विश्वामित्र सेना के संरक्षण में संचालित श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम आज सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का जीवंत उदाहरण बन चुका है। यह गुरुकुल न सिर्फ बच्चों को modern education से जोड़ता है, बल्कि उन्हें अपनी गौरवशाली संस्कृति और परंपराओं से भी परिचित कराता है। यहाँ का वातावरण इतना प्रेरणादायी है कि हर छात्र के भीतर अनुशासन, भक्ति और उत्साह का संचार होता है।
प्रातःकालीन समय में जब विद्यार्थी वेद मंत्रों, श्लोकों और प्रार्थनाओं का उच्चारण करते हैं, तो पूरा परिसर दिव्यता से भर उठता है। यह दृश्य किसी तपोभूमि की याद दिलाता है और हर किसी को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
गुरुकुलम में शिक्षा का स्वरूप बेहद संतुलित है। यहाँ विद्यार्थियों को संस्कृत, वेद, उपनिषद और धर्मशास्त्र का ज्ञान दिया जाता है। साथ ही, आधुनिक युग की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए विज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी और कंप्यूटर जैसी पढ़ाई भी कराई जाती है।
इसका उद्देश्य सिर्फ अकादमिक दक्षता नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को नैतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी मजबूत बनाना है। यही संतुलन उन्हें modern competition के लिए सक्षम बनाता है और भारतीय मूल्यों से भी जोड़े रखता है।
गुरुकुलम के आचार्य केवल शिक्षक की भूमिका में नहीं होते, बल्कि वे विद्यार्थियों के जीवन के आदर्श मार्गदर्शक होते हैं। वे बच्चों में अनुशासन, संस्कार, राष्ट्रभक्ति और चरित्र निर्माण का बीजारोपण करते हैं।
इस holistic approach से विद्यार्थी केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए भी तैयार होते हैं।
गुरुकुल का सबसे बड़ा आकर्षण इसका आध्यात्मिक वातावरण है। सुबह-सुबह गूंजते वेद मंत्र और श्लोक न सिर्फ परिसर को दिव्यता से भरते हैं, बल्कि विद्यार्थियों की आत्मा को भी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
यह वातावरण छात्रों को शिक्षा को सिर्फ नौकरी का साधन मानने से रोकता है। यहाँ शिक्षा जीवन मूल्यों और राष्ट्र निर्माण से जुड़ जाती है।
इस गुरुकुल का मुख्य उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करना है, जो भविष्य में समाज और देश के स्तंभ बनें। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले युवा भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ये विद्यार्थी प्राचीन परंपरा के ज्ञान को आधुनिक विज्ञान और तकनीक से जोड़कर देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम होंगे।
विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे का कहना है कि श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि यह सनातन संस्कृति का जीवंत केंद्र है।
उनके अनुसार यहाँ की शिक्षा छात्रों को सिर्फ नौकरी का अभ्यर्थी नहीं, बल्कि जीवन का साधक और राष्ट्र का सेवक बनाती है। उनका विश्वास है कि यह गुरुकुल समाज को ऐसे आदर्श नागरिक देगा, जो धर्म और संस्कृति की रक्षा करेंगे और राष्ट्र गौरव को बनाए रखेंगे।
श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम आज के समय में शिक्षा का ऐसा आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रहा है, जिसमें tradition और modernity का संतुलन है। यह विद्यार्थियों को न केवल competitive दुनिया के लिए तैयार करता है, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति से भी गहराई से जोड़े रखता है।
यह गुरुकुल आने वाले समय में ऐसे युवाओं को तैयार करेगा, जो समाज और राष्ट्र के लिए आदर्श साबित होंगे। इसके माध्यम से भारत को पुनः Vishwaguru बनाने का सपना और साकार होता दिखाई दे रहा है।
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