आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या रोबोटिक्स…। दरअसल, यह कंप्यूटर साइंस का एक सब-डिवीजन है। यह एक मशीन है और इसके पास डेटा होता है। इस इक्यूपमेंट या गजेट को आप बुद्धिमान मशीन कह सकते है। इसके पास मानव के बुद्धी की नकल करने की क्षमता होती है। यह स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है। इसमें पहले से फीड प्लानिंग के मुताबिक आप इससे अपने जरुरत का काम ले सकतें है। आने वाले दिनो में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे रोज मर्रा में शामिल होने वाला है।
KKN न्यूज ब्यूरो। हम अपने रोज मर्रा की जीवन में जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अक्सर इस्तेमाल करतें हैं। उनमें, एलेक्सा, ओके गूगल, सिरी या टेस्ला आम है। यह छात्रो के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रहा है। सूचना के क्षेत्र में यह किसी क्रांति से कम नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी। जब आने वाले दिनो में सड़को पर स्मार्ट कारें फर्राटा भरती हुई दिख जायेगी। दरअसल, स्मार्ट कार को आदमी की जगह मशीन चला रहा होगा। यानी ड्राइवर रखने की झंझट से मुक्ति मिल जायेगी। कई विकसित राष्ट्रो में इसका प्रचलन शुरू भी हो चुका है। हममें से कई लोग आज भी जीपीएस का इस्तेमाल करते है। यह भी एक प्रकार का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर इन दिनो पूरी दुनिया में बहस छिड़ी है। बात वर्ष 1965 की है। उन दिनो ई-मूरे, इंटेल के को-फाउंडर हुआ करते थे। ई-मूरे ने दुनिया के सामने एक नई थ्योरी रखी थी। इस थ्योरी के मुताबिक कंप्यूटर में उपयोग होने वाला प्रोसेसिंग पावर को प्रत्येक दो साल में दोगुना करना जरुरी बताया गया था। बाद में इसको मूरे-लॉ के नाम से जाना गया। आज जिस तेजी से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड और उसकी काम करने की क्षमता में वृद्धि हो रही है। वह मूरे-लॉ की देन है। हालांकि, इसको लेकर दुनिया के कई बड़े विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने के बाद एक नई चर्चा शुरू हो गई है। वह ये कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में एक रोज इंसानी बुद्धिमत्ता को पीछे छोड़ देगा? तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ इसको लेकर एकमत हैं। संभावना जताया जा रहा हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिस तेजी से विकास हो रहा है। भविष्य में यह इंसान के लिए खतरा बन जाये तो आश्चर्य नहीं होगा। कहा जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले दौर को एक नया रूप देने वाला है। विकसित होती इस तकनीक को लेकर कई चेतावनी अभी से सामने आने लगी हैं। स्टीफन हॉकिंग और एलन मस्क समेत दुनिया के कई विशेषज्ञ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी खतरा के प्रति विज्ञान जगत को अगाह कर चुकें है। मशहूर लेखक मैक्स टैगमार्क ने एक किताब लिखा है। किताब का नाम है- लाइफ-3.0’। इसमें उन्होंने लिखा है कि वर्तमान सदी के अंत तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इतना विकास हो जायेगा कि मशीन के सामने इंसानी बुद्धि बौनी हो जायेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझने से पहले हमें इंसान के मस्तिष्क को समझना होगा। इंसान की दिमाग पैटर्न को समझने में तेजी से काम करता है। अपनी इसी क्षमता की वजह से हमने अपनी सम्यताओं का निर्माण किया। उसका तेजी से विकास भी किया। इसी कड़ी में इंसान ने कई नए आविष्कारों को जन्म दिया। किंतु, आज की दौर में हम अपना यही क्षमता मशीनों को दे रहे हैं। यह किसी कड़े खतरे का संकेत माना जा रहा है। भविष्य में जब मशीन इंसान के पैटर्न को स्वयं एक्सपोज करने लगेगा। तब खतरा बड़ा हो जायेगा। जानकार मानते है कि इंसान की मस्तिष्क एक सीमा के भीतर रहकर सूचनाओं को प्रोसेस करता हैं। जबकि, इसी काम को मशीन बहुत तेजी से और कम समय में कर देता है। मशीन में डाटा को प्रोसेस करने की असिमित क्षमता होती है। इसको समय-समय पर बढ़ाया भी जा सकता है। क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास इसका सबसे बड़ा मिशाल है। इसके बाद मशीन की क्षमता को एक नया शिखर मिल जायेगा। फिर क्या होगा। सवाल बड़ा है और खतरनाक भी।
एक बहुत ही लोकप्रिय गेम है। इसका नाम है ‘अल्फा गो’। इस गेम में इतने पॉसिबल मूव्स हैं। जितने कि शायद हमारे ब्रह्मांड में एटम्स नहीं होंगे। साल 2017 में इस गेम से जुड़ी एक हैरान करने वाली घटना सामने आई थी। दरअसल हुआ ये कि गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने ‘डीप माइंड’ के इस गेम में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को हरा दिया। विशेषज्ञों ने बताया कि इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने करोड़ों मूव्स को एलिमिनेट करके ऐसे पॉसिबल मूव्स को क्रियट कर दिया, जिसे देखकर सामने बैठा विश्व का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैरान रह गया था।
इस घटना ने विज्ञान जगत में एक नई बहस को जन्म दिया। सवाल उठने लगा कि डीप माइंड के पास गेम से जुड़ी रहस्यमयी जानकारी कहा से आई। क्योंकि, वह पहले से फीड प्रोग्रामिंग का हिस्सा नहीं था। सवाल फिर वहीं कि जब भविष्य में किसी हाइटेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पास मानव जाति के इतिहास का ज्ञान हो जायेगा। यानी हमारे क्रमिक विकास को वह मशीन समझने लगेागा। तब क्या होगा? यही एक बड़ा सवाल है और खतरे का संकेत भी। लिहाजा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित खतरों को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ गई है। जो स्वभाभिक है।
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