नेपाल भूकंप अपडेट: बिहार में महसूस हुए तेज झटके, नेपाल में दो बार आए भूकंप

Earthquake of 3.7 Magnitude Hits Mizoram, No Casualties Reported

KKN  गुरुग्राम डेस्क | नेपाल में शुक्रवार तड़के आए भूकंप ने न सिर्फ वहां के लोगों को चौंका दिया, बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में भी तेज झटके महसूस किए गए। नेपाल के काठमांडू और बिहार सीमा के पास विभिन्न जगहों पर भूकंप के झटके आए, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर क्रमशः 5.5 और 6.1 मापी गई। इस भूकंप ने पाकिस्तान तक को अपनी चपेट में लिया, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया।

नेपाल में दो बार भूकंप, बिहार में महसूस हुए झटके

नेशनल सेंट्रल फॉर सिस्मोलॉजी (National Centre for Seismology) के मुताबिक, नेपाल में शुक्रवार को दो बार भूकंप के झटके आए। पहला भूकंप सुबह 2:36 बजे के करीब आया, जिसकी तीव्रता 5.5 थी। इसका केंद्र नेपाल के बागमती प्रांत में था, जो बिहार के मुजफ्फरपुर से लगभग 189 किलोमीटर दूर स्थित है। इस भूकंप के कारण बिहार के मिथिला क्षेत्र और आसपास के इलाकों में लोग सोते हुए अचानक जाग गए।

दूसरा और ज्यादा ताकतवर भूकंप 2:51 AM पर आया, जिसकी तीव्रता 6.1 थी। इसका केंद्र सिंधुपालचौक जिला, काठमांडू से 65 किलोमीटर पूर्व था। इस भूकंप ने काठमांडू घाटी और आसपास के इलाकों में भी जोरदार झटके पैदा किए, जिसके बाद नेपाल और भारत के लोग भारी चिंता में थे।

बिहार में भूकंप का असर और स्थानीय प्रतिक्रिया

नेपाल में आए भूकंप के झटके बिहार के कई शहरों में महसूस किए गए, जिनमें पटना और मुजफ्फरपुर प्रमुख थे। हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार कोई बड़ी क्षति की खबर नहीं थी, लेकिन भूकंप ने लोगों को हिला दिया। बिहार में भूकंप के झटके महसूस होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने स्थिति का तुरंत आकलन किया और लोगों को शांत रहने की सलाह दी।

मिथिला क्षेत्र में, जो नेपाल के काफी नजदीक है, भूकंप के झटके काफी महसूस किए गए। हालांकि, इस भूकंप ने नुकसान की खबरें नहीं दीं, लेकिन इसके बावजूद इलाके में डर और दहशत का माहौल बना रहा। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को लेकर चर्चा शुरू कर दी थी और स्थिति को लेकर अपडेट साझा किए।

नेपाल में भूकंप का कारण क्या था?

नेपाल का भूकंप क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है, और यहां भूकंप सामान्य रूप से आते हैं। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के मुताबिक, भूकंप की गहराई करीब 10 किलोमीटर (6.21 मील) थी, जो भूकंप के प्रभाव को और बढ़ाती है। शैलो (कम गहराई वाले) भूकंप अक्सर तेज़ और व्यापक महसूस होते हैं, जिससे ज्यादा नुकसान हो सकता है।

नेपाल में 2015 में आए भूकंप ने भी भारी तबाही मचाई थी। उस भूकंप की तीव्रता 7.8 थी, और इसने नेपाल के कई हिस्सों में जानमाल का नुकसान किया था। इसलिए, 2015 के बाद से नेपाल में भूकंप के जोखिम को लेकर और ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है, और लोग हर भूकंप के झटके के बाद सचेत रहते हैं।

