भारत के नव निर्वाचित राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह समय राष्ट्र निर्माण में जुटने का समय है। उन्होंने देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कृतज्ञता जाहिर की। राष्ट्रपति ने कहा कि देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का समय है। महामहिम ने जोर देकर कहा कि सरकार कानून बना सकती है। पालन करना जनता की जिम्मेदारी होती है।
राष्ट्रापति ने देश के नाम अपने पहले संबोधन में कहा कि स्वतंत्र भारत का सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था। महात्मा गांधी ने समाज और राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल दिया था, गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ का आह्वान किया, नेहरू जी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं। सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया।
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हमें संविधान के दायरे में रहकर काम करने तथा ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साझेदारी हमारे राष्ट्र-निर्माण का आधार रही है समाज में अपनत्व और साझेदारी की भावना को पुनः जगाने की आवश्यकता है। राष्ट्र निर्माण के लिए कर्मठ लोगों के साथ सभी को जुड़ना चाहिए। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे, इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
भारत को स्वच्छ बनाना हमारी जिम्मेदारी है। देश को खुले में शौच से मुक्त कराना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। विकास के नए अवसर पैदा करना, शिक्षा और सूचना की पहुंच बढ़ाना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।
टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है। कहा कि न्यू इंडिया के लिए कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने का हमारा ‘राष्ट्रीय संकल्प’ है, मानवीय मूल्य हमारे देश की संस्कृति की पहचान हैं। अपने दिव्यांग भाई-बहनों पर हमें विशेष ध्यान देना है। ‘न्यू इंडिया’ का अभिप्राय है कि हम जहां पर खड़े हैं वहां से आगे जाएं। यह एक ऐसा ‘न्यू इंडिया’ बने जहां हर व्यक्ति की पूरी क्षमता उजागर हो सके।
नोटबंदी के बाद से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है। आधुनिक टेक्नॉलॉजी को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाने की आवश्यकता है। ‘न्यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है आज पूरी दुनिया भारत को सम्मान से देखती है। महामहिम ने कहा कि मैं एल.पी.जी. सब्सिडी का त्याग करने वाले परिवारों को नमन करता हूं। राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी भावी पीढ़ी पर पूरा ध्यान दें। मैं राष्ट्र निर्माण में लगे आप सभी लोगों से समाज के गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद करने का आग्रह करता हूं।
कहा कि हमें शिक्षा के मापदण्ड को और भी ऊंचे करने होंगे। गौतम बुद्ध ने कहा था, ‘अप्प दीपो भव… यानि अपना दीपक स्वयं बनो…। यदि हम इस शिक्षा को अपनाते हुए आगे बढ़ें तो सवा सौ करोड़ दीपक बन सकते हैं। ऐसे दीपक जब एक साथ जलेंगे तो सूर्य के प्रकाश के समान वह उजाला भारत के मार्ग को आलोकित करेगा।
This post was published on अगस्त 14, 2017 20:09
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