उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक (SI) के 4543 पदों पर निकली भर्ती इस समय विवादों में घिर गई है। सरकार ने इस बार आयु सीमा में तीन साल की एकमुश्त छूट दी है, लेकिन अभ्यर्थियों का आरोप है कि यह फैसला भेदभावपूर्ण है। बड़ी संख्या में उम्मीदवार अब आयु सीमा में छूट को तीन से बढ़ाकर छह साल करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिन युवाओं को 2021 की भर्ती में मौका नहीं मिला, वे वास्तविक रूप से इस राहत के हकदार हैं।
इस विवाद की जड़ 2017 से जुड़ी है। उस समय यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि 2017 से 2019 तक हर साल 30 हजार कॉन्स्टेबल और 2018 से 2020 तक 3200 SI पदों पर भर्ती की जाएगी। लेकिन 2018 से प्रस्तावित भर्ती कभी नहीं आई और इसके बीच कोरोना महामारी ने स्थिति और खराब कर दी।
2021 में 9534 पदों पर SI भर्ती निकाली गई थी, लेकिन उस वक्त आयु सीमा में कोई छूट नहीं दी गई। अभ्यर्थियों ने विधानसभा से लेकर हाईकोर्ट तक गुहार लगाई। कुछ अभ्यर्थियों को कोर्ट के अंतरिम आदेश पर आवेदन का मौका तो मिला, लेकिन लिखित परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिली।
12 अगस्त 2025 को सरकार ने 4543 पदों पर नई भर्ती निकाली। इस बार उम्मीदवारों को आयु सीमा में तीन साल की छूट दी गई। यह फैसला कई उम्मीदवारों के लिए राहतभरा था, लेकिन बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने इसे अन्याय करार दिया। उनका कहना है कि 2022, 2023 और 2024 में ओवरएज हुए युवाओं को दोबारा मौका दिया जा रहा है, जबकि 2021 में उम्र पार कर चुके उम्मीदवार अब भी बाहर कर दिए गए हैं।
छात्र युवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय यादव का कहना है कि कोरोना काल में जब सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब कोई राहत नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद सरकार भर्ती समय पर नहीं निकाल पाई। अब अगर छूट दी जा रही है तो 2021 में कोर्ट और विधानसभा में आवाज उठाने वाले अभ्यर्थियों को भी इसका फायदा मिलना चाहिए।
अभ्यर्थियों का कहना है कि वास्तविक नुकसान उन्हें हुआ जो 2021 की भर्ती में आयु सीमा पार कर चुके थे। उन्हें उस समय भी राहत नहीं मिली और इस बार भी बाहर रखा गया। जबकि जिन उम्मीदवारों ने 2021 में परीक्षा दी और अब उम्र पार कर चुके हैं, उन्हें दोबारा मौका मिल रहा है। इसी आधार पर अब मांग की जा रही है कि आयु सीमा में छूट तीन साल नहीं बल्कि छह साल की दी जाए ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिले।
इस बार की भर्ती में तय आयु सीमा, तीन साल की छूट जोड़कर, इस प्रकार है –
जनरल और EWS उम्मीदवारों के लिए 21 से 31 वर्ष।
SC, ST, OBC उम्मीदवारों के लिए 21 से 36 वर्ष।
जन्मतिथि का निर्धारण भी तय है। जनरल और EWS वर्ग के लिए जन्म 2 जुलाई 1994 से 1 जुलाई 2004 के बीच होना चाहिए। वहीं SC, ST और OBC के लिए यह सीमा 2 जुलाई 1989 से 1 जुलाई 2004 तक रखी गई है।
सरकार ने साफ किया है कि यह छूट केवल इस बार के लिए मान्य होगी और 2020-21 से 2024-25 तक की सीधी भर्ती पर लागू रहेगी।
असंतोष की सबसे बड़ी वजह यह है कि छूट से लाभ पाने वालों में वही उम्मीदवार शामिल हैं जो पहले भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे। लेकिन जो 2021 में ओवरएज होकर बाहर रह गए, उन्हें मौका नहीं मिला। इन्हें लगता है कि सरकार ने असली पीड़ितों को दरकिनार कर दिया है।
कई अभ्यर्थियों ने कहा कि उनकी तैयारी के साल बर्बाद हो गए। कोरोना काल में जब सब बंद था, उन्होंने केवल पढ़ाई और प्रतियोगिता की तैयारी पर ध्यान दिया। लेकिन अब, जब सरकार छूट दे रही है, तो उन्हें लाभ से वंचित रखा गया है।
सरकार का कहना है कि तीन साल की छूट एक संतुलित फैसला है। अधिकारियों का मानना है कि छूट को और बढ़ाने से भर्ती प्रक्रिया का स्वरूप बिगड़ सकता है और पुलिस बल में आयु का असंतुलन आ सकता है। लेकिन बढ़ते दबाव को देखते हुए यह भी संभव है कि मामला फिर से कोर्ट तक पहुंचे।
4543 पदों पर निकली भर्ती में पहले से ही पांच लाख से ज्यादा उम्मीदवारों के शामिल होने की उम्मीद है। तीन साल की छूट से लाखों युवाओं को राहत तो मिली है, लेकिन बड़ी संख्या अब भी असंतुष्ट है। यदि सरकार छह साल की छूट मान लेती है तो उम्मीदवारों की संख्या और बढ़ जाएगी, जिससे कट-ऑफ और चयन की स्थिति भी बदल सकती है।
यह विवाद एक बार फिर सरकारी भर्तियों में देरी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। यदि 2017 में किए गए वादे के अनुसार हर साल भर्ती होती, तो आज इस तरह की स्थिति पैदा ही नहीं होती। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक भर्ती प्रक्रिया समयबद्ध और नियमित नहीं होगी, तब तक ऐसी समस्याएं और विवाद बने रहेंगे।
UP Police SI भर्ती 2025 की आयु सीमा छूट ने अभ्यर्थियों के बीच बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। सरकार ने तीन साल की राहत देकर कई युवाओं को अवसर दिया है, लेकिन 2021 में ओवरएज होकर बाहर हुए उम्मीदवार अब भी खुद को वंचित मानते हैं। उनकी मांग है कि छूट को बढ़ाकर छह साल किया जाए ताकि सभी को न्याय मिल सके।
अब देखना होगा कि सरकार इस दबाव में क्या रुख अपनाती है। क्या वह इस मांग को स्वीकार करेगी या फिर अभ्यर्थियों को एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
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