पाकिस्तान और भारत में भूकंप का असर

नेपाल में भूकंप के अलावा, पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर उत्तर क्षेत्र में, लोग भूकंप के झटकों से जाग गए थे। हालांकि, पाकिस्तान से भी कोई बड़ा नुकसान होने की खबर नहीं आई, लेकिन पूरी स्थिति पर निगाह रखी जा रही है।

भारत के पश्चिम बंगाल और बिहार में भी भूकंप के असर को महसूस किया गया। सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसके कारण वहां की स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया गया। हालांकि, भारतीय क्षेत्र में भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सुरक्षा उपायों के तौर पर सभी को सचेत किया गया।

नेपाल के लिए भूकंप की तैयारी

नेपाल में भूकंप के खतरे को देखते हुए सरकार और नागरिक संगठन लगातार भूकंप बचाव अभियान चला रहे हैं। नेपाल की भौगोलिक स्थिति उसे भूकंप के लिए बहुत संवेदनशील बनाती है, और इस क्षेत्र में आने वाली भूकंपीय गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए बेहतर तैयारी की जरूरत है। 2015 के भूकंप ने यह साबित कर दिया था कि भविष्य में आने वाले भूकंपों से निपटने के लिए और बेहतर तैयारियां करने की जरूरत है।

नेपाल के आपदा प्रबंधन और भूकंप से सुरक्षा के लिए भवन निर्माण के नियमों को सख्त किया गया है, ताकि नई इमारतें भूकंप के दौरान सुरक्षित रह सकें। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों को भूकंप के प्रति जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे आपात स्थिति में सही कदम उठा सकें।

भारत और नेपाल में भूकंप से जुड़ी प्रतिक्रिया

भारत और नेपाल दोनों ही देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम किया है, ताकि भूकंप के समय तुरंत राहत कार्य शुरू किया जा सके। दोनों देशों के बीच बेहतर संवाद और साझेदारी से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दोनों देशों के लोग प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।

भूकंप के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए समय पर सचेत किया जाए। साथ ही, अगर भूकंप के झटके लंबे समय तक महसूस होते हैं, तो लोग इमारतों से बाहर निकलकर खुले मैदानों में जाना पसंद करते हैं। इसके अलावा, बचाव टीमों को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में भेजकर राहत कार्य तेज़ी से किया जा सकता है।

भविष्य में भूकंप की तैयारियों के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

  1. भूकंप से संबंधित जागरूकता बढ़ाना: सरकारों और अन्य संगठन भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए, इस पर जनता को नियमित रूप से प्रशिक्षण दें।

  2. निर्माण के मानक सख्त करना: भूकंप के खतरों को ध्यान में रखते हुए, इमारतों के निर्माण के नियमों को सख्त किया जाए ताकि वे भूकंप के दौरान सुरक्षित रहें।

  3. आपातकालीन सेवा प्रणालियों को मजबूत करना: भूकंप के समय तुरंत राहत कार्य शुरू करने के लिए आपातकालीन सेवा प्रणालियों का निर्माण किया जाए।

  4. भूकंप निगरानी प्रणाली को और बेहतर बनाना: भूकंप के खतरे को पहले से पहचानने के लिए भूकंप निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली को और सशक्त किया जाए।

नेपाल में आए भूकंप के झटके ने न सिर्फ नेपाल, बल्कि भारत और पाकिस्तान में भी हड़कंप मचाया। हालांकि, इस बार भूकंप के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना एक और बार यह सिद्ध करती है कि भूकंप के लिए हमेशा तैयार रहना बेहद जरूरी है। भविष्य में भूकंप के खतरे को लेकर सभी देशों को और ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

नेपाल में भूकंप के कारण बिहार और पश्चिम बंगाल में भी हलचल देखी गई, लेकिन स्थानीय प्रशासन और सरकार ने तुरंत कदम उठाए, जिससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। आगे आने वाले समय में, नेपाल और भारत जैसे देशों को भूकंप से निपटने के लिए और बेहतर तैयारियां करनी होंगी, ताकि इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव कम से कम हो।

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