KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मधुबनी जिले के बेनीपट्टी स्थित कटैया गांव में मोहम्मद फिरोज से मिलकर उनके साथ हुई घटना की जानकारी ली। फिरोज ने आरोप लगाया था कि बिहार पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। इस दौरान मोहम्मद फिरोज ने अपनी आपबीती सुनाते हुए तेजस्वी यादव के सामने फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया, जो घटना की दर्दनाक तस्वीर को स्पष्ट रूप से दिखाता है।
फिरोज ने बताया कि पुलिस ने उन्हें न केवल मारा, बल्कि रात भर उन्हें खाना भी नहीं दिया और फिर ₹25,000 घूस लेकर उन्हें छोड़ा। इस घटना ने बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली और राज्य सरकार के खिलाफ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तेजस्वी यादव ने इस पर तेज प्रहार किया, और राज्य सरकार, खासकर नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा किया।
तेजस्वी यादव का बयान: “बिहार पुलिस अब भक्षक बन चुकी है”
तेजस्वी यादव ने मोहम्मद फिरोज से मिलने के बाद कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था का पूरी तरह से संकट है और नीतीश कुमार की सरकार इस संकट से निपटने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस अब जनता की सुरक्षा करने के बजाय, उनका शोषण कर रही है और भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है।
“बिहार में अब यही हो रहा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह से बेखबर हैं, उन्हें यह नहीं पता कि राज्य में क्या हो रहा है। वह केवल वही जानते हैं जो डीके बॉस बताते हैं,” – तेजस्वी यादव
तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार पुलिस अब पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूब चुकी है, और वह निर्दोष लोगों को भी सिर्फ घूस लेकर छोड़ देती है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों को जनता की सेवा करनी चाहिए, वही अब खुद भक्षक बन गए हैं, और गरीब व अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं।
क्या हुआ था फिरोज के साथ?
मोहम्मद फिरोज के साथ जो घटना घटी, वह बिहार पुलिस के अत्याचारों की एक दुखद मिसाल बन गई है। फिरोज ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया और पूरी रात उन्हें बिना खाना दिए कड़ी यातना दी। फिरोज ने बताया कि वह अत्यधिक शारीरिक दर्द से जूझ रहे थे, और उनसे ₹25,000 की घूस भी ली गई ताकि उन्हें छोड़ा जाए।
यह घटना पूरी तरह से बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली को उजागर करती है, जहां पुलिस को सिर्फ अपने निजी लाभ के लिए काम करते देखा जा रहा है, और राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। फिरोज की यह कहानी बिहार में कानून-व्यवस्था के गिरते स्तर को और राजनीतिक नेताओं की नाकामी को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
नीतीश सरकार के खिलाफ तेजस्वी का आरोप: “बिहार पुलिस में बढ़ी भ्रष्टाचार और पक्षपाती रवैया”
तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि नीतीश कुमार की सरकार को केवल राजनीतिक लाभ का ध्यान है, जबकि बिहार के लोग और खासकर अल्पसंख्यक समुदाय पुलिस अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा,
“जो डीएसपी और पुलिस अधिकारी बीजेपी के विचारधारा के साथ जुड़े हुए हैं, वे अल्पसंख्यकों को गलत नजर से देख रहे हैं। ऐसे अधिकारियों को अपनी दृष्टि ठीक करनी चाहिए, और हम जानते हैं कि कैसे उन्हें सही रास्ते पर लाया जा सकता है,” – तेजस्वी यादव
उन्होंने कहा कि बिहार में अब जो पुलिस कार्य कर रही है, वह पूरी तरह से पक्षपाती और भ्रष्टाचार में डूबी हुई है, और नीतीश कुमार सरकार इसे रोकने के बजाय इसे बढ़ावा दे रही है।
बिहार पुलिस में बढ़ते भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
इस घटना ने बिहार पुलिस के कामकाजी रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जब से मुश्किल में फंसी आम जनता को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
कुछ जरूरी कदम जो उठाए जा सकते हैं:
- पुलिस सुधारों की जरूरत
- बिहार पुलिस में भ्रष्टाचार और अत्याचार को रोकने के लिए तत्काल सुधार की जरूरत है। इसके तहत पुलिस बल की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- कानूनी कार्रवाई का दबाव
- तेजस्वी यादव और रिजेक्टेड एक्टिविस्ट्स की ओर से हो रहे दबाव के कारण अब राज्य सरकार पर इस मामले में कार्रवाई करना अनिवार्य हो गया है।
- पुलिस अधिकारियों का सही तरीके से चयन और प्रशिक्षण
- संवेदनशील मामलों में पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, और उनका चयन विचारधारात्मक भेदभाव से मुक्त होना चाहिए।
- जनता की सुरक्षा के लिए मजबूत पुलिस तंत्र
- पुलिस बल की जनता से बेहतर संवाद और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: RJD और JD(U) के बीच तकरार
तेजस्वी यादव ने बिहार पुलिस और नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ कड़ा विरोध जताया, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JD(U) और भा.ज.पा. ने तेजस्वी यादव के आरोपों को खारिज किया। दोनों पार्टियों का कहना है कि बिहार पुलिस अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभा रही है और यह घटना एक स्थानीय मुद्दा है, जिसे राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
हालांकि, तेजस्वी यादव और RJD ने राज्य सरकार के कानून-व्यवस्था के मुद्दों को उठा कर सत्ता पक्ष पर दबाव बनाए रखा है, और अब यह देखा जाएगा कि क्या नीतीश कुमार सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाती है या इसे नजरअंदाज कर देती है।
मोहम्मद फिरोज की घटना और तेजस्वी यादव के विरोध ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। जब राज्य के मुखिया और प्रशासन पुलिस अत्याचार और भ्रष्टाचार के मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं, तो सामान्य जनता की सुरक्षा और अधिकारों का क्या होगा?
अगर बिहार सरकार इस मुद्दे को सही समय पर नहीं सुलझाती, तो यह राज्य में गहरी असंतोष और अस्थिरता का कारण बन सकता है।
बिहार में पुलिस सुधारों और प्रशासनिक कार्यों में बदलाव की जरूरत है, ताकि सिर्फ कानून के पाले में नहीं, बल्कि जनता के हितों में भी काम किया जा सके।