उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत के संकेत दिएं है। कोर्ट ने बहुमत से लिए गये फैसले में तलाक-ए-बिदअत यानी लगातार तीन बार तलाक कहने की प्रथा को असंवैधानिक करार दे दिया है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ के तीन सदस्यों में न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने तलाक-ए-बिदअत को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह प्रथा गैर-इस्लामिक है।
This post was published on अगस्त 22, 2017 23:02
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