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रफ्तार की कहर से बचने के लिए जागरुकता जरूरी : डॉ. ममता रानी

अन्तराष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के प्रांतीय सेमिनार में हुआ मंथन

मुजफ्फरपुर। एक ओर जहां रफ्तार, विकास की पहली शर्त मानी गयी है। वही, मौजूदा दौर में यही रफ्तार हमारे लिए कातिल बन कर मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा बन गया है। मुजफ्फरपुर के जीरोमाइल स्थित मिलन विवाह भवन में कातिल रफ्तार, जीवन के लिए खतरा विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने रविवार को यह बात कही।
विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ, भारत के बिहार प्रदेश कमिटी की ओर से आयोजित प्रांतीय सेमिनार को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2013 में जहां 4 लाख 86 हजार 476 दुर्घटनाएं हुर्इं। वहीं, यह आंकड़ा 2015 में बढ़ कर 5 लाख 3 हजार तक पहुंच गया। इन हादसों में मरने वालों की संख्या, जहां 2013 में एक लाख 37 हजार 572 थी, वहीं 2015 में बढ़ कर यह एक लाख 46 हजार 612 हो गया। इस अवधि में घायलो की संख्या 4 लाख 94 हजार 893 से बढ़ कर 5 लाख 13 हजार 960 तक पहुंच गई, जो बेहद ही चिंता का विषय है।
आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक 100 दुर्घटनाओं में करीब 29.6 फीसद लोगों की मौत होना चिंता जनक है। हालिया सर्वे से यह भी पता चला है कि राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं में 40 से 50 फीसद मौतें व्यावसायिक वाहनों के तेज रफ्तार के कारण से होती हैं। भारत की 20 करोड़ की आबादी पर एक करोड़ 80 लाख लोगों की मौत व्यावसायिक वाहनों की चपेट में आने से हो रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं। पिछले साल सड़क हादसों में हर घंटे 16 लोग मारे गए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने दुर्घटनाओं पर अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 2014 में साढ़े चार लाख से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 1 लाख 41 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। पिछले दस साल की अवधि में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 42.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
आंकाड़ो के मुताबिक सड़क दुर्घटना में पंजाब पहले स्थान पर है वही, दूसरे स्थान पर नागालैंड और तीसरे स्थान पर हरियाणा का नंबर आता है। जबकि, मेट्रो शहरों में चेन्नई प्रथम और दिल्ली दूसरे नंबर पर आता है। राज्यों में तमिलनाडु प्रथम, महाराष्ट्र दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर आता है। सड़क दुर्घटना में बिहार का स्थान चौथा बताया गया है। संघ ने इसकी रोकथाम के लिए 11 सूत्री मांग पत्र सरकार को भेजा है।
प्रदेश अध्यक्ष कौशलेन्द्र झा की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार का संचालन डॉ. श्यामबाबू प्रसाद ने किया। सेमिनार को मुख्य अतिथि डॉ. ममता रानी, प्राचार्य, एमडीडीएम कॉलेज, मुजफ्फरपुर और विशिष्ठ अतिथि- डॉ. अजीत कुमार सिंह, पूर्व कुल सचिव, ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय, दरभंगा ने संबोधित करते हुए कई सुझाव भी दिए। इसके अतिरिक्त कार्यपालक अभियंता सिधेश्वर प्रसाद सिंह, अवकाश प्राप्त कार्यपालक अभियंता राघवेन्द्र झा, रामबिराजी ठाकुर, प्रदेश महासचिव अशोक झा, ननील सिंह, नीरज कुमार (अधिवक्ता), कुमारी पिंकी, श्री भोला प्रेमी, सीमा वर्मा, जिला अध्यक्ष सीतामढ़ी, राज कुमार, छात्र नेता अमरेन्द्र कुमार, मुखिया अजय कुमार, पत्रकार कृष्णमाधव सिंह, शंकर प्रसाद, सुरेश प्रसाद आदि ने संबोधित किया।

This post was published on दिसम्बर 10, 2017 21:08

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