कौशलेन्द्र झा
मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी का पानी उतरने लगा है। हालांकि, इस विनाशकारी बाढ़ में फंसे तकरीबन 35 हजार मवेशियों की भूख और उनमें बाढ़ जनित बीमारी फैलने के खतरो पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया। नतीजा, कई गांवों के सैकड़ों मवेशी पिछले आठ रोज से भूख से तड़प कर बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। इस बीच प्रखंड पशु अधिकारी पशुओं के लिए सूखा चारा मुहैय्या कराने के लिए जिला प्रशासन को त्राहिमाम संदेश भेजा है।
पशुपालक किसान जान को जोखिम में डालकर पशुचारे के लिए गहरे पानी में तैर कर निकल रहे हैं। पशुपालक रामकिशोर राय, मदन राय, अखिलेश राय, शंभू राय, सकल सहनी और फूलबाबू राय सहित कई पशु पालक किसानों ने बताया कि वे चार फीट पानी में तैरकर सात किमी दूर से पशुचारा लाने को विवश हैं और प्रशासन उनकी मदद करने को अभी तक नही आया है। पशुचारा लाने निकली राजकुमारी देवी हो या कौशल्या देवी प्रशासन के खिलाफ पशुपालको में जबरदस्त आक्रोश है।
इधर, प्रखंड पशुपालन कार्यालय से मिले आंकड़े के मुताबिक अकेले मीनापुर में 35 हजार मवेशी बाढ़ वाले इलाके में फंसे हैं। इसमें से आठ हजार मवेशी पिछले एक सप्ताह से भूखे रहकर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। पशु चिकित्सक डॉ. राज कुमार ने बताया कि पशुओं में गलाघोटू का प्रकोप को देखते हुए चिकित्सकों की टीम ने पशुओं में टीकाकरण का काम शुरू कर दिया है। 2,300 मवेशियों को डायरिया से बचाने व कीड़े की दवा दी गई है। इसके लिए सिवाईपट्टी के पशु चिकित्सक डॉ. फतह बहादुर सिंह और रामपुरहरि के पशु चिकित्सक के नेतृत्व में दो अलग- अलग टीम का गठन किया गया है। उधर, बेगूसराय से आए पशु चिकित्सक डॉ. पवन कुमार मिश्र व डॉ. विजय कुमार के नेतृत्व में एक और आपतकालीन टीम पशुओं की स्वास्थ्य जांच में जुट गयी है।
This post was published on अगस्त 27, 2017 22:49
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