करोड़ो का चूना लगाकर भागी कंपनी

पुलिस अधिकारी ने एफआईआर कराने को कहा

बिहार। सारण में संचालित नॉन बैंकिंग कंपनी इंडस वेयर इंड्रस्टीज लिमिटेड हजारों निवेशकों के करीब 50 करोड़ रुपये लेकर चंपत हो गई है। निवेशकों के साथ कंपनी ने अपने एजेंट्स को भी चूना लगाया है। उनके भी रुपये गबन कर लिए गए। तरैया व इसुआपुर प्रखंड के 25 एजेंट्स ने डीएम व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को आवेदन देकर कंपनी से निवेशकों के रुपये दिलाने की गुहार लगाई है।

50 हजार रुपये तक का किया था निवेश

इंडस वेयर इंड्रस्टीज लिमिटेड कंपनी में एक निवेशकों ने 20 से 50 हजार रुपये तक का निवेश किया था। उन्होंने अपने रुपये स्थानीय एजेंटों के माध्यम से निवेश किए हैं। कंपनी ने उनके निवेश किये गये रुपये के बदले रसीद व बांड पेपर दिया है। बांड पेपर पर उनके निवेश किय गये रुपये को साढ़े चार साल में दुगुना करने का वादा किया गया है। अब एजेंट्स का कहना है कि उन्हें निवेश पर 6.15 प्रतिशत कमीशन देने का वादा किया गया था।

छपरा के मशरक में था ऑफिस

कंपनी ने छपरा शहर व मशरक में अपना कार्यालय करीब सात साल पूर्व खोला था। सबसे पहले स्थानीय लोगों को कंपनी ने अपना एजेंट बनाया और पहला निवेश उन्हीं से करवाया। फिर ये एजेंट गांवों में लोगों से संपर्क कर कंपनी में रुपये निवेश कराने लगे। निवेशकों के सावधि जमा के साढ़े चार साल पूरे हुए तो वादे के अनुरूप निवेशक दोगुनी राशि की मांग करने लगे। पहले तो कंपनी के कर्मचारी टाल-मटोल करते रहे और फिर 2016 में कार्यालय बंद कर दिया गया।

एजेंट भी है परेशान

इंडस वेयर इंड्रस्टीज लिमिटेड के स्थानीय एजेंट पहले भी कंपनी द्वारा निवेशकों के रुपये लेकर फरार हो जाने की शिकायत करते रहे हैं। इन अभिकर्ताओं ने बताया कि इसके पहले वे एसपी, मढ़ौरा एसडीओ व तरैया बीडीओ से मिलकर शिकायत दर्ज करा चुके हैं। उनसे इस मामले को बैंकिंग कोषांग में भेजने का अफसरों ने वादा किया था लेकिन एक साल बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगो में आक्रोश है।

एफआईआर दर्ज कराने की दी सलाह

मढ़ौरा एसडीओ संजय कुमार राय ने बताया कि यह मामला अपराधकृत है। निवेशक और अभिकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। इसके बाद पुलिस जांच करेगी। कहा कि अगर तथाकथित अभिकर्ताओं को लगता है कि उनके साथ फर्जीवाड़ा किया गया है तो वे भी कंपनी के अफसरों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करावें। उन्होंने कहा कि बहुत पहले ये अभिकर्ता उनके यहां आवेदन लेकर आये थे तो उन्होंने उन अभिकर्ताओं को थाने में जाकर एफआइआर दर्ज कराने को कहा था।

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