KKN गुरुग्राम डेस्क | राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को अचानक बदले मौसम ने न सिर्फ लोगों को चौंका दिया, बल्कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) को भी हैरान कर दिया। IMD ने पहले मध्यम वर्षा की संभावना जताई थी, लेकिन जो हुआ वह इस सदी की दूसरी सबसे भारी मई महीने की बारिश बन गई। सुबह-सुबह राजधानी में तेज़ आंधी, मूसलाधार बारिश और पेड़ों के गिरने की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।
शुक्रवार तड़के 5 बजे तक दिल्ली में हल्की बारिश की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन जैसे ही 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलनी शुरू हुईं और Safdarjung वेधशाला में 77 मिमी बारिश दर्ज हुई, IMD को तत्काल अपना पूर्वानुमान बदलना पड़ा। विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया और तत्काल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी साझा की।
IMD के महानिदेशक एम. मोहपात्रा ने कहा कि, “प्री-मानसून सीजन में तूफानों की सटीक भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन होता है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आई नमी और पश्चिमी विक्षोभ के कारण यह मौसमी तंत्र बना।”
दिल्ली के कई इलाकों में तेज बारिश और हवाओं के चलते पेड़ गिर गए, जिससे कई जगहों पर हादसे हुए। नजफगढ़ में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई जब उनके मकान पर पेड़ गिर गया। वहीं, ग्रीन पार्क में एक निर्माण स्थल पर एक श्रमिक की करंट लगने से मौत हो गई।
दिल्ली एयरपोर्ट पर 500 से अधिक उड़ानें प्रभावित हुईं और मेट्रो सेवाओं में भी व्यवधान आया। यातायात जाम और जलभराव से लोग घंटों फंसे रहे।
इससे पहले दिल्ली में मई महीने में सबसे अधिक बारिश 20 मई 2021 को हुई थी, जब चक्रवात ‘ताउते’ के चलते 119.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। 2025 में दूसरी बार मई में इतनी मूसलाधार बारिश दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी और नमी का मिश्रण इस प्रकार के मौसम बदलाव की वजह बना।
मौसम विभाग ने शनिवार और रविवार के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। पूर्वानुमान के अनुसार, राजधानी में हल्की से मध्यम बारिश और गरज-चमक के साथ तेज़ हवाएं (40–50 किमी/घंटा) चलने की संभावना है। विभाग ने लोगों को सावधान रहने और अनावश्यक बाहर न निकलने की सलाह दी है।
बारिश के बाद दिल्ली का अधिकतम तापमान 29.1°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से 10.2 डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान 22.2°C रहा। गर्मी से जूझ रहे दिल्लीवासियों को अस्थायी राहत जरूर मिली, लेकिन भारी बारिश ने बाकी समस्याएं खड़ी कर दीं।
तकनीक बनाम प्रकृति: मौसम पूर्वानुमान की सीमाएं
IMD के अधिकारियों का कहना है कि मौसम विज्ञान में तकनीक ने भले ही बहुत तरक्की की हो, लेकिन प्राकृतिक घटनाएं अब भी इंसानी गणनाओं से कहीं आगे हैं। प्री-मानसून सीजन में अचानक बनने वाले मौसमी तंत्र को पूरी तरह से पकड़ पाना मुश्किल होता है।
मौसम विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली जैसे महानगरों में जल निकासी की खराब व्यवस्था और तेजी से होता शहरीकरण इस प्रकार की तबाही को और गंभीर बना देते हैं।
इस बारिश ने एक बार फिर दिखा दिया कि दिल्ली का मौसम कितना अप्रत्याशित हो सकता है। वैज्ञानिक चाहे जितना उन्नत पूर्वानुमान कर लें, लेकिन प्रकृति का अपना नियम है। अब ज़रूरत है कि न सिर्फ सरकारी एजेंसियां, बल्कि आम लोग भी आपदा प्रबंधन और सतर्कता को अपनी आदत में शामिल करें।
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