अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच भारत को लेकर राहत भरी खबर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने हाल ही में भारत पर Trump Tariff on India लागू किए थे, अब कुछ नरम दिख रहे हैं। अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के बाद ट्रंप का रुख पहले जैसा आक्रामक नहीं रहा।
ट्रंप ने पहले रूस से व्यापार करने वाले देशों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी और रूस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था, जिसे बाद में दोगुना कर दिया गया। लेकिन अब ट्रंप ने संकेत दिया है कि फिलहाल और नए टैरिफ की जरूरत नहीं है।
अलास्का में हुई पुतिन और ट्रंप की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर थी। दोनों नेताओं के बीच घंटों बंद कमरे में बातचीत हुई, लेकिन किसी मुद्दे पर ठोस सहमति नहीं बन सकी। भारत भी इस बैठक पर नज़र रखे हुए था क्योंकि टैरिफ को लेकर अमेरिका के तेवर सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकते थे।
बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि अभी भारत या दूसरे देशों पर नए टैरिफ लगाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि ज़रूरत पड़ने पर दो से तीन हफ्तों में इस पर विचार किया जा सकता है।
फॉक्स न्यूज से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “आज जो हुआ, उसके बाद मुझे फिलहाल टैरिफ के बारे में नहीं सोचना पड़ रहा। हो सकता है दो या तीन हफ्तों में इस पर विचार करना पड़े, लेकिन अभी नहीं। बैठक अच्छी रही।”
यह बयान पहले दिए गए उनके बयानों से अलग है, जिनमें उन्होंने भारत और रूस पर कड़े आर्थिक कदम उठाने की चेतावनी दी थी।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी हाल ही में कहा था कि अगर अलास्का बैठक से अपेक्षित नतीजे नहीं मिले तो भारत पर और Secondary Tariffs लगाए जा सकते हैं। उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी से कहा था, “हमने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो इन्हें और बढ़ाया जा सकता है।”
बेसेंट ने भारत को कुछ हद तक “अड़ियल” बताते हुए व्यापार वार्ताओं में असहमति की ओर भी इशारा किया था।
भारत ने कई बार साफ किया है कि भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं हैं। विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह रिश्ता व्यापक रणनीतिक सहयोग पर आधारित है और इसे किसी तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
भारत ने यह भी दोहराया है कि उसका तेल आयात ऊर्जा सुरक्षा और किफायती आपूर्ति की आवश्यकता से प्रेरित है, न कि राजनीति से।
भारत पर लगाए गए टैरिफ का असर उद्योगों पर दिखने लगा है। स्टील, एल्युमिनियम और केमिकल सेक्टर की कंपनियाँ खास तौर पर प्रभावित हुई हैं। छोटे और मध्यम उद्योगों पर भी इसका बोझ बढ़ा है।
अगर आने वाले हफ्तों में अमेरिका ने और टैरिफ बढ़ाए, तो भारतीय निर्यातकों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। वहीं, रूस से तेल खरीद पर दबाव भी बना रहेगा।
भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ व्यापार पर आधारित नहीं हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीक, अंतरिक्ष और Indo-Pacific Security जैसे मुद्दों पर गहरी साझेदारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भले ही व्यापारिक मतभेद बने रहें, लेकिन व्यापक रणनीतिक हित दोनों को करीब लाते रहेंगे।
अलास्का बैठक भले ही ठोस नतीजा नहीं ला सकी हो, लेकिन भारत के लिए फिलहाल राहत की स्थिति बनी है। ट्रंप के बदले हुए तेवर से संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में नए टैरिफ की संभावना कम है।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका रिश्ता अमेरिका के साथ व्यापक रणनीतिक सहयोग पर आधारित है। हालांकि, अगर दो से तीन हफ्तों में हालात बदले तो अमेरिका फिर से Trade Tariff War को तेज कर सकता है। अभी के लिए यह विवाद थमा दिख रहा है, लेकिन आगे का रास्ता वैश्विक राजनीति की दिशा पर निर्भर करेगा।
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