KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। RJD (Rashtriya Janata Dal) के विधायक भाई वीरेंद्र के बयान ने पार्टी में मतभेद पैदा कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन (Mahagathbandhan) में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन तेजस्वी यादव इस फैसले के खिलाफ हैं।
नीतीश कुमार को लेकर RJD में दो अलग-अलग राय सामने आ रही हैं। एक तरफ, भाई वीरेंद्र का दावा है कि नीतीश कुमार फिर से महागठबंधन में आना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने दिल्ली में मुख्यमंत्री रेणु गुप्ता के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। वहीं दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव स्पष्ट कर चुके हैं कि वह नीतीश कुमार को दोबारा अपने साथ नहीं लेंगे।
RJD के भीतर मतभेद, क्या फिर लौटेंगे नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार की वापसी को लेकर RJD में असमंजस की स्थिति बन गई है। तेजस्वी यादव जहां उन्हें दोबारा गठबंधन में लेने के खिलाफ हैं, वहीं कुछ नेता जैसे भाई वीरेंद्र मानते हैं कि महागठबंधन की ताकत बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार को फिर से जोड़ा जा सकता है।
इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या RJD अब भी नीतीश कुमार के बिना अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है? या फिर राजनीतिक समीकरण बदलने वाले हैं?
बिहार की राजनीति में क्यों अहम हैं नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं। चाहे वह BJP के साथ रहे हों या RJD के साथ, उनकी राजनीतिक पकड़ हमेशा मजबूत रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि JDU (Janata Dal United) अकेले बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन जब भी वह किसी गठबंधन का हिस्सा बनती है, उस गठबंधन की ताकत कई गुना बढ़ जाती है। यही वजह है कि BJP और RJD दोनों उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते।
क्या लालू यादव भी नीतीश को महागठबंधन में देखना चाहते हैं?
इससे पहले, RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी संकेत दे चुके हैं कि अगर नीतीश कुमार BJP को छोड़ते हैं, तो वह महागठबंधन में उनकी वापसी के लिए तैयार होंगे।
जनवरी में लालू यादव ने कहा था कि “राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता”। उन्होंने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार की पिछली गलतियों को माफ किया जा सकता है।
अब बड़ा सवाल यह है कि RJD का नेतृत्व क्या तय करेगा? क्या वे भाई वीरेंद्र के बयान से खुद को अलग करेंगे, या फिर नीतीश कुमार को लेकर अपने रुख में बदलाव करेंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय के अनुसार, भाई वीरेंद्र के बयान को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि RJD में अब सभी बड़े फैसले तेजस्वी यादव ही लेते हैं। चूंकि तेजस्वी पहले ही कह चुके हैं कि वह नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, इसलिए भाई वीरेंद्र के बयान का कोई राजनीतिक महत्व नहीं रह जाता।
हालांकि, बिहार की राजनीति हमेशा अनिश्चितताओं से भरी रहती है और सियासी समीकरण कभी भी बदल सकते हैं।
क्या भाई वीरेंद्र तेजस्वी यादव की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं?
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाई वीरेंद्र के बयान के पीछे एक रणनीति हो सकती है।
उनके बयान से ऐसा लग सकता है कि वह तेजस्वी यादव से अलग सोच रखते हैं, लेकिन असल में वह नीतीश कुमार की छवि को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।
उनके इस बयान से जनता को नीतीश कुमार के बार-बार गठबंधन बदलने की याद दिलाई जा रही है, जिससे उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
इसी वजह से, RJD भाई वीरेंद्र के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की संभावना नहीं रखता।
बिहार में बिना नीतीश कुमार के RJD की ताकत
अगर RJD बिना नीतीश कुमार के आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे अपने संगठन को और मजबूत करना होगा।
तेजस्वी यादव अब पार्टी के मुख्य रणनीतिकार बन चुके हैं, और उनकी कोशिश है कि RJD को किसी और पार्टी पर निर्भर न रहना पड़े।
अगर RJD अकेले मजबूती से उभरता है, तो भविष्य में उसे नीतीश कुमार की जरूरत नहीं होगी। लेकिन अगर चुनावी समीकरण बदलते हैं, तो राजनीति में दोबारा गठबंधन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
क्या भविष्य में बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण?
बिहार की राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार कई बार पाला बदल चुके हैं।
- 2013 में उन्होंने BJP से नाता तोड़कर RJD के साथ गठबंधन किया।
- 2017 में उन्होंने फिर से BJP का दामन थाम लिया।
- 2022 में उन्होंने फिर से महागठबंधन में वापसी की।
- 2024 में एक बार फिर उन्होंने BJP के साथ हाथ मिला लिया।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भविष्य में एक बार फिर कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर होगा?
RJD में नीतीश कुमार को लेकर असमंजस बरकरार है।
जहां भाई वीरेंद्र का बयान बताता है कि कुछ नेता अब भी नीतीश कुमार की वापसी चाहते हैं, वहीं तेजस्वी यादव का सख्त रुख दिखाता है कि वह किसी भी सूरत में पुराने रिश्ते नहीं जोड़ना चाहते।
जैसे-जैसे बिहार में आगामी चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि RJD और JDU के रिश्तों में कोई नया मोड़ आता है या नहीं।
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