2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बड़ी जीत के बाद, बिहार की राजनीति पर इसके प्रभाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषक यह अनुमान लगा रहे हैं कि दिल्ली के नतीजों का असर बिहार की राजनीति पर किस हद तक पड़ेगा और यह आगामी चुनावों के लिए क्या नया मोड़ ला सकता है।
दिल्ली चुनाव में BJP की जीत ने बिहार में पार्टी की रणनीति को और आक्रामक बना दिया है। पार्टी की कोशिश है कि 2025 के चुनाव में वह बिहार के अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा कर सके। वर्तमान में BJP बिहार की सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है, लेकिन पार्टी का लक्ष्य राज्य में अपनी ताकत बढ़ाना है। इसके लिए BJP ने अपनी चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिहार में BJP और उसके गठबंधन साथी JD(U) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर क्या सहमति बन पाएगी। JD(U) के नेता लगातार यह दावा करते रहे हैं कि वे बिहार में बड़े भाई हैं, और आगामी चुनाव में भी अधिक सीटों पर दावा करेंगे। वहीं BJP इस पर सहमति बनाने के लिए तैयार नहीं है।
बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन NDA के भीतर JD(U) और BJP के बीच सीटों को लेकर असहमतियां बढ़ती जा रही हैं। JD(U) का कहना है कि बिहार में उनका प्रभुत्व है, इसलिए वे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर सकते हैं। BJP को इससे आपत्ति है। हालांकि दोनों दलों ने एकता का दावा किया है, सीट बंटवारे को लेकर टकराव बढ़ने की संभावना है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, JD(U) ने BJP से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। अब यह देखना होगा कि क्या BJP इसके लिए तैयार हो पाएगी या नहीं।
महागठबंधन, जिसमें प्रमुख रूप से आरजेडी और कांग्रेस शामिल हैं, भी अपने भीतर की असहमति और रणनीतिक मुद्दों से जूझ रहा है। बिहार में आरजेडी का सबसे मजबूत पकड़ है, लेकिन इसके बावजूद आगामी चुनाव में महागठबंधन के पास क्या विकल्प होंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
कांग्रेस के लिए 2025 का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होगा, खासकर दिल्ली चुनाव में उसके खराब प्रदर्शन के बाद। इसके चलते यह संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस को बिहार में कम सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, कांग्रेस अपने हिस्से की सीटों को लेकर समझौता करने के लिए तैयार नहीं होगी। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने महागठबंधन में रहते हुए 70 सीटें लड़ी थीं, लेकिन इनमें से केवल 19 सीटों पर ही उसकी जीत हुई थी।
2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में एक नई चुनौती जन सुराज पार्टी के रूप में सामने आ सकती है। यह पार्टी प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित की गई है, जो राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। किशोर ने पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाई है, और अब उनकी पार्टी अपनी रणनीति के साथ बिहार में एक नया विकल्प देने का प्रयास कर रही है।
हालांकि, जन सुराज पार्टी की ओर से फिलहाल कोई बड़ा चुनावी प्रभाव नहीं देखा गया है, लेकिन किशोर का ध्यान विशेष रूप से बिहार के युवा वोटरों पर है। बिहार में युवा वर्ग में बढ़ती असंतोष और निराशा को देखते हुए जन सुराज पार्टी इस क्षेत्र में अपनी जमीन बनाने की कोशिश कर सकती है।
कांग्रेस पार्टी के लिए बिहार में अपनी राजनीतिक स्थिति बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी। पिछले कुछ चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा है, और दिल्ली चुनाव में उसकी हार के बाद बिहार में उसके प्रभाव में और कमी आ सकती है। फिर भी कांग्रेस महागठबंधन में एक मजबूत भूमिका निभाने की कोशिश करेगी, और सीटों के बंटवारे को लेकर अपनी बात रखेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करेगी, हालांकि महागठबंधन में इस पर सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है। बिहार में कांग्रेस की स्थिति अभी भी कमजोर मानी जा रही है, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी होने के कारण वह चुनावी बातचीत में अपना वजन डालेगी।
इस समय बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि बिहार में चुनाव समय से पहले हो सकते हैं। कई सूत्रों के मुताबिक, चुनाव जून-जुलाई तक हो सकते हैं। इसका कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा और उनके द्वारा की जा रही ताबड़-तोड़ घोषणाएं हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि बिहार में जल्द चुनाव हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर भी कई चर्चाएं हो रही हैं, जिनका असर चुनावों पर पड़ सकता है। हालांकि, इस समय तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन राज्य की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए समय से पहले चुनाव की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनावी तस्वीर कुछ जटिल होती जा रही है। बीजेपी, महागठबंधन और अन्य छोटे दलों के बीच सीटों को लेकर खींचतान बढ़ने के कारण चुनावी रणनीतियां तेज हो गई हैं। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी एक नई चुनौती के रूप में सामने आ सकती है।
बिहार की राजनीति के भविष्य को लेकर कई अनिश्चितताएं हैं। अगले कुछ महीने महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों और गठबंधनों पर काम करेंगे। बीजेपी की राष्ट्रीय जीत और JD(U) का राज्य में दबदबा, महागठबंधन की परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं।
महागठबंधन में RJD का नेतृत्व और कांग्रेस की घटती भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इन तमाम बदलावों के बीच, बिहार के मतदाताओं के लिए यह चुनाव एक बड़ा निर्णय होगा।
2025 का बिहार विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। बीजेपी, महागठबंधन और अन्य नए दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन की रणनीतियां और सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा, चुनाव के परिणामों को प्रभावित करेगी। बिहार की राजनीति में यह चुनाव निश्चित रूप से अहम बदलाव ला सकता है।
This post was published on फ़रवरी 19, 2025 18:00
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