7 सितंबर 2025 की रात भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में एक अद्भुत खगोलीय घटना दिखाई देगी। यह घटना है पूर्ण Chandra Grahan 2025, जिसे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से खास माना जा रहा है। भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और इसका समापन 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 11 बजकर 41 मिनट पर रहेगा। इस प्रकार यह ग्रहण कुल 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा।
इस ग्रहण से पहले Sutak Kaal दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगा। हिंदू परंपरा के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता और मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
चंद्र ग्रहण 2025: समय और अवधि
भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन यह खगोलीय घटना घटेगी। ग्रहण का स्पर्श रात 9:58 पर होगा, इसका चरम 11:41 पर और मोक्ष 1:27 बजे होगा। कुल अवधि लगभग साढ़े तीन घंटे रहेगी।
यह घटना भारत के लिए विशेष है क्योंकि देश के हर हिस्से में इसे साफ तौर पर देखा जा सकेगा। खगोल विज्ञानियों के अनुसार यह हाल के वर्षों के सबसे लंबे पूर्ण चंद्र ग्रहणों में से एक होगा।
Sutak Kaal का महत्व
सूतक काल ग्रहण से नौ घंटे पूर्व शुरू हो जाता है। इस बार यह दोपहर 12:58 पर आरंभ होकर ग्रहण समाप्ति तक जारी रहेगा। परंपरा के अनुसार इस अवधि में पूजा-पाठ, धार्मिक आयोजन, खाना बनाना और यात्रा वर्जित होती है।
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भोजन को सुरक्षित रखने के लिए उसमें तुलसी के पत्ते या कुशा डाल दी जाती है।
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मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान की मूर्तियों का स्पर्श निषिद्ध होता है।
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लोग इस समय का उपयोग मंत्र जाप, रामायण पाठ, हरि कीर्तन और ध्यान के लिए करते हैं।
आचार्य व्यास के अनुसार शिशु, वृद्ध और रोगियों पर सूतक के नियम लागू नहीं होते।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। परंपरा के अनुसार इस अवधि में घर से बाहर निकलना, वस्तुएं काटना या तेज औजारों का प्रयोग करना अनुचित माना जाता है। कई क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को पेट पर गोबर का लेप लगाने और ग्रहण के दौरान आराम करने की सलाह दी जाती है।
धार्मिक मान्यताएं और चंद्र ग्रहण
हिंदू मान्यता के अनुसार ग्रहण काल में मंदिरों में पूजा-पाठ और धार्मिक गतिविधियां रोक दी जाती हैं। भगवान की मूर्तियों का स्पर्श निषिद्ध होता है और मंदिर तभी पुनः खोले जाते हैं जब ग्रहण समाप्त हो जाता है। इसके बाद मंदिरों में शुद्धिकरण और विशेष पूजन होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से Chandra Grahan
यह ग्रहण Saros Series 128 का हिस्सा है, जो एक आवर्ती खगोलीय चक्र है। इस पूर्ण चंद्र ग्रहण की अवधि 82 मिनट यानी करीब 1 घंटा 22 मिनट रहेगी। इसे हाल के वर्षों के सबसे लंबे Lunar Eclipse in India माना जा रहा है।
इस दौरान चंद्रमा का रंग लालिमा लिए होगा, जिसे सामान्य भाषा में Blood Moon या Corn Moon कहा जाता है। यह नजारा नंगी आंखों से आसानी से देखा जा सकेगा।
किन शहरों से दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में साफ दिखेगा। दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि, कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, भोपाल, नागपुर और रायपुर जैसे बड़े शहरों में लोग इसे स्पष्ट रूप से देख पाएंगे।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से भी आसमान में यह खगोलीय दृश्य नजर आएगा। मौसम साफ रहा तो लाखों लोग इस अद्भुत नजारे को अपनी आंखों से देख पाएंगे।
ज्योतिषीय प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह चंद्र ग्रहण शनि की राशि कुंभ में लगेगा। इस समय चंद्रमा पूर्वाभाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र में रहेगा। ग्रहों और नक्षत्रों की यह स्थिति कई राशियों पर प्रभाव डालेगी।
कुछ राशियों के लिए यह समय चुनौतियां ला सकता है, जबकि कुछ के लिए आध्यात्मिक प्रगति का अवसर होगा। ज्योतिषाचार्य सलाह देते हैं कि इस दौरान ध्यान, मंत्र जाप और साधना करना लाभकारी है।
खगोल प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए खास अवसर
खगोल विज्ञान के छात्रों और खगोल प्रेमियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। इतनी लंबी अवधि का पूर्ण चंद्र ग्रहण दुर्लभ होता है। वैज्ञानिकों के लिए यह अध्ययन का समय है, जबकि श्रद्धालुओं के लिए यह गहरी आस्था का क्षण है।
भारत में यह घटना विज्ञान और धर्म दोनों दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ग्रहण के बाद की परंपराएं
ग्रहण समाप्त होने पर लोग स्नान करके शुद्धिकरण करते हैं। भोजन जो पहले बना होता है, उसे त्याग दिया जाता है और ताजा भोजन तैयार किया जाता है।
दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। लोग अनाज, कपड़े और अन्य वस्तुएं जरूरतमंदों को दान करते हैं। मंदिरों में भी विशेष पूजा कराकर ग्रहण के प्रभाव से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।
7 सितंबर 2025 का Chandra Grahan 2025 केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव भी है।
यह ग्रहण करीब साढ़े तीन घंटे तक चलेगा और देशभर में दिखाई देगा। इसकी वैज्ञानिक व्याख्या जितनी रोचक है, उतनी ही इसकी धार्मिक महत्ता भी है।
जब चंद्रमा लालिमा लिए आकाश में चमकेगा तो यह नजारा करोड़ों लोगों के लिए अविस्मरणीय होगा। यह घटना एक बार फिर साबित करेगी कि विज्ञान और आस्था दोनों मिलकर हमारे जीवन को विशेष अनुभव प्रदान करते हैं।
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