KKN गुरुग्राम डेस्क | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को पहले अपनी श्रीमती से बात करनी चाहिए और फिर देश की सुरक्षा पर बयान देना चाहिए।” ममता ने इस दौरान मोदी के बयान को “चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि इस प्रकार के बयान केवल राजनीतिक लाभ के लिए दिए जाते हैं।
ममता की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर आई, जिसमें उन्होंने भारत की सैन्य कार्यवाही और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स की सराहना की थी। पीएम मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई की मजबूती और सफलता का उल्लेख करते हुए कहा था कि भारत अब सुरक्षा के मामले में किसी से भी नहीं डरता।
ऑपरेशन सिंदूर एक सैन्य कार्यवाही थी, जो पाकिस्तान-आधारित आतंकवादियों के खिलाफ की गई थी। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऑपरेशन की सफलता को लेकर भारतीय सेना की सराहना की और कहा कि इस कार्यवाही ने पाकिस्तान को बचाव की मुद्रा में लाकर खड़ा कर दिया।
उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य बल अब पूरी तरह से तैयार हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। मोदी के इस बयान से उन्होंने अपनी सरकार के सैन्य शक्ति और दृढ़ता को रेखांकित किया।
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “पहले अपनी श्रीमती को संभालिए, फिर बाकी देश की बातें करें।” यह बयान उन्होंने पीएम मोदी की घरेलू स्थिति पर कटाक्ष करते हुए दिया। ममता ने कहा कि “इस प्रकार के बयान देश की असली समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए दिए जा रहे हैं और उन्हें केवल राजनीतिक लाभ के रूप में देखा जा सकता है।
ममता ने यह भी कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा पर बयान देना बेहद संवेदनशील मामला है।” उन्होंने आरोप लगाया कि “मोदी सरकार ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया है”।
ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच लंबे समय से राजनीतिक मतभेद रहे हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा है, जो लोकसभा चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों में अक्सर दिखाई देती है।
ममता ने कई बार आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने राज्य के अधिकारों का उल्लंघन किया है और संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की है। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी केंद्र सरकार का दुरुपयोग कर रही है और राज्यों की स्वायत्तता पर प्रहार कर रही है।
ममता बनर्जी का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने हमेशा कहा है कि “राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे” एक संवेदनशील विषय हैं, जो सभी पार्टियों और नेताओं को एकजुट होकर सुलझाना चाहिए।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर हमेशा से ही उनके विचार स्पष्ट रहे हैं।” ममता बनर्जी ने कई बार कहा है कि भारत को शांति और संवाद के रास्ते पर चलना चाहिए, और सैन्य कार्यवाहियों से ज्यादा कूटनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
ममता बनर्जी की टिप्पणी पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने समर्थन व्यक्त किया है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि पीएम मोदी को राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक बयानबाजी करने के बजाय सच्ची रक्षा नीति पर ध्यान देना चाहिए। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सैन्य कार्यवाहियों को चुनावी लाभ के लिए उपयोग किया है, जबकि सच्चे राष्ट्रवादी नेताओं को इस मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा की बात करनी चाहिए।
ममता बनर्जी की यह तीव्र प्रतिक्रिया केवल उनके विरोधी मोदी के लिए ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार के सैन्य रणनीति को भी प्रभावित कर सकती है। कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M), और अन्य विपक्षी दलों के समर्थन से ममता के बयान ने प्रधानमंत्री मोदी के इरादों को सवालों के घेरे में डाल दिया है।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक लोकप्रियता अभी भी मजबूत है, लेकिन ममता के इस पलटवार ने राजनीतिक विमर्श को एक नया मोड़ दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले, इस प्रकार की टिप्पणियां केवल सुरक्षा नीति पर ही नहीं, बल्कि केंद्र-राज्य संबंधों और राज्य में विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया पर भी असर डाल सकती हैं।
ममता बनर्जी के बयान ने विपक्ष के अन्य नेताओं को भी एक नई रणनीति देने का काम किया है। यह संभावना है कि आगामी चुनावों में विपक्षी नेता मोदी सरकार की विदेश नीति और सैन्य कार्यवाही पर जोर देकर बात करेंगे, यह कहते हुए कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है।
ममता बनर्जी की यह प्रतिक्रिया केवल एक बयान नहीं बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा का हिस्सा है। उनके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर होने वाली बयानबाजी की जिम्मेदारी सभी राजनैतिक दलों की है और इसे किसी एक व्यक्ति के राजनीतिक लाभ के रूप में इस्तेमाल करना उचित नहीं है।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते हैं, ममता के बयान और विपक्षी प्रतिक्रिया से यह साफ हो जाएगा कि सुरक्षा मुद्दे पर देश का अगला नेतृत्व क्या सोचता है और किस प्रकार की राजनीतिक शैली भारत के भविष्य के लिए उपयुक्त होगी।
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