KKN गुरुग्राम डेस्क | चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को आधार डेटाबेस से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट को और अधिक सटीक और अद्यतन बनाना है। इस प्रक्रिया में 66 करोड़ से अधिक वोटरों के डेटा को आधार के साथ लिंक किया जाएगा, जो पहले से चुनाव आयोग को स्वेच्छा से अपनी जानकारी दे चुके हैं। इसके अलावा, इससे चुनाव में डुप्लिकेट नामों की समस्या भी हल होने की उम्मीद है। आइए जानते हैं कि इस बदलाव से वोटर्स पर क्या असर पड़ेगा, और इसका पूरा प्रोसेस कैसे काम करेगा।
चुनाव आयोग और UIDAI मिलकर काम करेंगे
चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने मिलकर यह योजना बनाई है। हाल ही में चुनाव आयोग, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, आईटी मंत्रालय और UIDAI के अधिकारियों के बीच एक हाई-लेवल मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने के तरीके पर विचार किया गया। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया कैसे चलेगी, इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन यह निश्चित है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाएगा।
66 करोड़ वोटर्स के डेटा को आधार से लिंक किया जाएगा
अब तक चुनाव आयोग ने 66 करोड़ से ज्यादा वोटरों से आधार कार्ड की जानकारी ली है, और इन वोटरों ने स्वेच्छा से अपना आधार नंबर चुनाव आयोग के साथ साझा किया है। हालांकि, अब तक इन वोटर्स के आधार को वोटर लिस्ट से लिंक नहीं किया गया था। इस कदम से डुप्लिकेट वोटर नामों की समस्या का समाधान किया जा सकेगा और हर वोटर की पहचान को सटीक रूप से पुष्टि किया जा सकेगा।
चुनाव आयोग और UIDAI मिलकर यह तय करेंगे कि आधार और वोटर डेटाबेस को किस तरह से जोड़ा जाएगा। पहले चरण में उन वोटर्स के लिए आधार से लिंकिंग का काम होगा, जिन्होंने अपनी स्वीकृति से आधार की जानकारी दी है।
कैसे होगा वोटर आईडी और आधार का लिंक?
वर्तमान में चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया है कि वोटर आईडी और आधार को कैसे लिंक किया जाएगा। हालांकि, चुनाव आयोग ने यह कहा है कि यह काम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के तहत किया जाएगा। इन धाराओं के तहत, वोटर की पहचान के लिए आधार मांगने, वोटर से आधार की जानकारी लेने और आधार के बिना किसी वोटर को वोटर लिस्ट में शामिल नहीं करने का प्रावधान है।
चुनाव आयोग और UIDAI की तकनीकी टीम जल्द ही इस लिंकिंग प्रक्रिया पर काम करना शुरू करेगी और इसके लिए जरूरी प्रक्रियाओं पर चर्चा करेगी।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950: क्या है इसके प्रावधान?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत, चुनाव आयोग को वोटर की पहचान के लिए आधार जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। इसके तहत, वोटर्स को अपनी स्वीकृति से आधार नंबर देने का विकल्प होगा। यदि कोई वोटर आधार नंबर देने में असमर्थ है, तो वह यह घोषणा कर सकेगा कि उसके पास आधार नंबर नहीं है।
इसके अलावा, अगर किसी वोटर के पास आधार नंबर नहीं होता है या यदि वह आधार देना नहीं चाहता, तो उसे वोटर लिस्ट से बाहर करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा सकता है।
कानून मंत्रालय द्वारा फॉर्म 6B में बदलाव
इससे संबंधित एक और महत्वपूर्ण बदलाव फॉर्म 6B में किया जाएगा। वर्तमान में, फॉर्म 6B में वोटर्स से आधार नंबर लिया जाता है, लेकिन इसमें यह विकल्प नहीं है कि वोटर आधार नंबर न देने का विकल्प चुन सके। कानून मंत्रालय अब इस फॉर्म में बदलाव करेगा, जिससे वोटर्स को यह विकल्प मिलेगा कि वे अपना आधार नंबर न दें, लेकिन इसके लिए उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि वे अपना आधार नंबर क्यों नहीं दे रहे हैं।
