बिहार में रालोसपा का आंतरिक कलह सतह पर आ गया है। विवाद की ताजा कड़ी में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए पार्टी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप भी लगाएं हैं।
बहारहाल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में ऑल इज वेल नहीं लग रहा है। कभी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के करीबी रहे नागमणि ने पार्टी से इस्तीफा देकर एक नया बखेरा खड़ा कर दिया है। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। नागमणि के अनुसार कुशवाहा ने आगामी लोकसभा चुनाव में मोतिहारी सीट के लिए पार्टी का टिकट नौ करोड़ रुपये में बेंच दिया है। खास बात यह भी है कि कभी कुशवाहा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी अधिक प्रभावशाली बता चुके नागमणि ने अब कुशवाहा को केवल एक सीट देने की महागठबंधन से अपील करने लगें हैं। उधर रालोसपा ने नागमणि के आरोप को बेबुनियाद बताया है। कहा कि जब महागठबंधन में टिकट का अभी तक डिसीजन ही नहीं हुआ है, तो खरीद-बिक्री का आरोप समझ से परे है।
विदित हो कि नागमणि को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी ने उन्हें पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। स्मरण रहें कि शुक्रवार को नागमणि एक समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दिखे थे तथा उनकी तारीफ की थी। इसके बाद जारी पार्टी के नोटिस का जवाब नागमणि को तीन दिनों में देना था। इसी बीच सोमवार को उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
नागमणि ने खुलाशा किया है कि बीते दिनों रालोसपा के शिक्षा सुधार की मांग को लेकर किए गए आक्रोश मार्च के दौरान लाठीचार्ज में उपेंद्र कुशवाहा घायल नहीं हुए थे और गलत बयानी के लिए उन्होंने बिहार के लोगो से माफी मांगी है। नागमणि ने अपने बयान में कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा शहीद होने का स्वांग रच कर मतदाताअें को भ्रमित करना चाहतें थे। इस बीच रालोसपा ने बयान जारी कर नागमणि के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है। पार्टी के प्रदेश महासचिव सत्यानंद प्रसाद दांगी ने कहा कि नागमणि अपने और अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के मना करने पर वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए।
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