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बाढ़ विस्थापितो पर कहर बन कर गिरा बारिश की बूंदे

कौशलेन्द्र झा

मीनापुर। घर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद पिछले एक सप्ताह से मीनापुर की सड़को पर शरण लिए हुए बीस हजार से अधिक परिवारो की मुश्किलें थमने का नाम ही नही ले रही है। कल तक फटे हुए प्लास्टिक के सहारे धूप से बचने की कोशिश कर रहे लोग गुरुवार को बारिश की पानी से बचने की जद्दोजहद करते हुए दिखे। सबसे बुरा हाल महिला और उसके गोद में पल रहे छोटे बच्चो का है।
सड़क पर शरण लिए गोदावरी देवी बारिश से बचने के लिए पूरी रात जगी हुई है। उसके गोद में एक छोटा बच्चा भी है। गोदावरी को खुद से ज्यादे अपने बच्चे की चिंता सता रही है। यहां गोदावरी अकेली नही है। बल्की, इसके जैसे हजारो बाढ़ पीड़ित है, जो बारिश की पानी से बचने की जुगत में रतजग्गा करने को विवश हैं।
समस्या सिर्फ सड़क किनारे बसे परिवार की ही नही है। बल्कि, सड़क से हट कर खरार ढ़ाव गांव में, गांव के ही दो पक्का मकान की छत पर करीब 100 परिवार खुले में शरण लिए हुए है। पैक्स अध्यक्ष राकेश कुमार बतातें हैं कि कल तक तेज धूप झेल रहे ये शरणार्थी, बीती रात बारिश में भींग कर बीमार पड़ने लगें हैं। सबसे बुरा हाल बच्चो का है। प्रशासन के द्वारा अब तक इनकी सुधि लेने कोई नही आया है। हालांकि, गांव के लोगो ने अब अपने खर्चे से छत पर ही टेंट लगा कर गुजर करने की ठान ली है।
इधर, ब्रहण्डा उर्दू विद्यालय में शरणार्थियों की संख्या बढ़ जाने से विद्यालय का कमरा छोटा पड़ने लगा है और दर्जनो परिवार खुले में आ गयें हैं। कमोवेश यही हाल शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक गांव चैनपुर का है। गांव के राजकुमार सहनी बतातें हैं कि बांघ पर खुले में शरण लिए पांच दर्जन से अधिक परिवार के लिए बारिश कहर बन कर टूटा है। बच्चे और महिलाएं बीमार पड़ने लगी है।
उधर, बनघारा, रघई, घोसौत, झोंझा, हरशेर, तुर्की, शनिचरास्थान, गंगटी, नंदना, गोरीगामा, टेंगराहां, टेंगरारी, मझौलिया, राघोपुर, हजरतपुर, विशुनपुर, रानीखैरा, बेलाहीलच्छी, बनुआ, हरका, फुलवरिया, चांदपरना, मानिकपुर, चकजमाल, बहवल बाजार, गदाईचक, फरीदपट्टी सहित 100 से अधिक गांवों में लोग राहत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहें हैं। इधर, मीनापुर के बाढ़ राहत प्रभारी सह जिला परिवहन पदाधिकारी नजीर अहमद ने स्वीकार किया हैं कि प्रशासन से बाढ़ पूर्व तैयारी में बड़ी चूक हो गई है। हालांकि, अधिकारी ने बचाव व राहत कार्य में तेजी आने के संकेत भी दिएं हैं।

This post was published on अगस्त 24, 2017 23:38

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कौशलेन्‍द्र झा

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