भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताने के बाद पृथ्वी पर अपनी वापसी की। वर्तमान में वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं और अंतरिक्ष से लौटने के बाद उन्हें कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर अपनी वापसी के तुरंत बाद की तस्वीरें साझा की हैं, जिसमें वह चलने की प्रक्रिया में हैं और अपने शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से फिर से सामंजस्य बैठाने की कोशिश कर रहे हैं।
पृथ्वी पर लौटने के बाद चलने में हो रही कठिनाई
शुभांशु शुक्ला ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए बताया कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद, सीधा चलना भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण के बिना 18 दिन बिताने के बाद उनका शरीर फिर से पृथ्वी के वातावरण के हिसाब से खुद को ढाल रहा है। शुभांशु ने इस कठिनाई को लेकर अपने अनुभव साझा किए और बताया कि अंतरिक्ष में बिताए गए समय के कारण शरीर में कई बदलाव होते हैं।
गुरुत्वाकर्षण के बिना जीवन के प्रभाव
शुभांशु ने अपनी पोस्ट में लिखा कि हम सभी पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में बड़े होते हैं, और हमारा शरीर इस पर पूरी तरह से निर्भर होता है। अंतरिक्ष में, जहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं। इनमें से एक प्रभाव है शरीर में द्रव की कमी होना और दिल की धड़कन का धीमा पड़ना, क्योंकि यहां दिल को सिर तक खून पहुंचाने के लिए गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम नहीं करना पड़ता।
संतुलन प्रणाली पर प्रभाव
शुभांशु ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में रहते हुए शरीर की संतुलन प्रणाली (vestibular senses) को नए वातावरण में खुद को ढालने में समय लगता है। हालांकि, शरीर धीरे-धीरे खुद को नए वातावरण में ढाल लेता है और अंतरिक्ष यात्री सामान्य महसूस करने लगते हैं। लेकिन यह बदलाव पृथ्वी पर वापस आने के बाद महसूस होते हैं, और यही समय है जब उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस कारण, वह चलने और अन्य सामान्य कार्यों में संतुलन खो देते हैं। हालांकि, शुभांशु ने यह भी कहा कि यह सब अस्थायी समस्याएं होती हैं और समय के साथ सुधार होता है।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद की प्रारंभिक जांच
15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटने के बाद, शुभांशु शुक्ला और उनके सहकर्मी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन, स्लावोश उजनांस्की-विस्निवस्की, और टिबोर कापू ने कैलिफोर्निया के समुद्र में सुरक्षित रूप से लैंड किया। लैंडिंग के बाद, सभी अंतरिक्ष यात्रियों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच की गई। इसके बाद, उन्हें हेलिकॉप्टर से एक्सिओम स्पेस कंपनी के मुख्यालय ले जाया गया, जहां और अधिक गहन जांच और मेडिकल परीक्षण किए गए।
विशेष स्वास्थ्य पुनर्वास कार्यक्रम
इसके बाद, शुभांशु शुक्ला को ह्यूस्टन, अमेरिका भेजा गया, जहां उन्होंने एक सप्ताह के विशेष स्वास्थ्य पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम उन प्रभावों को कम करने के लिए था जो लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर पर पड़े हैं। यह पुनर्वास कार्यक्रम अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी होता है, ताकि वे पृथ्वी पर वापस आने के बाद अपने शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में ला सकें। इस प्रक्रिया में उनके संतुलन, मांसपेशियों की ताकत और अन्य शारीरिक कार्यों को सुधारा जाता है।
भविष्य के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां
शुभांशु शुक्ला का अनुभव यह दर्शाता है कि लंबी अंतरिक्ष यात्रा के बाद शारीरिक और मानसिक बदलावों को समझना कितना महत्वपूर्ण है। इन प्रभावों को समझने से भविष्य में लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए बेहतर समाधान तैयार किए जा सकते हैं। शारीरिक पुनर्वास के इन कार्यक्रमों की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों को स्वस्थ और कार्यक्षम बनाए रखना संभव हो पाता है।
शुभांशु का यह अनुभव अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी मार्गदर्शन का कार्य करेगा। इससे यह भी पता चलता है कि पृथ्वी पर लौटने के बाद, अंतरिक्ष यात्रियों को किस प्रकार के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष यात्रा और पृथ्वी पर लौटने के बाद का अनुभव भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। उनकी यात्रा से यह समझने में मदद मिल रही है कि अंतरिक्ष में रहने से शरीर पर किस तरह के प्रभाव पड़ते हैं और उन प्रभावों को सही तरीके से कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
यह अनुभव भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए भी अहम है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं में अंतरिक्ष यात्रियों की भलाई और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए।
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