KKN गुरुग्राम डेस्क | जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को आज 19 दिन हो चुके हैं। इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था, लेकिन बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस विषय पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इसी कारण वह सोशल मीडिया पर आलोचना और ट्रोलिंग का शिकार हो रहे थे।
अब आखिरकार उन्होंने 11 मई को माइक्रोब्लॉगिंग साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर एक कविता के माध्यम से प्रतिक्रिया दी है, लेकिन लोगों का गुस्सा अब और तेज हो गया है।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। यह हमला पर्यटकों और स्थानीय लोगों पर लक्षित था। हमलावरों ने पति-पत्नी को निशाना बनाया, जिसमें निर्दोष पति की नृशंस हत्या कर दी गई और पत्नी को जानबूझकर छोड़ दिया गया ताकि वह घटना को ‘दुनिया को बताए’।
इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा और शोक की लहर दौड़ गई थी। सरकार ने इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से सैन्य कार्रवाई शुरू की। देशभर की जनता, राजनेताओं और फिल्मी हस्तियों ने घटना की निंदा की — सिवाय अमिताभ बच्चन के।
अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं और हर पोस्ट की शुरुआत एक संख्या से करते हैं, जो उनके ट्वीट्स की गिनती होती है। लेकिन हमले के बाद उन्होंने लगातार केवल ट्वीट नंबर पोस्ट किए, बिना किसी संदेश या प्रतिक्रिया के।
इस मौन व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। यूजर्स ने कहा कि इतने संवेदनशील समय में देश का एक आइकॉनिक चेहरा चुप क्यों है? क्यों वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर रहे?
11 मई को अमिताभ बच्चन ने X पर एक पोस्ट डाली, जिसमें उन्होंने कविता के माध्यम से हमले की भयावहता को दर्शाने की कोशिश की। उन्होंने लिखा:
“छुट्टियां मानते हुए, उस राक्षस ने, निर्दोष पति-पत्नी को बाहर खींच कर,
पति को नग्न कर, उसके धर्म की पूर्ति करने के बाद,
उसे जब गोली मारने लगा, तो पत्नी ने,
घुटनों पर गिर कर, रो रो अनुरोध किया — ‘मेरे पति को मत मारो’।
लेकिन उस राक्षस ने उसे बेरहमी से गोली मार दी।
जब पत्नी ने कहा – ‘मुझे भी मार दो’,
तो राक्षस बोला – ‘नहीं, तू जा कर… बता देना सबको।’”
इस कविता ने जहां कुछ लोगों को भावुक किया, वहीं अधिकांश ने इसे ‘देर से आया और अस्पष्ट’ बताया।
अमिताभ की पोस्ट आते ही सोशल मीडिया पर #TooLittleTooLate और #PublicPressureHero जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। हजारों यूजर्स ने उनकी इस पोस्ट को ‘पब्लिक प्रेशर में की गई प्रतिक्रिया’ करार दिया।
“जब देश को ज़रूरत थी, तब आपने चुप्पी साधी थी। अब क्यों बोल रहे हैं?”
“आपकी कविता पीड़ितों को सुकून नहीं दे सकती।”
“देश के लिए बोलना सिर्फ फिल्म प्रमोशन तक सीमित क्यों है?”
हालांकि, कुछ फैंस ने उनका बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति दुख को व्यक्त करने का अपना तरीका चुनता है और अमिताभ बच्चन ने कलात्मक अंदाज में अपनी भावना प्रकट की है। उनका यह काव्य किसी भी फिल्मी संवाद से ज्यादा प्रभावशाली है।
इस मुद्दे पर फिल्मी दुनिया से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन कुछ हस्तियों के ट्वीट इसे संदर्भित करते नज़र आए।
कंगना रनौत ने ट्वीट किया:
“राष्ट्रवाद प्रमोशन के समय पहनने वाली पोशाक नहीं है, यह रोज जीने का तरीका है।”
अनुपम खेर ने लिखा:
“जब आपकी आवाज़ मायने रखती हो, तब आपकी चुप्पी भी एक बयान होती है।”
भारत में सेलिब्रिटी केवल फिल्म स्टार नहीं होते, वे जनता की सोच को आकार देने वाले प्रतीक भी होते हैं। ऐसे में जब कोई राष्ट्रीय संकट आता है, तो उनसे भी जिम्मेदार प्रतिक्रिया की उम्मीद की जाती है।
सामाजिक विश्लेषक रिया कपूर कहती हैं:
“आज के समय में चुप रहना भी एक संदेश है। और जनता अब चुप नहीं बैठती, वह जवाब मांगती है।”
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि अमिताभ बच्चन पहले भी कई बार राष्ट्रीय मुद्दों पर बोल चुके हैं:
पुलवामा हमले पर ट्वीट
COVID-19 जागरूकता अभियान
स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसे अभियानों का समर्थन
ऐसे में पहलगाम जैसे संवेदनशील मुद्दे पर उनकी चुप्पी असामान्य मानी जा रही थी।
अमिताभ बच्चन द्वारा 19 दिन बाद किया गया यह काव्यात्मक पोस्ट देश की जनता को संतुष्ट नहीं कर पाया। इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आज के दौर में सेलिब्रिटीज की चुप्पी भी बोलती है, और जनता उस पर सवाल उठाने से नहीं हिचकती।
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