Politics

बिहार के वैशाली में परिणाम चौकाने वाला होगा क्या…

एनडीए के कोर वोट में आरजेडी की सेंधमारी

KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के वैशाली को गणतंत्र की जननी कहा जाता है। बौद्ध और जैन धर्म के कई प्रचीन अवशेष आज भी यहां मौजूद है। इसी वैशाली में भगवान महावीर का जन्म हुआ था। भगवान बुद्ध ने इसी धरती से ज्ञान का संदेश दिया था। सम्राट अशोक की यह कर्मभूमि रह चुका है। नगरवधू आम्रपाली के किस्से यहां बिखरे पड़े है। आजाद भारत में वैशाली की अपनी अलग पहचान बनी। आरंभिक दिनों में कॉग्रेस के साथ खड़ी रहने वाली वैशाली, हालिया कुछ दशकों में समाजवादियों का गढ़ बन चुकी थी। किंतु, 2014 की मोदी लहर में वैशाली से समाजवाद का किला ढ़ह गया। वैशाली लोकसभा सीट पर एनडीए के घटक एलजेपी का कब्जा हो गया। हालांकि, इस बार स्थानीय सांसद के प्रति वैशाली में एन्टी इनकन्वेंसी फैक्टर से इनकार नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर आरजेडी ने एनडीए के कोर वोट में सेंधमारी करके, खेला कर दिया है। जाहिर है वैशाली में लोकसभा का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ गया है।

ईमान के जीत की उम्मीद पालना बेइमानी होगा

लोकसभा चुनाव का आगाज होते ही… आम से खास तक… और महलों की अट्टालिकाओं से चाय- पान की दुकान तक… लोगों की उत्सुकता… ये है कि इस बार वैशाली का विजेता कौन होगा? दरअसल, हम इन्हीं सवालों में उलझ कर, बुनियादी समस्याओं को खो देते है। भ्रष्ट्राचार, महंगाई और बेरोजगारी… जैसे भारी- भरकम शब्द… आज अपना अर्थ खो रहा है। अर्थ खोने से… मेरा मतलब ये है कि अब महंगाई को लेकर न कोई आंदोलन होता है और नाही कही आक्रोश देखने को मिलता है। ऐसा लगता है… जैसे लोगों ने महंगाई को अत्मसात कर लिया है। इसी प्रकार भ्रष्ट्राचार को लेकर भी… हम लोग सलेक्टिव हो गए है।  हमी में से कई लोग… इन्हीं भ्रष्ट्राचारियों के बचाव में खड़ा हो जाता है। पूरी मुस्तैदी और मजबूती से खड़ा हो जाता है। कहतें हैं कि हमारा वाला ठीक है…। फसाया गया है…। उसका वाला… भ्रष्ट्राचारी है। हमारे इसी सलेक्टिव एप्रोच की वजह से भ्रष्ट्राचरियों का मनोबल बढ़ता है। यदि, इसको रोका नहीं गया… तो इमान की जीत होगी… इसका उम्मीद पालना. भी बेइमानी होगा…।

क्या इस चुनाव के बाद भ्रष्ट्राचार में कमी आयेगी

वैशाली की गलियों में राष्ट्रीय मुद्दा को लेकर चर्चा है। पर, गणतंत्र की जननी कहलाने वाले वैशाली के लोगों में… क्या, यह साहस… शेष नहीं बची है… कि वह अपने उम्मीदवार से यह पूछे… कि आपके जितने के बाद… सरकारी कार्यालय में… बिना चढ़ावा दिए… मेरा आवासीय या जाति प्रमाण- पत्र बनेगा क्या…? क्या सरकारी बाबू… समय पर… दाखिल- खारिज करेंगे…? क्या थानेदार… आम लोगों की सुनेगें… ? सवाल ये… कि क्या आप एक ऐसा प्रतिनिधि चुनने पर विचार कर रहें हैं… जो सिस्टम और आपके बीच में सक्रिय बिचौलिए को समाप्त कर सके? यह तमाम छोटे- छोटे सवाल है…। पर, इसके मायने बड़े है। कहतें हैं कि सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की बात… करके चुनाव जितने वाले, चुनाव जितने के बाद क्या करतें है? यह बात अब किसी से छिपा नहीं है। पहले इन्हीं छोटी- छोटी समस्याओं पर अपने उम्मीदवारों से सवाल पूछ कर देखिए…। आपको बात समझते… देर नहीं लगेगा।

