नई दिल्ली। भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने मीडिया के सामने आकर सीजेआई की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिएं हैं। जिन जजो ने मीडिया को संबोधित किया, उनमें जे चेलमेशवार, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ का नाम शामिल है। इन जजो ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर सीजेआई दीपक मिश्रा से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बातें नहीं सुनी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित सात पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के बेंचों में वितरण को लेकर भी नाराजगी जताई है। जजों का आरोप है कि सीजेआई की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। सीजेआई उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं। चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में चारों जजों ने कहा सीजेआई महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, उन्हें बिना किसी तार्किक कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की पसंद की हैं। इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है। हम ज़्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं। एमओपी का मामला संविधान पीठ का था लेकिन सीजेआई ने यह मामला तीन जजों के सामने लगाकर खत्म कर दिया। चार जजों की मीडिया से बात के बाद सीजेआई ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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