इतिहास के पन्नो में समां गया मुगलसराय जंक्शन

नया नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश राज्य का मुगलसराय रेलवे स्टेशन आज से पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जायेगा। इसी के साथ 138 साल का मुगलसराय स्टेशन आज इतिहास के पन्नो में समा गया। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने मुगलसराय जंक्शन के नए नाम के बोर्ड से परदा हटा कर 138 साल का इतिहास बदल गया। इस अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

ब्रिटिश शासनकाल में बना था यह स्टेशन
बतातें चलें कि ब्रिटिश शासनकाल में कोलकाता से नई दिल्ली के लिए माल ढुलाई हेतु 1862 में हावड़ा से दिल्ली जाने के लिए रेलवे लाइन का विस्तार किया गया और इसी दौरान वर्ष 1880 में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का भवन निर्माण किया गया था। इसके बाद मुगलसराय स्टेशन का नाम प्रचलन में आ गया। मुगलसराय रेलवे स्टेशन भवन की भव्यता के लिए पंडित कमालपति त्रिपाठी ने पहल करते हुए भवन का सुंदरीकरण कराया था। स्टेशन भवन निर्माण के लिए 1976 में पंडित कमलापति त्रिपाठी ने इसका उद्घाटन किया था। वर्ष 1978 में मुगलसराय स्टेशन पूर्व रेलवे का मंडलीय मुख्यालय बना दिया गया था।
एशिया यार्ड के नाम से है मशहूर
मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम एशिया में यार्ड से मशहूर है। यह एशिया का एकलौता यार्ड है, जो साढ़े 12 किमी में फैला है। यार्ड में 250 किमी रेलवे लाइन का संजाल बना है। यार्ड में 10 ब्लाक केबिन व 11 यार्ड केबिन है। वहीं 19वीं शताब्दी में विद्युत लोको शेड की यहां स्थापना की गई थी। इसमें हावड़ा से दिल्ली तक गया होते हुए ट्रेनों का संचालन होता है। विद्युत लोको शेड में करीब 137 रेल इंजन का मरम्मत कार्य करने की क्षमता है। इसके अलावा डीजल लोको शेड की स्थापना 1962 में उत्तर रेलवे के सौजन्य से किया गया था।

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