क्या विकास पर भारी पड़ेगा जातीय समीकरण

सच तो ये है कि आप इस विषय पर… नहीं सोच रहें हैं। बल्कि, आप सोच रहें होंगे… कौन जाति… किसको वोट करेगा… ? फलां जाति वाले… यदि ऐसा किए… तो क्या होगा… ? मुसलमान का वोट… एकमुस्त किधर जायेगा… ? अगड़ी जाति का वोट किधर जायेगा… ? पिछड़ी जाति का वोट किधर जायेगा… ? पिछड़ों में अति पिछड़ा कितना प्रतिशत… किसके साथ जायेगा….और दलित वोट का एक हिस्सा इधर… तो दूसरा हिस्सा किधर जायेगा… ? जीत- हार के इसी गुणा- गणित में जबतक हम उलझे रहेंगे… तबतक मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी पर चांदपरना हो… या हरशेर पुल… बनाने की बात को कोई गंभीरता से नहीं लेगा। घोसौत में अस्पताल के समुचित संचालन को… कोई गंभीरता से नहीं लेगा। मोतीपुर में चीनी मिल के चालू करने की बात… बेइमानी हो जायेगी। सभी प्रखंडों में किसानों के लिए मल्टी पर्पस कोल्डस्टोरेज हो या खाद- बीज की समय पर उपलब्धता…। हमारे रहनुमाओं के लिए.. ऐसे तमाम विषय… कोई मायने नहीं रखेगा। उन्हें पता है कि समीकरण ठीक हो गया… तो जीत पक्की है।

स्पीड ब्रेकर

स्पीड ब्रेकर भी बढ़ा रही है राहगीरों की मुश्किलें

जाहिर है, राजनीति करने वालों का पूरा फोकस… समीकरण बनाने पर होता है। उनको करने दीजिए…। आप तो पूछ ही सकतें हैं… सड़क तो पक्की बन गया…। पर, इस पर इतने स्पीड ब्रेकर है… कि दूरी तय करने में… पहले से अधिक समय लग रहा है। पेट्रोल की खपत भी बढ़ गई है। हम इसकी शिकायत लेकर कहा जायें… ? हमारी सुनने वाला कौन है… ?  शराब बंदी कानून लागू है। बावजूद इसके… नशेड़ियों की हरकत सरेआम जारी है। हाट- बाजार से बाइक चोरी की घटना में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। सड़क लुटेरा और अपराधियों की गतिविधि थमने का नाम नहीं ले रहा है। छोटी- छोटी घटनाओं को पुलिस हल्के में लेती है। ऐसे में आम आदमी… कहा जाये… किससे न्याय की गुहार लगाये… ? इस तरह के और भी कई सवाल है, जो इसी लोकसभा चुनाव में मौजू बन सकता है…।

छोटी- छोटी समस्याओं का समाधान होगा क्या

आम आवाम इन्हीं छोटी- छोटी समस्याओं से परेसान है। सवाल उठता है कि क्या हमारे उम्मीदवार… इन सवालों के प्रति गंभीर हैं… ? चलिए, इन बातो को छोर देते है। विकास की बात करते है। पांच साल में वैशाली लोकसभा क्षेत्र का क्या विकास हुआ… ? पताही में हवाईअड्डा बना? एसकेएमसीएच को एम्स का दर्जा मिला? इस इलाके से मजूदरों के पलायन में कमी आयी… ? नलजल लगा… बेशक लगा… पर, कितने गांव है… जिसमें 24 घंटा.. या कम से कम 12 घंटा ही पानी की सप्लाई हो रही है? एक अदद बिजली के बिल में गड़बरी हो जाये… तो महीनों कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। ऐसे और भी तमाम सवाल… वोट मांगने आये, नेताओं से तो पूछ ही सकते है…। कहतें है कि बड़े- बड़े भ्रष्ट्राचारियों पर लम्बे भाशण देने वालों से पूछिए कि गांव और कस्वों के इन छोटे भ्रष्ट्राचारियों से कब मुक्ति मिलेगी… ? ऐसे और भी कई सवाल है…। जिसका उत्तर जाने बिना… यदि आप मतदान करेंगे… तो आप अपना और अपने बच्चों के भविष्य के लिए खुद ही जीम्मेदार कहलायेंगे…।

