KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में सड़क अधोसंरचना को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के चार प्रमुख जिलों—नालंदा, लखीसराय, आरा और राजगीर—में तीन नए बायपास बनाए जा रहे हैं। इन परियोजनाओं पर कुल ₹600 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इस ऐलान को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान किया, जो राज्य में विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए की जा रही है। बायपास निर्माण कार्य की शुरुआत हो चुकी है, जिससे राज्य के रोड नेटवर्क को नया आयाम मिलने वाला है।
बिहार के बक्सर और रोहतास जिलों को जोड़ने वाले आरा-मोहनिया बायपास की लंबाई लगभग 12.25 किलोमीटर होगी। इसे पथ निर्माण प्रमंडल कोचस के अंतर्गत बनाया जा रहा है और इसकी लागत करीब ₹54 करोड़ होगी।
यह बायपास आरा और मोहनिया के बीच भारी ट्रैफिक से राहत दिलाएगा और यात्रा समय को कम करेगा। स्थानीय लोगों और यात्रियों को इसके निर्माण से बड़ी सहूलियत मिलेगी।
यह बायपास नालंदा और लखीसराय जिलों को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। इसकी लंबाई करीब 21.5 किलोमीटर होगी और इस पर लगभग ₹481 करोड़ की लागत आएगी।
वर्तमान में इन जिलों के बीच ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या है। इस बायपास के बन जाने से यात्रा न केवल सुविधाजनक होगी, बल्कि ट्रैफिक में लगने वाले समय की भी बचत होगी। यह बायपास माल और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही में मदद करेगा और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण राजगीर को और अधिक बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए NH-82 पर स्थित राजगीर बायपास को दो लेन से चार लेन में विस्तारित किया जा रहा है। यह परियोजना हसनपुर गांव से राजगीर इंटरनेशनल स्पोर्ट्स अकादमी तक फैली होगी और इस पर लगभग ₹139 करोड़ की लागत आएगी।
इसका फायदा न केवल पर्यटकों को मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में हो रहे खेल आयोजनों और विकास कार्यों को भी गति मिलेगी। यह राजगीर को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इन बायपास परियोजनाओं से स्थानीय निवासियों और यात्रियों को कई तरह के लाभ होंगे। ये सड़कें न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, बल्कि आर्थिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारेंगी।
शहरों के बीच यातायात को बायपास कर देने से भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में ट्रैफिक कम होगा और सफर अधिक सुगम होगा।
राजगीर, नालंदा और लखीसराय जैसे प्रमुख स्थलों की बेहतर पहुंच से पर्यटन, व्यापार और निवेश को बल मिलेगा।
बेहतर सड़कें माल और सेवाओं की तेजी से आपूर्ति में मदद करेंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और रोज़गार को लाभ होगा।
अच्छी और सुरक्षित सड़कों से यात्रियों और स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी और दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
इन बायपास परियोजनाओं की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान की। इस यात्रा का उद्देश्य राज्य भर में चल रही विकास योजनाओं की समीक्षा करना है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इन परियोजनाओं को तेज़ी और गुणवत्ता के साथ पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
नीतीश कुमार की यह पहल बिहार को मजबूत सड़क नेटवर्क प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, जिससे राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई दिशा मिलेगी।
हालांकि परियोजनाओं का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन इसकी पूर्णता समयसारिणी संसाधनों की उपलब्धता और निर्माण की गति पर निर्भर करेगी। अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में ये बायपास बनकर तैयार हो जाएंगे।
राज्य सरकार की योजना केवल इन तीन परियोजनाओं तक सीमित नहीं है। आने वाले समय में और बायपास, फ्लाईओवर और हाईवे भी प्रस्तावित हैं, जिससे बिहार की सड़क व्यवस्था पूरी तरह से आधुनिक बन सके।
बिहार में ₹600 करोड़ की लागत से बनने वाले ये तीन बायपास—आरा-मोहनिया, सर्मारा से पचना ग्रीनफील्ड, और राजगीर बायपास विस्तार—राज्य की सड़क व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम हैं। इससे न केवल यातायात में सुधार होगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुरू हुई इन परियोजनाओं से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जैसे-जैसे ये परियोजनाएं पूरी होंगी, बिहार का भविष्य बेहतर सड़कें, तेज़ यात्रा और समृद्ध अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा।
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