कौशलेन्द्र झा
मीनापुर के बाढ़ प्रभावित गांवो में दूषित पेयजल पीने से लोग बीमार होने लगें हैं। पेट खराब होने व चर्म रोगियों की समस्या बढ़ने लगी है। अस्पताल में गुरुवार को पेट दर्द से कराह रही मीनापुर गांव की 70 वर्षीया अनिता देवी को स्लाइन चढ़ रहा था। इससे पहले मधुबनी गांव की 30 वर्षीया माला देवी, चकजमाल की 23 वर्षीया रुकसाना खातुन और हरका की 30 वर्षीया भूलनी देवी दस्त की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थी।
अस्पताल के ओपीडी से प्राप्त आंकडो पर गौर करें तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में बुखार का प्रकोप तेजी से फैलने लगा है। पिछले चार रोज में बुखार से ग्रसित करीब 180 लोगो का मीनापुर अस्पताल में इलाज हुआ। दूसरी ओर सूत्र बतातें है कि सुदूर गांवो में फंसे बड़ी संख्या में बुखार पीड़ित अस्पताल तक पहुंच ही नही पा रहें हैं और गांव में ही नीम हकीम से अपना इलाज कराने को विवश है।
अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा बतातें हैं कि दूषित पेयजल पीने से बुखार, पेट की खराबी और चर्म रोग का प्रकोप बढ़ गया है। इससे नपटने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने सभी 50 अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर हैलोजन टैबलेट उपलब्ध करा दिया है। इसके अतिरिक्त गंदगी से निपटने के लिए लोगो को ब्लिचिंग पाउडर मुहैय्या कराई जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने बाढ़ जनित बीमारी से निपटने के लिए सभी आवश्यक दावएं उपलब्ध होने का दावा करते हुए बताया कि विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन से इमरजेंसी दवा के अतिरिक्त आबंटन की मांग की गई है।
बहरहाल, बूढ़ी गंडक का जलस्तर स्थिर होने से मीनापुर में बाढ़ की स्थिति पूर्ववत बनी हुई है। किंतु, पानी के नीचे उतरने के साथ ही बीमारी फैलने का खतरा अभी से मंडराने लगा है। लिहाजा, इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस लिया है और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को अलर्ट रहने का आदेश जारी कर दिया गया है।
This post was published on अगस्त 25, 2017 09:18
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