यह बदलाव जल्द ही लागू होने की संभावना है, और इसके बाद वोटर्स को अधिक स्पष्टता मिलेगी कि आधार की जानकारी देना स्वैच्छिक है या नहीं।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हो सकता है बदलाव
इस बदलाव की उम्मीद है कि यह जल्द ही लागू किया जाएगा। बिहार विधानसभा चुनावों से पहले यह बदलाव हो सकता है। चुनाव आयोग ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सितंबर 2023 के दौरान एक केस की सुनवाई में कहा था कि वह वोटर आईडी से जुड़े नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है।
यह बदलाव न केवल वोटर्स के लिए एक बड़ी सुविधा होगी, बल्कि इससे वोटर लिस्ट की सटीकता में भी सुधार होगा।
वोटर आईडी और आधार के लिंक होने के फायदे
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डुप्लिकेट नामों का हटना: आधार और वोटर आईडी को लिंक करने से डुप्लिकेट नामों की समस्या हल हो जाएगी। कई बार एक ही व्यक्ति के नाम अलग-अलग जगहों पर दर्ज हो जाते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया में दिक्कतें आती हैं।
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चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता: जब वोटर्स की पहचान सही तरीके से होगी, तो चुनावों में धोखाधड़ी की संभावना कम होगी। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा कि केवल योग्य और वास्तविक वोटर्स ही मतदान कर सकें।
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बेहतर वोटर पहचान: आधार कार्ड एक मजबूत और विशिष्ट पहचान प्रमाण है, जिससे वोटर्स की पहचान सही तरीके से की जा सकेगी। यह सिस्टम को तेज और सटीक बनाने में मदद करेगा।
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सीमित डेटा खतरे: आधार और वोटर आईडी को लिंक करने से डेटा की सुरक्षा को लेकर भी सही दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा, क्योंकि UIDAI और चुनाव आयोग इसके लिए ठोस सुरक्षा उपायों पर काम करेंगे।
क्या होंगे डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के उपाय?
जब आधार को वोटर लिस्ट से जोड़ा जाएगा, तो इससे डेटा सुरक्षा को लेकर कुछ चिंताएँ हो सकती हैं। हालांकि, चुनाव आयोग और UIDAI ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि इस प्रक्रिया में डेटा की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। सभी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षा नियमों के तहत संभाला जाएगा, और कोई भी जानकारी गलत तरीके से उपयोग नहीं की जाएगी।
कानूनी प्रावधानों के तहत, आधार नंबर और अन्य व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाएंगे, ताकि नागरिकों की गोपनीयता को बनाए रखा जा सके।
चुनाव आयोग की यह योजना वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने का एक बड़ा कदम है, जो भारतीय चुनावी प्रक्रिया को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाएगा। यह कदम डुप्लिकेट वोटर्स के नाम हटाने में मदद करेगा और चुनावों में धोखाधड़ी को कम करेगा। इसके साथ ही, यह वोटर्स के लिए एक सटीक पहचान सुनिश्चित करेगा, जिससे हर वोटर को सही तरीके से पहचानने और रिकॉर्ड में रखने में मदद मिलेगी।
हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कुछ चिंताएँ भी हो सकती हैं, लेकिन चुनाव आयोग और UIDAI की ओर से उठाए गए सुरक्षा कदमों से इसे सुरक्षित बनाया जाएगा। यह बदलाव वोटर्स को स्पष्ट और सटीक पहचान देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
अब यह देखना होगा कि यह बदलाव कब लागू होता है और बिहार विधानसभा चुनावों से पहले इसे कितनी जल्दी पूरा किया जाता है।