भारत के चेन्नई में वर्ष 1972 में जन्में पिचाई सुंदराजन को आज पूरी दुनिया सुंदर पिचाई के नाम से जानती है। पर, बहुत कम ही लोग है, जो पिचाई सुदराजन के सुंदर पिचाई बनने तक के सफर को ठीक से जानतें हैं। आज करोड़ो में खेलने वाला यह लड़का अपने करियर के आरंभिक दिनो में जबरदस्त आर्थिक तंगी झेल चुका है। बावजूद इसके संसाधन का अभाव इसके हौसलो की उड़ान को रोक नहीं सका और आज यह युवाओं का आइकॉन बन चुका है। जीहां, मैं बात कर रहा हूं कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की। आपको शायद पता हो कि आर्थिक तंगी के कारण सुंदर पिचाई 1995 में स्टैनफोर्ड में बतौर पेइंग गेस्ट रहते थे। पैसे बचाने के लिए उन्होंने पुरानी चीजें इस्तेमाल की। किंतु, पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया। वे पीएचडी करना चाहते थे। लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें बतौर प्रोडक्ट मैनेजर अप्लायड मटीरियल्स इंक में नौकरी करनी पड़ी।
सुंदर पिचाई ने अपनी बैचलर की डिग्री आईआईटी, खड़गपुर से ली है। इस मेधावी छात्र को अपने बैच में सिल्वर मेडल हासिल हुआ था। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने अमेरिका चला गया और अमेरिका के स्टैनडफोर्ड यूनिवर्सिटी से सुंदर ने एमएस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वॉर्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। पिचाई को पेन्सिलवानिया यूनिवर्सिटी में साइबेल स्कॉलर के नाम से जाना जाता था। इसी दौरान सुंदर पिचाई ने 2004 में गूगल ज्वाइन किया और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
कहतें हैं कि एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट और 2008 में लांच हुए गूगल क्रोम में सुंदर पिचाई ने बड़ी भूमिका निभाई। यह बात तब की है, जब वह गूगल में प्रोडक्ट और इनोवेशन ऑफिसर हुआ करते थे। इसी दौरान उन्होंने गूगल का सीनियर वीपी यानी प्रोडक्ट चीफ बना कर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। शुरआती दिनो में सुंदर पिचाई गूगल में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट हुआ करते थे। कहतें है कि सुंदर का पहला प्रोजेक्ट प्रोडक्ट मैनेजमेंट और इनोवेशन शाखा में गूगल के सर्च टूलबार को बेहतर बनाकर दूसरे ब्रॉउजर के ट्रैफिक को गूगल पर लाना था। इसी दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि गूगल को अपना ब्राउजर लांच करना चाहिए। इसी एक आइडिया से वे गूगल के संस्थापक लैरी पेज की नजरों में आ गए।
सुंदर ने ही गूगल ड्राइव, जीमेल ऐप और गूगल वीडियो कोडेक बनाए हैं। सुंदर द्वारा बनाए गए क्रोम ओएस और एंड्रॉइड एप ने उन्हें गूगल के शीर्ष पर पहुंचा दिया। पिछले साल एंड्रॉइड डिविजन उनके पास आया और उन्होंने गूगल के अन्य व्यवसाय को आगे बढ़ाने में भी अपना योगदान दिया। पिचाई की वजह से ही गूगल ने सैमसंग को साझेदार बनाया। सुंदर ने गूगल ज्वाइन करते ही इंटरनेट यूजर्स के लिए रिसर्च शुरू कर दिया। ताकि यूजर्स जो इन्स्टॉल करना चाहते हैं, वे जल्दी इन्स्टॉल हो जाए। हालांकि यह काम ज्यादा मजेदार नहीं था, फिर भी उन्होंने खुद को साबित करने के लिए अन्य कंपनियों से बेहतर संबंध बनाएं, ताकि टूलबार को बेहतर बनाया जाए। उन्हें प्रोडक्ट मैनेजमेंट का डायरेक्टर बना दिया गया।
This post was last modified on अगस्त 8, 2018 2:43 अपराह्न IST 14:43
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