हमारे समाज में हमेशा से यह सवाल उठता रहा है कि क्या किस्मत का लिखा बदला जा सकता है। लोग अक्सर मानते हैं कि भाग्य पहले से तय है और उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन कई बार यह विचार भी सामने आता है कि अच्छे कर्मों और मेहनत से इंसान अपनी किस्मत बदल सकता है।
इसी गहरे सवाल का जवाब हाल ही में श्री प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग में दिया। उनका जवाब बेहद सरल और हर किसी के दिल को छूने वाला था।
प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में एक शिष्य ने सवाल पूछा कि अगर भाग्य पहले से लिखा हुआ है, तो क्या उसे बदला नहीं जा सकता। इस पर महाराज जी ने सहजता से उत्तर दिया कि अच्छे कर्मों और सत्कर्म से सबकुछ बदला जा सकता है।
महाराज जी ने समझाया कि यह मनुष्य जीवन बहुत खास है। इसमें सबकुछ बदलने की क्षमता है। ग्रह-नक्षत्र और पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव तो पड़ता है, लेकिन इंसान के वर्तमान कर्म भी उसी भाग्य को बदल सकते हैं।
उनका कहना है कि सुख और दुख हमारे जीवन में पहले से लिखे होते हैं, लेकिन कर्मों की ताकत से उन्हें कम या ज्यादा किया जा सकता है।
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि अच्छे कर्म किसी भी ग्रह-नक्षत्र से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। अगर इंसान दूसरों की मदद करता है, सच बोलता है, और ईमानदारी से जीवन जीता है तो उसका भाग्य अवश्य बदलता है।
उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि इस अनमोल जीवन को व्यर्थ न जाने दें। अच्छे कर्म करें, सेवा करें और भगवान का स्मरण करें, यही असली fortune changer है।
महाराज जी ने बताया कि प्रभु का नाम जप सबसे बड़ा साधन है। नाम जप से इंसान अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।
उनका कहना है कि जितना हो सके भगवान का नाम लें, भजन-कीर्तन करें और उपवास जैसे साधनों से मन को शुद्ध रखें। जब मन शुद्ध होगा तो किस्मत भी बदल जाएगी।
श्री प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि समाज सेवा सबसे बड़ा पुण्य है। अगर इंसान बुजुर्गों की सेवा करता है, गरीबों की मदद करता है और समाज के लिए काम करता है, तो उसका भाग्य स्वतः बदलने लगता है।
उन्होंने कहा कि परोपकार से मिलने वाला पुण्य इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और कठिनाई को दूर करता है।
महाराज जी के अनुसार, भाग्य वह सुख-दुख है जो पहले से लिखा हुआ है। यह तय है कि कब किसे दुख मिलेगा और कब सुख। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे बदला नहीं जा सकता।
उनका कहना है कि अच्छे कर्म और प्रभु भक्ति से यह तय लिखी बातें भी बदल सकती हैं।
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि अगर इंसान नेकदिल है, भगवान का नाम लेता है और सेवा करता है, तो भगवान खुद उसके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज का संदेश साफ है कि किस्मत कभी भी अंतिम नहीं होती। अच्छे कर्म, प्रभु भक्ति और समाज सेवा इंसान की किस्मत को बदल सकती है।
उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि जीवन को निराशा में न गंवाएं, बल्कि सत्कर्म करके उसे सार्थक बनाएं। किस्मत वही बदलती है जो अच्छे कर्मों की राह पर चलता है।
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