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बूढ़ी गंडक के कटाव पीड़ितो का छलका दर्द

मीनापुर में बूढ़ी गंडक का रौद्ररूप

KKN न्यूज ब्यूरो। बूढ़ी गंडक नदी के मुहाने पर अपने उजड़े आशियाना की ओर इशारा करते हुए अधेड़ उम्र समुन्दरी देवी कहती है कि ‘कलुकी रात में ही घर के सभ्भे समान निकाल के बहिन के यहां टेंगरारी रख अइली…।’ अपने हाथों से अपना आशियाना उजाड़ रही गीता देवी को नहीं पता है कि अब वह कहां जा कर बसेगी। गीता कहती है कि ‘घर के अलाबा एक्को धूर जमीन न हय…।’ वहीं खड़ी रीता देवी सहित कई अन्य लोगो ने बताया कि ‘रात भर जगले छी, की मालुम की कखनी हमरो घर…।’ तार का बड़ा सा पेंड़ नदी में समाने के बाद अब बारी गीता के घर की है। पूरे गांव में हड़कंप मचा है। जिसको देखो, वह अपने हाथों अपना आशियाना उजाड़ रहा है। नदी के मुहाने पर बसे लोगों में अपने समान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की अफरा-तफरी मची है।

अपना आशियाना उजाड़ते लोग

यह नजारा है बिहार के मीनापुर प्रखंड के रघई गांव की। दोपहर बाद रघई पहुंचते ही कटाव पीड़ितो का दर्द कुछ इस प्रकार छलका। वकील सहनी अपने पूरे परिवार के साथ अपना घर उजाड़ कर उखड़े हुए ईट और अन्य सामन को ट्रैक्टर पर लादने की जल्दी में थे। पूछने पर कहने लगे कि अब कभी भी उनका घर कट सकता है। बूढ़ी गंडक की धारा बमुश्किल से दस फीट ही दूर रह गयी है। कटाव का खतरा अकेले वकील सहनी को है, ऐसा नहीं हैं। बल्कि, जयंति देवी, सीमा देवी, नन्दकिशोर ठाकुर और दशरथ साह सहित करीब तीन दर्जन परिवार के लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानो पर पहुंचाने की भागदौर में लगे दिखे।
मौके पर मौजूद रघई के मुखिया चन्देश्वर प्रसाद लोगो को समझाने की कोशिश कर रहें हैं। श्री प्रसाद बतातें हैं कि तत्काल कटाव की रोकथाम के लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा भेजी गई बालू के बैग को कटाव स्थल पर लगना जरुरी है। किंतु, गांव के लोग मानने को तैयार नहीं है। गांववाले ईट और पत्थर डाल कर कटाव की स्थाई रोकथाम करने की मांग पर अरे हुएं है।

रघई और घोसौत में हड़कंप

मीनापुर के रघई और घोसौत गांव के समीप बूढ़ी गंडक नदी के रौद्ररूप धारण कर लेने से यहां हड़कंप मचा हुआ है। अकेले रघई के करीब तीन दर्जन से अधिक परिवार नदी के मुहाने पर आ गएं हैं। लोग रतजगा कर रहें हैं और अपने हाथों से अपने घर को तोड़ कर सुरक्षित स्थान की ओर की ओर तेजी से पलायन करने लगें हैं।
इस बीच कटाव की रोकथाम के लिए जल संसाधन विभाग ने गुरुवार को बालू से भरा 10 हजार बैग लेकर कटाव की रोकथाम करने की कोशिश करनी चाही। किंतु, ग्रामीणो के जबरदस्त विरोध के कारण बालू के इस बैग को बैरंग लौटाना पड़ा है। गांव के नोखेलाल सहनी, गेनालाल सहनी और भरत साह सहित एक दर्जन से अधिक लोगो ने बताया कि यहां बालू के बैग से कटाव को रोकना मुमकिन नहीं है। ग्रामीण गिट्टी और पत्थर के सहारे कटाव की रोकथाम करने की मांग पर अरे है।

कटाव पीड़ितो की बढ़ी संख्या

कटाव पीड़ितो की हकीकत

रघई के रमेश साह, अरुण साह, केदार साह, प्रेमलाल साह और रामबाबू साह का घर गुरुवार को बूढ़ी गंडक नदी में विलिन हो गया। हालांकि, ये सभी लोग बुधवार को ही अपना घर खाली कर चुकें थे। बूढ़ी गंडक नदी के रौद्ररूप धारण कर लेने से किनारे बसे रघई के हरिचरण साह, सुरेश साह, रंजीत कुमार गुप्ता, रामकिशोर साह, जगन्नाथ साह, नन्दकिशोर ठाकुर और कपीलेश्वर ठाकुर का घर अब नदी के मुहाने पर आ गया है। उधर, घोसौत गांव के मो. अनवर, मो. अख्तर, मो. शहीद और मो. शमशूल का घर भी कटाव की चपेट में आ गया है। नतीजा, दोनो गांव के कई दर्जन परिवार पूरी रात जग कर अपने घर को खाली करने में लगें हैं।

मुखिया ने छह महीना पहले ही लगाई थीं गुहार

रघई पंचायत के मुखिया चन्देश्वर प्रसाद ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष के 10 जनवरी को ही जिलाधिकारी, एसडीओ पूर्वी और जल संसाधन विभाग के अधिकारी को पत्र लिख कर अगाह कर दिया था। इसके बाद 22 जनवरी को सूबे के मुख्यमंत्री को फैक्स भेज कर मुखिया ने समय रहते कटाव की रोकथाम करने की गुहार लगाई थी। किंतु, किसी भी अधिकारी की नींद नहीं खुली। इस बीच जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने रघई के 2,200 फीट में कटाव की रोकथाम के लिए 3.50 करोड़ रुपये की एक योजना बनाई। किंतु, इस पर समय रहते अमल नहीं हो सका

नदी के कटाव का दृश्य

क्या कहतें हैं अधिकारी

मीनापुर के अंचलाधिकारी ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कटाव की रोकथाम के लिए तत्काल बालू और मिट्टी का बैग डालने के लिए ग्रामीणो को सहमत करने की कोशिश की जा रही है। बाद में नदी की जलस्तर में कमी आते ही कटाव की स्थायी रोकथाम के उपाए कियें जायेंगे। इसके अतिरिक्त कटाव की चपेट में आये परिवार के पुर्नवास के लिए सरकारी जमीन की तलाश की जा रही है।

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