Home Entertainment मसहूर सिनेमा पाकिजा की हिरोइन के आंखों से टपकते आंसू का क्या...

मसहूर सिनेमा पाकिजा की हिरोइन के आंखों से टपकते आंसू का क्या है राज

जीवन के आखरी पड़ाव पर आखिर कहां चले गये जवानी के दिनो के फैंस

मुबंई। गीताजी अब पहले से बेहतर हैं। लेकिन, जब भी कोई उनसे मिलने आता है तो वह रोने लगती हैं और अपने दोनों हाथ जोड़ लेती हैं। ताकि उन्हें सामने वाला मारे-पीटे नहीं। इससे अंदाजा लगता है कि उन्हें कितना टॉर्चर किया गया होगा। अशोक पंडित के ये अल्फाज, गुजरे जमाने के एक्ट्रेस का मौजूदा सच बयां करने के लिए प्रयाप्त है। गीता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है कि वे दूध से ही जल गईं। बतातें चलें कि गीता गुजरे ज़माने की मसहूर एक्ट्रेस रह चुकीं हैं। उन्होंने पाक़ीज़ा के अलावा रज़िया सुल्तान और प्यार करके देखो जैसी फिल्मों में भी काम किया है।
दरअसल, पाक़ीज़ा फिल्म में काम करने वाली अभिनेत्री गीता कपूर गोरेगांव के  एक अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती थी। बीमार गीता कपूर को उनके बेटे ने उन्हें भर्ती करवाया था। अस्पताल वालों का कहना है कि जब बिल देने की बारी आई तो उनका बेटा एटीएम से पैसे लेने के बहाने गया और फिर लौटा ही नहीं।
बाद में मदद के लिए प्रोड्यूसर अशोक पंडित और रमेश तौरानी सामने आए हैं और उन्होंने 1.5 लाख रुपए का अस्पताल का बिल अदा कर दिया है। अब वे इंतजार कर रहे हैं कि पुलिस जल्दी से उनके बेटे के ट्रेस कर ले, ताकि बेटे की एनओसी लेकर गीता को किसी वृद्धाश्रम भेजा जा सकें। बहरहाल, गीता बताती है कि उनका बेटा उन्हें बहुत मारता-पीटता था और अब अकेला छोड़ गया है। कहतें हैं कि कमाल अमरोही ने 1972 में आई अपनी फिल्म पाक़ीज़ा में कुछ ऐसी पंक्तियां लिखी थीं जो पांच दशक बाद फिल्म की एक्ट्रेस गीता कपूर की लाइफ की हकीकत बन चुकी है।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Show comments

Exit mobile version