ईशनिंदा के आरोप में उग्र भीड़ से महिला को बचाने वाली बहादुर पुलिस अधिकारी

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जब अंधविश्वास तर्क पर हावी हो जाता है, तो अराजकता जन्म लेती है। पाकिस्तान के लाहौर की एक घटना में धार्मिक भावनाओं के नाम पर हुई हिंसा के बारें मे हम बात करेंगे। हालांकि, इस अंधेरे में एक रोशनी की किरण भी दिखी- एक महिला पुलिस अधिकारी, जिसकी सूझबूझ और इंसानियत ने एक जान बचाई। देखिए पूरी रिपोर्ट।

आज हम आपको लाहौर, पाकिस्तान से एक ऐसी घटना की कहानी सुनाएंगे जो आपको स्तब्ध कर देगी।

पिछले रविवार के दोपहर का वक्त था लाहौर के अछरा बाज़ार में पति के साथ शॉपिंग करने आई एक महिला को उग्र भीड़ ने घेर लिया। भीड़ का आरोप था कि महिला ने कथित तौर पर क़ुरान की आयत के प्रिंट वाला लिबास पहनकर धर्म का अपमान किया है।

हालांकि सूचना मिलने पर एएसपी सयैदा बानो नक़वी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं और उन्होंने स्थानीय उलेमा की मदद से उग्र भीड़ को समझाया और उनकी धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित किया। वो उस महिला को भी उनके बीच से सुरक्षित निकालने में सफल रही।

महिला ने स्थानिए मीडिया को बताया की उसे नहीं पता था कि उसके कुर्ते पर अरबी भाषा में लिखे शब्दों का क्या अर्थ है। उसने माफी मांगी और कहा कि वह दोबारा ऐसा नहीं करेगी।

इस काबिले तारीफ काम के लिए पंजाब पुलिस ने एएसपी सयैदा बानो नक़वी को सरकारी सम्मान और मेडल देने की सिफ़ारिश की है। घटना के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर अलग अलग प्रतिक्रियाँ दि और काफी लोग, महिला पुलिस अधिकारी के साहस और समझदारी की तारीफ कर रहे हैं। कुछ लोग महिला से माफ़ी मांगने के लिए कहने का भी विरोध कर रहे हैं।

चलते चलते बस इतना कहना है “अगर आम जनता अपनी आवाज़ उठा ले तो सत्ता पलट सकती है। हिंसा, अन्याय के ख़िलाफ़ यदि मिलकर आवाज़ उठाई जाए तो वह शक्ति उत्पन्न करती है। लेकिन अगर यही आवाज़ बिखर जाए तो शोर भी पैदा कर सकती है”

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