जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला जारी है। रविवार तड़के कठुआ जिले के राजबाग इलाके में Kathua Cloudburst हुआ, जिससे अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। इस घटना में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और छह लोग घायल हुए हैं।
घटी गांव का संपर्क बाढ़ के पानी से पूरी तरह टूट गया। अचानक बढ़े जलस्तर ने गांवों को बाहरी दुनिया से काट दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीम मौके पर पहुंची। स्थानीय ग्रामीण भी बचाव कार्य में शामिल हुए और संयुक्त प्रयासों से राहत का काम शुरू किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों से चार शव बरामद किए गए हैं। छह लोगों को घायल अवस्था में सुरक्षित निकाला गया और पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी का इलाज जारी है और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि पानी का बहाव इतना तेज था कि लोग संभल भी नहीं पाए। कई घरों में पानी घुस गया और लोग ऊँचाई वाले स्थानों की ओर भागने लगे।
कठुआ की यह घटना उस वक्त हुई है जब कुछ ही दिन पहले किश्तवाड़ जिले में बादल फटने से 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। उस भयावह त्रासदी ने पूरे जम्मू-कश्मीर को हिला दिया था।
विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन के कारण Jammu Kashmir Floods और Cloudburst जैसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है।
बादल फटने के साथ ही कठुआ थाना क्षेत्र के बगड़ और चंगड़ा गांवों में भूस्खलन हुआ। इसके अलावा लखनपुर थाना क्षेत्र के दिलवां-हुटली में भी भूस्खलन की सूचना मिली।
सौभाग्य से इन घटनाओं में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन रास्ते बंद हो जाने से आवाजाही प्रभावित रही। प्रशासन ने मलबा हटाने और सड़कों को साफ कराने के लिए मशीनरी लगाई है।
लगातार हो रही भारी बारिश के कारण अधिकतर जलाशयों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। कठुआ की उझ नदी भी खतरे के निशान के पास बह रही है।
प्रशासन ने लोगों को नदी किनारे जाने से मना किया है। साथ ही, निचले इलाकों में रहने वालों को सतर्क रहने और जरूरत पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है।
SDRF और पुलिस की संयुक्त टीम ने कठिन हालात में भी बचाव अभियान जारी रखा। घटी गांव में स्थानीय ग्रामीणों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
प्रशासन ने अस्थायी राहत शिविर बनाए हैं और प्रभावित परिवारों को वहां ठहराया जा रहा है। भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। चिकित्सा दल भी सक्रिय है और घायल लोगों का इलाज किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने प्रशासन और SDRF टीम की सराहना की जिन्होंने जोखिम उठाकर समय रहते मदद की।
कठुआ जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना जरूरत नदी, नाले या जलाशयों के पास न जाएं। लगातार बारिश की वजह से हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं।
गांवों में लाउडस्पीकर से घोषणाएं कर लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है। प्रशासन ने कहा है कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति के लिए दल तैनात हैं।
Cloudburst यानी अचानक भारी मात्रा में बारिश का घटना जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में बार-बार देखने को मिल रही है। कुछ ही मिनटों में इतनी बारिश हो जाती है कि गांव और कस्बे जलमग्न हो जाते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और अनियोजित निर्माण कार्य इन खतरों को और बढ़ा रहे हैं। पिछले एक दशक में किश्तवाड़, लेह, डोडा और अब कठुआ में बादल फटने की घटनाओं ने सैकड़ों जानें ली हैं।
कठुआ के लोग अब भी इस हादसे से दहशत में हैं। मृतकों के परिवारों का रो-रो कर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ ही मिनटों में पानी इतना तेज आया कि घर, दुकान और खेत बह गए।
कई परिवारों के मवेशी भी बह गए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए।
Kathua Cloudburst 17 August 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर प्राकृतिक आपदाओं के मामले में कितना संवेदनशील है। चार मौतें और छह घायल परिवारों को गहरा दर्द देकर गईं।
हालांकि SDRF और पुलिस की तत्परता से राहत और बचाव अभियान तेजी से चला और कई जिंदगियां बच गईं। लेकिन जब तक लंबे समय के लिए ठोस रणनीति नहीं बनाई जाती, ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहेंगी।
आज कठुआ अपने लोगों को खोने का दुख मना रहा है, लेकिन उम्मीद भी है कि आने वाले समय में तैयारी और जागरूकता से ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकेगा।
This post was last modified on अगस्त 17, 2025 11:07 पूर्वाह्न IST 11:07
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