KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के 81,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में टैबलेट वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा, स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस और कंप्यूटर लैब्स की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
इस डिजिटल बदलाव का उद्देश्य है शिक्षा में तकनीक का समावेश, जिससे सरकारी स्कूलों के छात्र भी निजी स्कूलों की तरह आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जुड़ सकें। साथ ही, शिक्षकों को टैबलेट और स्मार्ट क्लास के उपयोग की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (BEPC) के निदेशक मयंक वरवड़े ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस योजना के अंतर्गत:
प्रत्येक प्राथमिक और मध्य विद्यालय को दो टैबलेट दिए जाएंगे।
माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को छात्रों की संख्या के अनुसार दो से तीन टैबलेट मिलेंगे।
इसका मुख्य उद्देश्य है कि शिक्षक और छात्र दोनों डिजिटल संसाधनों का लाभ उठा सकें, जिससे शिक्षा और ज्यादा प्रभावशाली बन सके।
इस योजना के अंतर्गत टैबलेट वितरण की पूरी प्रक्रिया सुनियोजित और पारदर्शी रखी जाएगी:
टैबलेट का वितरण प्रखंड शिक्षा कार्यालय या प्रखंड संसाधन केंद्रों (BRC) के माध्यम से किया जाएगा।
जिला स्तर पर टैबलेट की आपूर्ति का पूरा रिकॉर्ड संधारित किया जाएगा।
टैबलेट डिलीवरी के समय प्राप्त चालान की एक प्रति राज्य कार्यालय को भेजी जाएगी।
सभी स्कूलों के लिए प्रखंडवार वितरण सूची तैयार की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी स्कूलों को समय पर टैबलेट मिल जाएं।
इस प्रणाली के ज़रिए सरकार डिजिटल संसाधनों का सही उपयोग और पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
टैबलेट केवल देने से उद्देश्य पूरा नहीं होता, इसलिए बिहार सरकार ने शिक्षकों को डिजिटल टूल्स के उपयोग की ट्रेनिंग देने का निर्णय भी लिया है। इस प्रशिक्षण में शामिल होंगे:
टैबलेट का संचालन और देखरेख
शैक्षणिक ऐप्स और डिजिटल सामग्री का इस्तेमाल
स्मार्ट क्लासेस में डिजिटल बोर्ड और प्रेजेंटेशन की तकनीक
साइबर सुरक्षा और बच्चों के लिए सुरक्षित डिजिटल उपयोग के नियम
इस ट्रेनिंग से शिक्षकों की डिजिटल दक्षता बढ़ेगी और वे छात्रों को नए और प्रभावी तरीकों से पढ़ा सकेंगे।
बिहार सरकार ने यह भी घोषणा की है कि अब मिडिल स्कूलों (कक्षा 6 से 8 तक) में भी कंप्यूटर क्लासेस शुरू की जाएंगी। शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को वित्त विभाग से स्वीकृति मिल चुकी है और पहले चरण में 31,297 स्कूलों में इसका कार्यान्वयन किया जाएगा।
इन स्कूलों में स्थापित किए जाएंगे:
कंप्यूटर लैब्स
स्मार्ट क्लास रूम सेटअप
बेसिक कंप्यूटर शिक्षा का सिलेबस
इंटरनेट कनेक्टिविटी और मेंटेनेंस सपोर्ट
यह कदम खासतौर पर उन छात्रों के लिए लाभकारी होगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई करते हैं और निजी स्कूलों जैसी सुविधा उन्हें उपलब्ध नहीं होती।
बिहार सरकार की इस योजना का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों के छात्र भी तकनीकी रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर बनें। इस पहल के माध्यम से छात्रों को मिलेगा:
डिजिटल कंटेंट तक पहुंच
कंप्यूटर और इंटरनेट की बेसिक जानकारी
ऑडियो-वीडियो के माध्यम से इंटरैक्टिव लर्निंग
शहरी और ग्रामीण छात्रों के बीच डिजिटल गैप को कम करना
डिजिटल टूल्स के माध्यम से पढ़ाई करना अब ग्लोबल लर्निंग का हिस्सा बन चुका है, और बिहार सरकार इसे हर बच्चे तक पहुंचाना चाहती है।
यह योजना सुनिश्चित करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी डिजिटल शिक्षा मिले, जिससे वे प्रतिस्पर्धा में पीछे न रहें।
ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षक नई तकनीक के साथ आत्मविश्वास से पढ़ा सकेंगे।
स्मार्ट क्लास और टैबलेट से शिक्षकों को ऑनलाइन कंटेंट, वीडियो और प्रेजेंटेशन की मदद मिलेगी, जिससे पढ़ाई ज्यादा रोचक और प्रभावशाली बनेगी।
डिजिटल उपकरणों से उपस्थिति, मूल्यांकन और रिपोर्टिंग जैसी प्रक्रियाएं आसान और सटीक हो जाएंगी।
हालांकि यह पहल प्रशंसनीय है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां हो सकती हैं:
टैबलेट की सही समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना
बिजली और इंटरनेट की व्यवस्था, खासकर ग्रामीण इलाकों में
डिवाइस की सुरक्षा और मेंटेनेंस
टैबलेट और कंप्यूटर का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित करना
सरकार को चाहिए कि टैबलेट और कंप्यूटर के उपयोग पर नियमित मॉनिटरिंग और मूल्यांकन व्यवस्था बनाए।
इस कदम के साथ बिहार अब केरल, दिल्ली, कर्नाटक जैसे राज्यों की श्रेणी में आ गया है, जहां सरकारी स्कूलों को डिजिटल रूप दिया जा रहा है। बिहार की खासियत यह है कि वह इतने बड़े स्तर पर एकसाथ टैबलेट और कंप्यूटर शिक्षा लागू कर रहा है, जिससे इसका प्रभाव बहुत व्यापक हो सकता है।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना बिहार की शिक्षा व्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार कर सकती है, बशर्ते इसका लंबे समय तक सही क्रियान्वयन किया जाए।
NGO और निजी शिक्षा टेक्नोलॉजी कंपनियों की मदद से सरकार को ट्रेनिंग मॉड्यूल, कंटेंट डेवलपमेंट और तकनीकी सपोर्ट में भी फायदा हो सकता है।
बिहार सरकार की यह पहल — 81 हजार स्कूलों में टैबलेट वितरण और 31 हजार मिडिल स्कूलों में कंप्यूटर क्लास की शुरुआत, राज्य की शिक्षा प्रणाली में डिजिटल युग की शुरुआत है।
यह योजना न केवल छात्रों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि शिक्षकों को भी आधुनिक शिक्षण पद्धतियों के साथ अपडेट करेगी। अगर इसे ईमानदारी से लागू किया गया, तो यह पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है।
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