भारतीय सिनेमा में पौराणिक विषयों पर आधारित फिल्मों की परंपरा कोई नई नहीं है, लेकिन निर्देशक नितेश तिवारी की आने वाली फिल्म ‘रामायण’ ने अभी से ही जबरदस्त चर्चा बटोरनी शुरू कर दी है। इस मेगा बजट प्रोजेक्ट में न केवल भव्यता और तकनीकी उत्कृष्टता का वादा किया गया है, बल्कि इसमें भारतीय दर्शकों की भावनाओं से जुड़ा एक खास पहलू भी है—रणबीर कपूर भगवान राम की भूमिका में नजर आएंगे और अरुण गोविल, जो 1987 की रामायण में राम का किरदार निभा चुके हैं, इस बार राजा दशरथ के रूप में लौटेंगे।
यह एक ऐसा दृश्य होगा जिसे देखना हर दर्शक के लिए भावनात्मक और ऐतिहासिक अनुभव होगा।
अरुण गोविल की वापसी: दशरथ के रूप में एक नई छवि
1987 में प्रसारित रामानंद सागर की रामायण आज भी भारतीय टेलीविजन के इतिहास की सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक है। उसमें भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल लोगों के दिलों में ईश्वर तुल्य सम्मान पा चुके हैं। अब वह उसी रामायण की फिल्मी दुनिया में राजा दशरथ के रूप में वापसी कर रहे हैं।
यह बदलाव सिर्फ एक किरदार परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की पीढ़ी दर पीढ़ी चलती विरासत का प्रतीक भी है।
दीपिका चिखलिया ने दी प्रतिक्रिया
1987 की रामायण में मां सीता का किरदार निभा चुकीं दीपिका चिखलिया ने अरुण गोविल की इस वापसी पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें अरुण जी को दशरथ के रूप में देखना एक भावुक अनुभव लगा।
“जो अभिनेता कभी राम बने थे, उन्हें अब राम के पिता के रूप में देखना दर्शकों के लिए एक अद्वितीय यात्रा होगी। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत की शक्ति को दर्शाता है।” — दीपिका चिखलिया
रणबीर कपूर: आधुनिक राम की भूमिका में
रणबीर कपूर, जो आज के सबसे प्रतिभाशाली और बहुआयामी अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं, अब एक नई चुनौती स्वीकार कर चुके हैं। वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की भूमिका निभा रहे हैं।
फिल्म के लिए रणबीर ने न सिर्फ शारीरिक रूप से खुद को तैयार किया है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अपने चरित्र में उतरने की कोशिश की है।
क्यों रणबीर की भूमिका है खास:
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नई पीढ़ी के दर्शकों को जोड़ने में सक्षम चेहरा
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गंभीरता और गरिमा के साथ अभिनय करने की क्षमता
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धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को नए नजरिए से प्रस्तुत करने की क्षमता
नितेश तिवारी की रामायण: क्या है खास?
‘दंगल’ और ‘छिछोरे’ जैसी हिट फिल्में देने वाले नितेश तिवारी का निर्देशन इस बार भारत की सबसे पवित्र गाथा पर केंद्रित है। फिल्म को त्रयी (trilogy) के रूप में बनाया जा रहा है और इसमें आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक मूल्यों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
मुख्य विशेषताएं:
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तीन भागों में बनेगी फिल्म, जो रामायण की संपूर्ण यात्रा को कवर करेगी
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साईं पल्लवी को सीता की भूमिका के लिए चुना गया है (अनौपचारिक पुष्टि)
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कन्नड़ सुपरस्टार यश रावण की भूमिका में हो सकते हैं
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फिल्म में अत्याधुनिक VFX और CGI तकनीक का प्रयोग होगा
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यह भारत की अब तक की सबसे महंगी फिल्म हो सकती है
रामायण की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत
‘रामायण’ केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह भारतीय जनमानस की आत्मा है। इसके हर पात्र, हर संवाद और हर प्रसंग में जीवन की गूढ़ शिक्षाएं छिपी हैं। नितेश तिवारी की यह फिल्म उन शिक्षाओं को आज के दौर के हिसाब से प्रस्तुत करने का प्रयास है।
रामायण का महत्व:
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समाज को धर्म, कर्तव्य और मर्यादा का पाठ पढ़ाती है
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आज की पीढ़ी को आध्यात्मिक सोच से जोड़ने का जरिया
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वैश्विक दर्शकों के सामने भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करने का सशक्त माध्यम
अरुण गोविल को दशरथ के रूप में देखना: एक पीढ़ीगत परिवर्तन
इस फिल्म में अरुण गोविल की भूमिका केवल अभिनय नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक प्रतीक है। एक समय जिनके चेहरे पर लोग भगवान राम का स्वरूप देखते थे, अब वही कलाकार राम के पिता की भूमिका में हैं। यह परिवर्तन दर्शकों को बताता है कि समय के साथ भूमिकाएं बदलती हैं, लेकिन संस्कार और मूल्य वही रहते हैं।
सोशल मीडिया पर फैन्स की प्रतिक्रियाएं
फिल्म की घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है:
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“अरुण गोविल जी को दशरथ के रूप में देखना गर्व की बात है!”
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“रणबीर कपूर को राम बनते देखना एक नया अनुभव होगा।”
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“नितेश तिवारी की रामायण हमारी संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।”
भारत से लेकर वैश्विक मंच तक पहुंचेगी रामायण
निर्माताओं की योजना है कि यह फिल्म केवल भारत तक सीमित न रहे। फिल्म को कई भाषाओं में डब कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर रिलीज किया जाएगा। साथ ही इसमें मर्चेंडाइजिंग, स्ट्रीमिंग राइट्स, और इंटरैक्टिव अनुभव जैसे पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा।
नितेश तिवारी की ‘रामायण’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आंदोलन बनने जा रही है। रणबीर कपूर का राम के रूप में चयन और अरुण गोविल का दशरथ के रूप में लौटना भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक मोड़ है।
अगर आप पौराणिक गाथाओं, आधुनिक फिल्म निर्माण और भारतीय संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए अवश्य देखने योग्य होगी।
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