KKN गुरुग्राम डेस्क | भारतीय संसद में एक महत्वपूर्ण घटना घटी जब वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill 2025) को लोकसभा में देर रात पारित कर दिया गया। इस विधेयक पर दिनभर बहस हुई, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच तीव्र विचार-विमर्श हुआ। विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसके समर्थन और विरोध को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
आइए जानते हैं इस विधेयक के बारे में विस्तार से और क्यों यह इतना महत्वपूर्ण है।
वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में सुधार करना है। वक्फ बोर्ड वह संस्था है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों और दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करती है। 1995 में वक्फ एक्ट लागू हुआ था, जिसके बाद इसमें कई संशोधन किए गए थे, लेकिन अब 2025 में लाए गए इस संशोधन विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं।
सरकार का दावा है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और इन्हें सही तरीके से प्रबंधित करना है। इसके तहत वक्फ संपत्तियों के कड़े और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन का प्रावधान है, ताकि इन संपत्तियों का सही उपयोग किया जा सके।
विपक्ष ने इस विधेयक पर गंभीर आपत्ति जताई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करेगा। कांग्रेस सांसदों ने कहा कि सरकार ने इसे जानबूझकर एक राजनीतिक एजेंडे के तहत पेश किया है, ताकि ध्यान टैरिफ जैसे मुद्दों से हटाकर वोट बैंक की राजनीति की जा सके।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया। उनका कहना था कि इस विधेयक के जरिए सरकार धार्मिक संस्थाओं और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ाना चाहती है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन होगा। वहीं, आसदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता भी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल असर डालेगा।
राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जब 2013 में वक्फ कानून लागू किया था, तब कई विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक तुष्टीकरण का एक उदाहरण माना था। अब भाजपा द्वारा किए जा रहे संशोधनों को भी कुछ विपक्षी दल उसी श्रेणी में रखते हैं।
वहीं, सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुधारना है, न कि मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप करना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि इस विधेयक में कोई भी प्रावधान नहीं है, जो मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों पर असर डाले। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से किया जाएगा, जिससे इन संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके।
अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा यह फैलाया जा रहा है कि इस विधेयक के माध्यम से वक्फ बोर्ड और मस्जिदों के प्रबंधन में सरकार हस्तक्षेप करेगी, यह पूरी तरह से गलत है। उनका कहना था कि यह विधेयक वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह केवल मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए लाया गया है।
अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, और वहां बहुमत के लिए 119 वोटों की जरूरत होगी। भाजपा के पास राज्यसभा में 98 सीटें हैं, और पार्टी को अपनी सहयोगी पार्टियों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
इस विधेयक के लिए सरकार को विपक्षी दलों को मनाने की चुनौती होगी, क्योंकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), और अन्य क्षेत्रीय दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, भाजपा का कहना है कि यह विधेयक न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
वक्फ बोर्ड के तहत कई बड़ी संपत्तियां हैं, जिनका सही तरीके से प्रबंधन नहीं हो पाया है। इन संपत्तियों का उपयोग समुदाय की भलाई के लिए होना चाहिए था, लेकिन कई बार इनमें दुरुपयोग की खबरें सामने आई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग अब नहीं चलने पाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि 2001 से 2012 के बीच वक्फ संपत्तियों को निजी संस्थानों को सौ साल के लीज पर दिया गया, जो कि एक बहुत बड़ा घोटाला था।
यह विधेयक इसी कारण लाया गया है, ताकि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सके और मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए इनका सही तरीके से उपयोग किया जा सके।
विधेयक को लेकर भाजपा और विपक्षी दलों के बीच बयानबाजी जारी है। जहां एक ओर भाजपा नेता इसे एक ऐतिहासिक कदम मानते हुए इसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसे धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं।
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक वोट बैंक की राजनीति का अंत करने के लिए है, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रुक सकेगा। वहीं, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, और इसे संविधान के खिलाफ बताया।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है, लेकिन इसके राजनीतिक और धार्मिक संदर्भ में बहुत सारी चिंताएं भी उठाई जा रही हैं। विधेयक के पारित होने के बाद इसके प्रभावों को लेकर आगे भी बहस जारी रहेगी।
इस विधेयक को लेकर सरकार का कहना है कि यह सिर्फ एक सुधारात्मक कदम है, जिससे वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता आएगी और मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्तियों का सही उपयोग किया जा सकेगा। विपक्षी दलों का मानना है कि इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
राज्यसभा में इस विधेयक की स्थिति पर सभी की नजरें हैं, जहां इसका भविष्य तय होगा। फिलहाल, यह विधेयक भारतीय राजनीति और मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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