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बिहार में बाढ़ का कहर: आधा राज्य पानी-पानी, हजारों परिवार बेघर

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बिहार इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। लगातार बारिश और नदियों के उफान से आधा बिहार जलमग्न हो चुका है। कई गांव पूरी तरह डूब गए हैं, सड़कों पर नावें चल रही हैं और लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण ले रहे हैं।

मुगेर, भागलपुर और कटिहार जैसे जिलों में हालात बेहद खराब हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और कई परिवार रेलवे ट्रैक पर अस्थायी ठिकाने बनाकर दिन गुजारने को मजबूर हैं।

कटिहार से ग्राउंड रिपोर्ट

कटिहार जिले के कुरसेला नगर पंचायत का बाघमारा गांव पूरी तरह पानी में डूबा है। गांव की मुख्य सड़क पर करीब साढ़े तीन फीट पानी जमा है। गंगा और कोसी के संगम क्षेत्र में बसे इस गांव के घरों में चार फीट तक पानी भर चुका है।

हालांकि, गंगा का जलस्तर थोड़ा घटा है लेकिन पूरी तरह पानी सूखने में दो से तीन महीने का समय लग सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नावों के सहारे ही गांव में आना-जाना हो पा रहा है।

मुंगेर: रेलवे ट्रैक पर शरण लेने को मजबूर परिवार

मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड के नीरपुर पंचायत की तस्वीरें और भी डरावनी हैं। यहां के गांव चारों तरफ से पानी से घिरे हैं। झोपड़ियां और घर जलमग्न हैं और लोगों के पास रहने की कोई जगह नहीं बची है।

मजबूरी में सैकड़ों परिवारों ने रेलवे ट्रैक के किनारे शरण ली है। सरकार की ओर से दिए गए पॉलिथीन शीट से लोगों ने अस्थायी आशियाने बना लिए हैं। यह बेहद खतरनाक स्थिति है क्योंकि पास से ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन फिलहाल इनके पास कोई और विकल्प नहीं है।

भागलपुर की मुश्किलें

भागलपुर जिले के निचले इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं। यहां के ग्रामीण नावों और सरकारी सहायता पर निर्भर हैं। स्कूलों को Relief Camp में तब्दील कर दिया गया है और प्रशासन की ओर से कुछ नावें उपलब्ध कराई गई हैं।

स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि गंदे पानी और भीड़भाड़ वाले कैंप में waterborne diseases तेजी से फैल सकते हैं। डाक्टरों की टीमें गांव-गांव जाकर दवाइयां और क्लोरीन टैबलेट बांट रही हैं।

रोजमर्रा की जिंदगी पर असर

बाढ़ से लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। बच्चे अस्थायी नावों से खेलते दिख रहे हैं, बाज़ार बंद पड़े हैं और स्कूलों में पढ़ाई रुक चुकी है।

कई परिवार Dry Ration और सामुदायिक किचन पर निर्भर हैं। घरों में पानी घुसने की वजह से लोग खाना नहीं पका पा रहे हैं। पीने का साफ पानी नहीं होने के कारण लोगों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा और बढ़ गया है।

सरकार की ओर से राहत कार्य

बाढ़ प्रभावित इलाकों में Rescue Operation चलाया जा रहा है। अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। प्रशासन ने स्कूलों और सामुदायिक भवनों को Relief Camp में बदला है।

हालांकि, प्रभावित लोगों का कहना है कि राहत सामग्री पर्याप्त नहीं है। कई जगहों पर लोगों को कई दिनों तक खाना और पानी नहीं मिल पा रहा।

रेलवे ट्रैक बने अस्थायी कैंप

इस बार की बाढ़ की सबसे दर्दनाक तस्वीरें रेलवे ट्रैक से आ रही हैं। हजारों परिवारों ने पटरियों के किनारे तंबू गाड़ लिए हैं। बच्चे पटरियों के पास खेल रहे हैं और परिवार असुरक्षित परिस्थितियों में रह रहे हैं।

भोजन बनाने के लिए लोग छोटे चूल्हे जला रहे हैं और रात गुजारने के लिए पॉलिथीन को छत बना रहे हैं।

बाढ़ से आर्थिक नुकसान

बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। धान के खेत जलमग्न हो गए हैं और फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। मवेशियों की मौत से ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

छोटे कारोबार बंद हो चुके हैं और परिवहन व्यवस्था पूरी तरह बाधित है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाढ़ से हजारों परिवार गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे।

हर साल दोहराता संकट

बिहार में हर साल बाढ़ का संकट दोहराया जाता है। गंगा, कोसी और गंडक जैसी नदियां भारी बारिश के बाद उफान पर आ जाती हैं और बड़े पैमाने पर तबाही मचाती हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थायी समाधान के लिए बेहतर Embankment Management और Drainage System की ज़रूरत है। लेकिन अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

स्वास्थ्य और मानवीय संकट

सबसे बड़ी चुनौती अब लोगों को बीमारियों से बचाना है। जगह-जगह पानी जमा है और मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। डायरिया, कॉलरा और मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा है।

सरकार ने Mobile Medical Teams तैनात की हैं, लेकिन प्रभावित परिवारों की संख्या इतनी अधिक है कि राहत कार्य अपर्याप्त साबित हो रहा है।

बिहार बाढ़ 2025 ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जैसे जिलों की स्थिति बेहद गंभीर है। गंगा का जलस्तर भले ही थोड़ा घटा हो, लेकिन सामान्य स्थिति लौटने में महीनों लगेंगे।

लोगों का जीवन अभी रेलवे ट्रैक और Relief Camp में बीत रहा है। जब तक पानी पूरी तरह नहीं उतरता, तब तक उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। यह आपदा एक बार फिर दिखा रही है कि बिहार को लंबे समय तक राहत देने के लिए ठोस नीतियों और स्थायी समाधान की ज़रूरत है।

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Akriti Sinha

Akriti Sinha is a Content Producer at KKN Live and has been working with the organization since 2017. With deep experience in journalism, she covers a wide range of topics including world news, agriculture, accidents, social issues, and important stories from Bihar and other parts of India. She completed her post-graduation in Journalism from Delhi University and holds a B.Tech degree in Computer Science. Her background in both technology and media helps her explain complex topics in a clear and engaging way. Before joining KKN Live, Akriti gained hands-on experience as a correspondent at Dainik Jagran and as an intern at Navbharat Times. Being from Patna, Bihar, she has a strong understanding of local issues but writes with equal depth and clarity on national and international topics as well. 📩 You can reach her at akritisinha466@gmail.com

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Tags: Flood Flood in bihar

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