शुभमन गिल ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट में भारत की कप्तानी की कमान संभाली है, लेकिन उनकी कप्तानी की शुरुआत में ही एक ऐसा रिकॉर्ड बन गया है जो किसी भी कप्तान के लिए चिंता का कारण हो सकता है। इंग्लैंड के खिलाफ जारी टेस्ट सीरीज में, उनके नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजी क्रम को ऐसा अनुभव हुआ है जो पिछली तीन दशकों में नहीं देखा गया।
गिल की कप्तानी में, इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाजों ने एक ही सीरीज में दो बार 150 से अधिक रनों की साझेदारी की है। यह रिकॉर्ड भारतीय क्रिकेट इतिहास में दुर्लभ है और इससे पहले ऐसा 1990 में देखने को मिला था। वह दौर ऐसा था जब सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक भी नहीं बनाया था और विराट कोहली महज दो वर्ष के आसपास के थे।
इंग्लैंड की ओपनिंग जोड़ी का दोहरा वार
सीरीज के लीड्स टेस्ट की चौथी पारी में जैक क्रॉली और बेन डकेट ने भारत के खिलाफ 150 से ज्यादा रन की ओपनिंग साझेदारी की थी। इसके बाद मैनचेस्टर टेस्ट में भी यही जोड़ी एक बार फिर 150 रन से अधिक की पार्टनरशिप करने में सफल रही।
इस तरह एक ही टेस्ट सीरीज में दो बार इतनी बड़ी ओपनिंग पार्टनरशिप का बनना भारतीय गेंदबाजी के लिए खतरे की घंटी है। खासतौर पर तब, जब भारतीय टीम ने हाल के वर्षों में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी इकाइयों में अपनी गिनती कराई है।
2016 से 2024 तक ऐसा एक बार भी नहीं हुआ
यदि हम पिछली नौ साल की बात करें, यानी 2016 से 2024 तक, तो किसी भी विदेशी टीम ने भारत के खिलाफ एक भी बार 150+ रन की ओपनिंग साझेदारी नहीं की थी। लेकिन 2025 में महज एक महीने के अंतर में ऐसा दो बार हो चुका है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि यह बताता है कि मौजूदा गेंदबाजी रणनीति में कहीं न कहीं कमी रह गई है।
गिल, कोहली और रोहित की कप्तानी का तुलनात्मक विश्लेषण
गिल की तुलना जब भारत के पूर्व कप्तानों विराट कोहली और रोहित शर्मा से की जाती है, तो आंकड़े और भी हैरान करने वाले नजर आते हैं। विराट कोहली ने 68 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की थी और उनकी कप्तानी में केवल दो बार विरोधी टीमों ने भारत के खिलाफ 150+ ओपनिंग पार्टनरशिप की।
वहीं रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने 24 टेस्ट मैच खेले और उस दौरान एक बार भी यह आंकड़ा नहीं छुआ गया। इसके उलट, शुभमन गिल की कप्तानी में महज 4 मैचों में ही दो बार 150 रन से अधिक की ओपनिंग साझेदारी हो चुकी है।
यह अंतर सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि कप्तानी में अनुभव, फील्ड प्लेसमेंट, और मैच के दौरान लिए गए निर्णयों का भी है। एक अच्छी शुरुआत अक्सर मैच की दिशा तय करती है, और बार-बार शुरुआत में ही विकेट न ले पाना गेंदबाजी इकाई की मनोबल को प्रभावित करता है।
यह रिकॉर्ड क्यों बन गया चिंता की वजह?
1990 के बाद पहली बार किसी विरोधी टीम की सलामी जोड़ी ने भारत के खिलाफ एक ही सीरीज में दो बार 150+ की साझेदारी की है। यह तब हो रहा है जब भारतीय गेंदबाजी में तेज गेंदबाज और स्पिनर दोनों की मजबूत मौजूदगी है।
अब यह सवाल उठता है कि क्या यह गेंदबाजों की रणनीति में खामी है या कप्तानी की चूक? टेस्ट मैचों में नई गेंद से आक्रामक शुरुआत करना हमेशा से भारतीय रणनीति का हिस्सा रहा है। लेकिन इस सीरीज में बार-बार ओपनिंग जोड़ी द्वारा बड़ी साझेदारियां किए जाने से संकेत मिलते हैं कि कप्तानी में फुर्ती और निर्णयों में आक्रामकता की कमी देखी जा रही है।
क्या शुभमन गिल इस दबाव से उबर पाएंगे?
कप्तानी का दायित्व आसान नहीं होता, खासकर जब टीम का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा न उतरे। लेकिन हर कप्तान की परख उसी समय होती है जब वह कठिन परिस्थितियों से जूझता है। शुभमन गिल के पास अब यह मौका है कि वह अपनी रणनीति, सोच और फील्डिंग संयोजन को दोबारा परखें।
उन्हें जरूरत है बोलर्स के बीच आत्मविश्वास बढ़ाने की, फील्ड प्लेसमेंट में चतुराई दिखाने की और तेजी से प्रतिक्रिया देने की। गिल को समझना होगा कि शुरूआती 15 ओवर कितने अहम होते हैं और यदि विपक्षी टीम वहीं पर हावी हो जाए, तो पूरी मैच की दिशा पलट सकती है।
युवा कप्तान, बड़ी जिम्मेदारी
शुभमन गिल अभी महज 25 साल के हैं और यह जिम्मेदारी उनके कंधों पर समय से पहले ही आ गई है। हालांकि, उनकी बल्लेबाजी में निरंतरता और संयम है, लेकिन कप्तानी एक अलग ही परीक्षा है। यहां टीम का मनोबल, रणनीतिक सोच और मैदान पर निर्णय लेने की क्षमता को परखा जाता है।
अभी तक हुए चार टेस्ट मैचों में गिल की कप्तानी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें समय देना चाहिए, जबकि कुछ का कहना है कि उन्हें जल्द से जल्द परिस्थितियों को समझकर निर्णय लेने में तेजी दिखानी होगी।
किसी भी कप्तान के शुरुआती दौर में गलतियां होती हैं, लेकिन उनसे सीखना ही एक महान लीडर की पहचान होती है। शुभमन गिल के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन साथ ही यह उनके भविष्य के नेतृत्व की नींव भी तैयार कर सकता है।
एक ही टेस्ट सीरीज में दो बार 150+ रन की ओपनिंग पार्टनरशिप जैसे रिकॉर्ड सिर्फ आंकड़े नहीं होते, बल्कि वे कप्तानी की परीक्षा भी होते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शुभमन गिल आने वाले मैचों में इस आंकड़े को चुनौती में बदलते हैं या यह रिकॉर्ड उनके कप्तानी करियर पर धब्बा बनकर रह जाता है।
अब वक्त है कमबैक का। मैदान पर और माइंडसेट में दोनों जगह बदलाव जरूरी है।