बिहार। कहतें हैं कि इस रंग बदलती दुनिया में अब चांद भी रंग बदलने वाला है। जीहां, खगोलशास्त्रियों की माने तो 27 जुलाई को 52 मिनट के लिए चांद तांबे के रंग जैसा नारंगी या गहरा लाल रंग का दिखाई देगा।
दरअसल, इस साल का दूसरा खग्रास चंद्रग्रहण अषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यानी 27 जुलाई को पड़ेगा। इसमें चांद 52 मिनट तक तांबे के रंग जैसा नारंगी या गहरा लाल रंग का दिखाई देगा। ग्रहण पर कुछ योग ऐसे हैं जो करीब 104 वर्षों बाद बन रहे हैं। स्पर्श से लेकर मोक्षकाल तक इसका समय 3 घंटे 54 मिनट 33 सेकेंड का रहेगा। इसे सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रभात मिश्र व पं. योगेंद्र शास्त्री के अनुसार पूर्णिमा पर 27-28 जुलाई की मध्य रात्रि को पड़ने वाला खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और मकर राशि पर पड़ रहा है। इसका असर शनि की राशियों पर विशेष रूप से पड़ेगा।
यह खग्रास चंद्रग्रहण संपूर्ण भारत के साथ विभिन्न देशों में भी दिखाई देगा। ग्रहण मेष, सिंह, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ तथा वृष, कर्क, कन्या व धनु राशि के जातकों के लिए मिश्रित फलकारी रहेगा। मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए यह अशुभ रहेगा। आचार्य पं. शंकर ओझा के अनुसार चंद्रग्रहण के दिन विभिन्न अशुभ योगों के कारण प्राकृतिक आपदा से नुकसान भी संभव है। गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होना भी ठीक नहीं है। वेदाचार्य पं. दिलीप मिश्र के अनुसार यह ग्रहण शनि प्रभावित चार राशियों के लिए अशुभ रहेगा।
इस चंद्रग्रहण को वैज्ञानिकों ने ‘ब्लड मून नाम दिया है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। इससे वायुमंडल से होते हुए कुछ रोशनी चांद पर पड़ती है। सूर्य की रोशनी चांद पड़ने से वह हल्का लाल हो जाता है। जब चांद पृथ्वी के ठीक पीछे पहुंचता है तो उसका रंग और गहरा हो जाता है।
This post was published on जुलाई 2, 2018 19:33
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