विश्व को लोकतंत्र देने वाले वैशाली का क्या होगा

ताज्जुब की बात ये है कि यह सभी कुछ गणतंत्र की जननी कहलाने वाले… वैशाली में हो रहा है। कहतें हैं कि बिहार के वैशाली का इतिहास काफी पुराना है। जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक पवित्र स्थान रहा है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का इसी धरती पर जन्म हुआ था। भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान से इस धरती को सींचा है…। इसको सम्राट अशोक की कर्मस्थली भी कहा जाता है। सबसे बड़ी बात ये… कि वैशाली को विश्व में लोकतंत्र की प्रथम प्रयोगशाला के रूप में जाना जाता है। कहते है कि लिच्छवी राजवंश ने सबसे पहले यहां गणतंत्र की शुरुआत की थी। आजाद भारत में भी वैशाली का अपना महत्व रहा है। वैशाली लोकसभा में कुल छह विधानसभा आता है। इसमें मीनापुर, कांटी, बरुराज, पारू, साहेबगंज और वैशाली विधानसभा… शामिल है। यहां छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है।

मोदी लहर में वैशाली से ढ़हा आरजेडी का किला

कहतें हैं कि एक समय वैशाली को राजद का मजबूत गढ़ कहा जाता था। राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से लगातार पांच बार सांसद निर्वाचित हुए। वर्ष 2014 के मोदी लहर में वैशाली से राजद का किला ढ़ह गया। वर्ष 2014 की मोदी लहर में एलजेपी की टीकट से रामाकिशोर सिंह उर्फ रमा सिंह निर्वाचित हुए। जबकि, वर्ष 2019 में एलजेपी टीकट पर वीणा देवी ने रघुवंश बाबू को मात दे दी। इस बार यानी वर्ष 2024 में एक बार फिर से एलजेपी की टीकट पर वीणा देवी उम्मीदवार है। वेशक मोदी लहर का लाभ… 2019 में वीणा देवी को मिला था। पर, इस बार हालात थोड़े अलग दिखाई दे रहा है। इलाके में सक्रियता और विकास कार्यो में शिथिलिता को लेकर इस बार उन्हें लोगों के जबरदस्त असंतोष का सामना करना पड़ रहा है।

आरजेडी की रणनीति से सकते में एनडीए

आरजेडी से मुन्ना शुक्ला मैदान में है। मुन्ना शुक्ला 2000 में वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। इसके बाद वर्ष 2005 के फरबरी में एलजेपी और नवंबर में जेडीयू की टीकट से चुनाव जीत कर विधायक रह चुके है। हालांकि, बृज बिहारी हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला को जेडीयू का टिकट मिला और वो चुनाव जीत गई। मुन्ना शुक्ला इससे पहले दो बार वैशाली से लोकसभा चुनाव में अपना किस्मत आजमा चुके है। पहली बार वर्ष 2004 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दो लाख 56 हजार वोट मिला था…। जबकि, दूसरी बार वर्ष 2009 में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और करीब दो लाख 63 हजार वोट बटोरने में कामयाब रहे। बहरहाल 2024 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी की टीकट से मुन्ना शुक्ला के चुनावी मैदान में आने के बाद… वैशाली लोकसभा में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। मुन्ना शुक्ला भूमिहार समाज से आते है। भूमिहारो को एनडीए का कोर वोट माना जाता है। यदि, वैशाली में मुन्ना शुकला की वजह से भूमिहार आरजेडी के साथ हो गया, तो एनडीए के लिए मुश्किल बढ़ सकता है। अब देखना है कि उंट… किस करबट बैठता है।

This post was published on %s = human-readable time difference 13:14

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Show comments
Published by
कौशलेन्‍द्र झा

Recent Posts

  • Videos

भारत बनाम चीन: लोकतंत्र और साम्यवाद के बीच आर्थिक विकास की अनकही कहानी

आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More

नवम्बर 6, 2024
  • Videos

मौर्य वंश के पतन की असली वजह और बृहद्रथ के अंत की मार्मिक दास्तान…

मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More

अक्टूबर 23, 2024
  • Videos

सम्राट अशोक के जीवन का टर्निंग पॉइंट: जीत से बदलाव तक की पूरी कहानी

सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More

अक्टूबर 16, 2024
  • Videos

बिन्दुसार ने चाणक्य को क्यों निकाला : मौर्यवंश का दूसरा एपीसोड

KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More

अक्टूबर 9, 2024
  • Videos

कैसे शुरू हुआ मौर्यवंश का इतिहास? चाणक्य ने क्यों बदल दी भारत की राजनीति?

322 ईसा पूर्व का काल जब मगध का राजा धनानंद भोग-विलास में लिप्त था और… Read More

अक्टूबर 2, 2024
  • Videos

क्या सांप और नाग एक ही हैं? जानिए नागवंश का असली इतिहास

नाग और सांप में फर्क जानने का समय आ गया है! हममें से अधिकांश लोग… Read More

सितम्बर 25, 2024