KKN गुरुग्राम डेस्क | सीतामढ़ी के पास नरकटियागंज-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलखंड के दोहरीकरण के लिए 130 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह परियोजना 255.5 किलोमीटर लंबी है और 2020 में रेलवे बोर्ड से मंजूरी प्राप्त कर चुकी थी। रेलवे बोर्ड द्वारा डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को मंजूरी मिलने के बाद इस परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा, जो क्षेत्र में रेल सेवाओं में सुधार लाएगा और यात्रियों को समय की बचत होगी।
सीतामढ़ी से नरकटियागंज-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन के दोहरीकरण को लेकर 130 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस दोहरीकरण परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की रेल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाना और यात्रियों को समय की बचत कराना है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद यात्री बेहतर यात्रा अनुभव का लाभ उठा सकेंगे।
रेलवे बोर्ड द्वारा 2020 में इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। हाल ही में इस परियोजना को फिर से गति मिली है, और डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद अब इस पर काम शुरू होने जा रहा है।
नरकटियागंज-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन के दोहरीकरण की यह परियोजना 255.5 किलोमीटर लंबी है। इस परियोजना के अंतर्गत 301 पुलों और 176 समपार फाटकों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें 100 बड़े पुलों और 201 पुलियों का निर्माण शामिल है। इसके अलावा, यह परियोजना यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी यात्रा सुनिश्चित करेगी। इस दोहरीकरण के बाद, रेलवे मार्ग पर ट्रेनों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे यात्रियों को समय की बचत और कम भीड़ का लाभ मिलेगा।
रेलवे सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना पर काम 2025 के नवंबर या दिसंबर महीने से युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया जाएगा, और 2029 तक यह पूरी हो जाने की संभावना है। इसके साथ ही, परियोजना के अंतर्गत पहली रेल लाइन से दूसरी लाइन की दूरी तय की जाएगी। इस परियोजना के तहत दोहरीकरण का काम तेजी से पूरा किया जाएगा और इसे कठोर समयसीमा के भीतर पूरा किया जाएगा।
रेलवे लाइन के दोहरीकरण से यात्रियों को लेटलतीफी से मुक्ति मिलेगी। पहले से अधिक ट्रेनें एक साथ दौड़ सकेंगी, जिससे यात्रियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इस परियोजना से कम समय में लंबी दूरी तय की जा सकेगी, जिससे यात्रा का अनुभव और बेहतर होगा।
इस परियोजना में 301 पुलों और 176 समपार फाटकों के निर्माण के साथ-साथ रेलवे लाइन पर सुरक्षा उपायों को भी मजबूत किया जाएगा। इसके माध्यम से नए पुलों और स्तरीय क्रॉसिंग के निर्माण से दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी, और यात्री अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने इस परियोजना के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की थी और उन्हें इस परियोजना की आवश्यकता के बारे में बताया था। सांसद ठाकुर ने रेल मंत्री से आग्रह किया कि वे इस परियोजना को गंभीरता से लें, क्योंकि यह क्षेत्रीय विकास और आवश्यकता को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण था।
इसके बाद, लगभग चार महीने पहले डीपीआर तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेजा गया था, और अब इस पर काम शुरू होने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल चुकी है। सांसद ठाकुर ने बताया कि यह परियोजना क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, और इसके माध्यम से रेल यात्रा में सुधार होगा।
रेलवे बोर्ड ने इस परियोजना की मंजूरी देने के बाद 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के टेंडर को अंतिम रूप दिया है। टेंडर प्रक्रिया के बाद, इंजीनियरों की एक टीम ने यह सुनिश्चित किया कि पहली रेल लाइन से दूसरी रेल लाइन की दूरी कितनी रखी जाएगी और इसे युद्ध स्तर पर जल्द पूरा करने के लिए योजनाएं बनाई गई हैं।
इस परियोजना की शुरुआत से रेलवे मंत्रालय और क्षेत्रीय नेताओं के प्रयासों से इसे तीव्र गति दी गई है, और अब यह परियोजना 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखती है।
इस परियोजना का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव बहुत सकारात्मक होने की संभावना है। बेहतर रेल कनेक्टिविटी और समय की बचत से व्यापार और यातायात में सुधार होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, यह परियोजना दूरदराज के क्षेत्रों को अधिक संपर्क और विकास के अवसर प्रदान करेगी।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद, इन प्रमुख रेल मार्गों पर यातायात की गति बढ़ेगी, जिससे क्षेत्र में विकास और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इस रेल नेटवर्क के दोहरीकरण से न केवल यात्री सेवा में सुधार होगा, बल्कि वाणिज्यिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स में भी लाभ मिलेगा, जो स्थानीय व्यवसायों और व्यापारियों के लिए फायदेमंद होगा।
नरकटियागंज-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन का दोहरीकरण बिहार के रेल नेटवर्क को मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 130 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि और डीपीआर की मंजूरी के बाद यह परियोजना अब तेजी से अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाली है। इसके पूरे होने से न केवल यात्रियों के लिए सुविधाएं बेहतर होंगी, बल्कि बिहार के आर्थिक विकास में भी यह एक अहम योगदान होगा।
2029 तक इस परियोजना के पूरा होने के बाद, रेल यात्रा में समय की बचत और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, बिहार का रेल नेटवर्क एक नई दिशा में कदम बढ़ाएगा, जो यात्रियों और व्यापारियों दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
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