KKN गुरुग्राम डेस्क | आमिर खान की बेटी आयरा खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी के दर्दनाक पहलुओं को साझा किया।
पिंकविला को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि कैसे वह अपने करियर को लेकर खुद से नाराज और निराश महसूस करती हैं।
26 साल की उम्र में भी कमाई न कर पाने का गहरा असर उनके आत्मसम्मान पर पड़ा है।
गौरतलब है कि आयरा खान ने महज 23 साल की उम्र में अगास्तु फाउंडेशन की स्थापना की थी।
यह फाउंडेशन उन लोगों की मदद करता है जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
डिप्रेशन से खुद जूझने के बाद आयरा ने यह पहल शुरू की, ताकि अन्य लोग भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हों और मदद पा सकें।
अपने इंटरव्यू में आयरा ने खुलकर कहा,
“मैं 26-27 साल की हूं। मेरे मां-बाप ने मुझ पर बहुत पैसे खर्च किए हैं, लेकिन मैं कुछ नहीं कर रही हूं। मैं खुद को बेकार इंसान मानती हूं।”
उनकी इस ईमानदार स्वीकारोक्ति ने उन भावनाओं को उजागर किया जो आज के युवाओं में भी आम हैं — खासकर जब वे समाज की अपेक्षाओं के दबाव में खुद को आंकते हैं।
जब आयरा ने खुद को “बेकार” कहा, तो आमिर खान ने तुरंत हस्तक्षेप किया।
उन्होंने याद दिलाया कि अगास्तु फाउंडेशन जैसी पहल करना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
आमिर ने कहा,
“तुम्हारा मतलब है कि तुम पैसे नहीं कमा रही हो, लेकिन तुमने जो फाउंडेशन बनाया है, वह एक बड़ी उपलब्धि है।”
आमिर ने यह भी समझाया कि जीवन में उपलब्धियों का मूल्य केवल पैसों से नहीं आंका जा सकता।
इंटरव्यू के दौरान आयरा से पूछा गया कि क्या माता-पिता को माफ करना आसान होता है।
इस पर आयरा ने कहा,
“वे खुद को जितना दोषी मानते हैं, मैं उन्हें उतना दोषी नहीं मानती। मेरे दिमाग में गलती मेरी है। मुझे अपने गुस्से को महसूस करना और व्यक्त करना नहीं आता।”
यह बयान उनकी मानसिक परिपक्वता और आत्मविश्लेषण को दर्शाता है।
आयरा ने यह भी खुलासा किया कि जब वह महज 12 साल की थीं, तब उनकी मां रीना दत्ता ने उन्हें काउंसलिंग के लिए भेजा था।
हालांकि आयरा इस प्रक्रिया से खुश नहीं थीं, फिर भी उन्होंने लगभग तीन साल तक थेरेपी ली, क्योंकि मना करने का साहस नहीं जुटा पाईं।
यह अनुभव भी उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना।
इंटरव्यू के दौरान आमिर खान ने भी स्वीकार किया कि जब उनका और रीना दत्ता का तलाक हो रहा था, तब वह खुद भी मैरिज काउंसलिंग के लिए गए थे।
इस बात से उन्होंने यह संदेश दिया कि मुश्किल समय में प्रोफेशनल मदद लेना सही और जरूरी होता है।
आयरा की कहानी केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह कई व्यापक मुद्दों को भी उजागर करती है:
मानसिक स्वास्थ्य: संपन्नता और लोकप्रियता होने के बावजूद मानसिक संघर्ष हो सकता है।
समाज की अपेक्षाएं: उम्र और उपलब्धि को लेकर समाज का दबाव युवाओं पर भारी पड़ता है।
आत्ममूल्यांकन: खुद को केवल आर्थिक सफलता के आधार पर आंकना गलत है।
पारिवारिक समर्थन: मानसिक स्वास्थ्य यात्रा में परिवार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
अगास्तु फाउंडेशन के जरिए आयरा ने यह साबित किया कि मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करना कितना जरूरी है।
यह फाउंडेशन काउंसलिंग, वर्कशॉप और अवेयरनेस प्रोग्राम्स के जरिए लोगों की मदद करता है।
आमिर खान ने भी इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल किसी भी बड़े करियर उपलब्धि से कम नहीं है।
आयरा और आमिर के इस इंटरव्यू को सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है।
लोगों ने आयरा की ईमानदारी और भावनात्मक मजबूती की तारीफ की है।
कई यूजर्स ने कहा कि आयरा की बातें आज के युवाओं की भावनाओं से गहराई से जुड़ती हैं।
आयरा खान की कहानी बताती है कि संवेदनशीलता कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है।
उन्होंने दिखाया कि असफलता के डर और सामाजिक अपेक्षाओं के दबाव के बावजूद कैसे एक इंसान अपनी राह बना सकता है।
उनकी यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो आत्ममूल्यांकन, सामाजिक अपेक्षाओं और मानसिक स्वास्थ्य की जंग लड़ रहा है।
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