरणा दी। 26 जुलाई को हम सब मिलकर उनके साहस और समर्पण को याद करते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस पराक्रम को याद रखें और उसे अपने जीवन में अपनाएं।