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निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा: भारत के कूटनीतिक प्रयासों का सामना

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केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। यह मामला पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है, और भारत सरकार द्वारा इस मामले में किए गए कूटनीतिक प्रयासों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। 18 जुलाई 2025 को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत सना के स्थानीय प्रशासन से लगातार संपर्क में है। भारत इस मामले में यमन के हूती प्रशासन, सऊदी अरब, ईरान और अन्य देशों से संपर्क कर रहा है, जिनका हूतियों पर प्रभाव है।

भारत का कूटनीतिक हस्तक्षेप और प्रयास

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताया और कहा कि भारत सरकार अपनी तरफ से हर संभव मदद मुहैया करवा रही है। राधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने निमिषा के लिए क़ानूनी मदद उपलब्ध कराई है और इस परिवार के लिए एक वकील भी नियुक्त किया है। भारत ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि निमिषा के परिवार को और अधिक समय मिले, ताकि वे इस मामले का हल निकाल सकें।

भारत के लिए यह मामला और भी जटिल हो गया है क्योंकि यमन में भारत की राजनयिक उपस्थिति बहुत कम है। इसके अलावा, भारत हूती प्रशासन को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देता है, जिससे भारत के हस्तक्षेप के विकल्प सीमित हो गए हैं। फिर भी, भारत क़बाइली और धार्मिक नेताओं के माध्यम से निमिषा की जान बचाने की कोशिश कर रहा है।

तलाल अब्दो महदी की हत्या और सजा का मामला

निमिषा प्रिया को 2017 में अपने बिजनेस पार्टनर यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा मिली थी। महदी का शव सना के एक पानी के टंकी से मिला था, जिसके बाद यह मामला उजागर हुआ। निमिषा प्रिया और तलाल अब्दो महदी एक क्लिनिक में साझेदार थे, जहां उनकी हत्या हुई थी। निमिषा को 2020 में स्थानीय अदालत द्वारा हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।

शरिया कानून और खून की कीमत

यमन के शरिया कानून के तहत, महदी के परिवार ने निमिषा के परिवार से ‘खून की कीमत’ (ब्लड मनी) के तौर पर 10 लाख डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया। तलाल महदी के भाई, अब्दुल फ़तह महदी ने इस बारे में सोशल मीडिया पर लिखा कि उनका रुख़ नहीं बदला है और वे किसी भी तरह के समझौते से इंकार करते हैं। उनका कहना था कि अपराधी को सजा मिलनी चाहिए, और वे किसी भी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं।

भारत का क़ानूनी और धार्मिक हस्तक्षेप

भारत सरकार ने इस मामले में क़ानूनी सहायता और धार्मिक हस्तक्षेप दोनों का प्रयास किया है। 14 जुलाई 2025 को केरल के प्रसिद्ध और सम्मानित मुस्लिम धर्मगुरु, ग्रैंड मुफ़्ती एपी अबूबकर मुसलियार ने यमन के कुछ शेखों से बात की थी। इस बातचीत के बाद, 16 जुलाई को निमिषा की मौत की सजा को टालने में सफलता मिली।

हालांकि, यह सफलता केवल अस्थायी थी, और अब भी खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। भारत के ग्रैंड मुफ़्ती ने कूटनीतिक प्रयासों के तहत अपनी भूमिका निभाई, लेकिन यह मामला अब केवल एक सामान्य अपराध नहीं रह गया है। इसमें क़ानून, परंपरा, राजनीति और धर्म सभी शामिल हो गए हैं।

कूटनीतिक प्रयासों की सीमाएं

गल्फ़ न्यूज़ के अनुसार, भारत के लिए इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यमन में उसकी कूटनीतिक मौजूदगी बहुत कमजोर है। भारत हूती शासन को मान्यता नहीं देता, जिसके कारण यमन में स्थिति को संभालने के लिए भारत के पास बहुत सीमित विकल्प हैं। भारत ने इस मुद्दे पर विभिन्न देशों से संपर्क किया है, जिनका हूतियों पर प्रभाव है, लेकिन सफलता सीमित रही है।

भारत ने क़बाइली और धार्मिक नेताओं की मदद से निमिषा की सजा को टालने की कोशिश की, और भारत के ग्रैंड मुफ़्ती के प्रयासों से मौत की सजा कुछ समय के लिए टल गई थी। लेकिन अब भी स्थिति अस्थिर बनी हुई है, और भारत लगातार प्रयास कर रहा है।

निमिषा के लिए समर्थन और विरोध

निमिषा प्रिया के बचाव में कई धार्मिक और सामाजिक नेता सामने आए हैं। यमन के सूफ़ी स्कॉलर शेख़ हबीब उमर बिन हाफ़िज़ ने भी इस मामले में मदद की है। इन प्रयासों के बावजूद, यमन में किसी भी तरह की कूटनीतिक बातचीत या समझौते का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहा है।

अब तक इस मामले में महदी के परिवार के सदस्य, विशेषकर तलाल अब्दो महदी के भाई, ने किसी भी प्रकार के मध्यस्थता प्रस्ताव को नकारा है। उनके अनुसार, अपराधी को सजा मिलनी चाहिए और किसी भी तरह के समझौते का सवाल ही नहीं उठता।

निमिषा प्रिया का भविष्य

निमिषा प्रिया का मामला अब अंतरराष्ट्रीय ध्यान का केंद्र बन चुका है। भारत सरकार और विभिन्न धार्मिक नेता इस मामले में अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह एक जटिल स्थिति है। शरिया कानून, परंपराएं, राजनीति, और धर्म इन सभी कारकों ने इस मामले को एक और पेचीदा मोड़ पर पहुंचा दिया है।

यद्यपि भारत ने कूटनीतिक और धार्मिक हस्तक्षेप के माध्यम से कुछ राहत हासिल की है, फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि निमिषा की जान बचाने की कोशिशों का परिणाम क्या होगा। भारत सरकार, धार्मिक और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रही है, लेकिन यह एक लंबी और कठिन प्रक्रिया हो सकती है।

निमिषा प्रिया का मामला केवल एक सामान्य अपराध नहीं रह गया है। इसमें क़ानूनी, धार्मिक, और कूटनीतिक पहलुओं का एक जटिल मिश्रण है। भारत सरकार और अन्य धार्मिक नेताओं द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, यमन के शरिया कानून के तहत स्थिति बहुत कठिन है।

भारत लगातार निमिषा के मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यमन में भारत की सीमित कूटनीतिक उपस्थिति और हूती शासन के साथ भारत के खराब रिश्ते इस संघर्ष को और भी जटिल बना रहे हैं। समय बताएगा कि भारत की इन कोशिशों का क्या परिणाम निकलता है, लेकिन यह मामला अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और न्याय की एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन चुका है।

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