गुजरात तट के पास मंगलवार शाम एक बड़ी दुर्घटना हुई। अमरेली जिले के जाफराबाद के तट से करीब 19 समुद्री मील दूर अरब सागर में दो नावें पलट गईं। इस Boat Accident में कई मछुआरे समुद्र में समा गए। दस लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया लेकिन आठ मछुआरे अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
इस घटना ने तटीय इलाकों में मछुआरा समुदाय को दहला दिया है। परिजन लगातार तट पर मौजूद हैं और अपनों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद कर रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार हादसा शाम करीब छह बजे हुआ। दोनों नावों में नौ-नौ मछुआरे सवार थे। तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण नावें समुद्र की लहरों से टकराकर पलट गईं।
करीब की ही दूसरी नाव ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और दस मछुआरों को बचा लिया गया। लेकिन आठ लोग समुद्र की तेज लहरों में बह गए और उनका कोई पता नहीं चल सका।
राजुला के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) मेहुल बारासरा ने बताया कि सूचना मिलते ही Coast Guard और स्थानीय मछुआरों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
Coast Guard और स्थानीय मछुआरे लगातार लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इस वजह से नावों के जरिए ही Rescue Operation चलाया जा रहा है।
समुद्र में तेज धाराएं और ऊंची लहरें रेस्क्यू को कठिन बना रही हैं। लगातार हो रही बारिश से विज़िबिलिटी भी कम है। इसके बावजूद अधिकारी हर संभव कोशिश में लगे हैं कि लापता मछुआरे सुरक्षित मिल जाएं।
गुजरात में पिछले कई दिनों से भारी बारिश हो रही है। मंगलवार को भी तटीय जिलों में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक Heavy to Very Heavy Rainfall की चेतावनी दी है।
तेज हवाएं और उफनती लहरें खोज अभियान में रुकावट डाल रही हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि खोजबीन हर हाल में जारी रहेगी।
गुजरात सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए व्यापक कदम उठाए हैं।
NDRF की 12 टीमें
SDRF की 20 टीमें
विभिन्न जिलों में तैनात की गई हैं। इन टीमों को किसी भी Emergency Situation का सामना करने के लिए अलर्ट पर रखा गया है।
मुख्य ध्यान अभी लापता मछुआरों की खोज पर है। लेकिन प्रशासन इस बात से भी सावधान है कि लगातार हो रही भारी बारिश नए संकट खड़े कर सकती है।
इस हादसे ने स्थानीय मछुआरा समुदाय को डरा दिया है। उनके लिए समुद्र ही आजीविका का साधन है, लेकिन मानसून में यही समुद्र जानलेवा साबित हो जाता है।
लापता मछुआरे आसपास के गांवों से थे। उनके परिवार मंगलवार शाम से तट पर डटे हुए हैं। लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि Rescue Boats और आधुनिक उपकरणों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं में जानें न जाएं।
गुजरात प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि हर संभव मदद दी जाएगी। SDM मेहुल बारासरा ने कहा कि Coast Guard और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बना हुआ है।
राज्य सरकार ने राहत उपायों की तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासन यह भी देख रहा है कि भविष्य में ऐसे हादसों को कैसे रोका जाए और किन सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत किया जाए।
हर साल Monsoon Season में मछुआरों को समुद्र में जान का खतरा रहता है। मौसम विभाग चेतावनी जारी करता है लेकिन मछुआरे मजबूरी में समुद्र में जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि Communication System को बेहतर करना होगा ताकि मछुआरों को समय पर Alert मिल सके। सरकार लंबे समय से Radio Communication सिस्टम की योजना बना रही है लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है।
आंकड़ों के पीछे कई दर्दनाक कहानियां छिपी हैं। जाफराबाद के तट पर महिलाओं ने रो-रोकर अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना की। बच्चे लगातार पूछते रहे कि उनके पिता कब लौटेंगे।
जो मछुआरे बचा लिए गए हैं, वे अब भी सदमे में हैं। उन्होंने बताया कि समुद्र अचानक उग्र हो गया और नावें तेज धार से टकराकर तुरंत पलट गईं। कुछ लोग तैरकर बचने में सफल रहे लेकिन बाकी लहरों में बह गए।
अभी भी आठ मछुआरे लापता हैं और उनकी तलाश जारी है। Coast Guard ने Search Area को और बढ़ा दिया है। समय बीतने के साथ संभावना कम होती जा रही है लेकिन उम्मीद अब भी बनी हुई है।
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए नई चेतावनियां जारी की हैं। Rescue Teams पूरी कोशिश कर रही हैं कि स्थिति और खराब होने से पहले लापता लोगों तक पहुंचा जा सके।
गुजरात का यह Boat Tragedy एक बार फिर यह दिखाता है कि मानसून के दौरान मछुआरों के लिए समुद्र कितना खतरनाक हो जाता है। यह हादसा यह भी बताता है कि Coastal Safety को और बेहतर बनाने की सख्त जरूरत है।
फिलहाल, नज़रें रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिकी हैं। परिवार, समुदाय और अधिकारी सभी एक ही उम्मीद में हैं कि लापता मछुआरे सुरक्षित वापस लौटें।
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