बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने 44 साल की उम्र में मराठी भाषा सीखी। आमिर का कहना है कि उन्हें इस बात का हमेशा अफसोस रहा कि वे महाराष्ट्र में रहकर भी वहां की भाषा नहीं जानते थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भाषाएं सीखने में काफी समय लगता है, लेकिन मराठी को लेकर उन्होंने खुद को इस कमी से बाहर निकाला।
आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में आमिर खान ने बताया, “जब मैं 44 साल के करीब था, तब मुझे अहसास हुआ कि मुझे मराठी भाषा नहीं आती। यह मेरे लिए शर्म की बात थी, क्योंकि मैं महाराष्ट्र में रहता हूं और यह राज्य की भाषा है।” उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में मराठी पढ़ाई जाती थी, लेकिन उस समय उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
भाषा सीखने की इच्छा को पूरा करने के लिए आमिर ने एक मराठी टीचर को हायर किया और नियमित क्लास ली। उन्होंने कहा, “मैं भाषा के मामले में थोड़ा कमजोर हूं, इसलिए किसी भी नई भाषा को सीखने में मुझे समय लगता है। लेकिन मैंने प्रयास किया और अब मैं मराठी में बातचीत कर सकता हूं।”
आमिर खान का मानना है कि किसी भी पेशे में भाषा का ज्ञान व्यक्ति को फायदा पहुंचाता है। उन्होंने कहा, “भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि संस्कृति से जुड़ने का जरिया भी होती है। यह आपके व्यक्तित्व में निखार लाती है।”
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर संवेदनशील बहस चल रही है। इस बीच आमिर खान का यह कदम एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने यह साबित किया कि किसी भी उम्र में भाषा सीखना संभव है, अगर उसमें रुचि और संकल्प हो।
प्रोफेशनल फ्रंट की बात करें तो आमिर खान की फिल्म सितारे ज़मीन पर हाल ही में यूट्यूब पर रिलीज हुई, जिसे दर्शकों से शानदार रिस्पॉन्स मिला है। यह फिल्म पहले भी दर्शकों के दिलों को छू चुकी है और अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इसकी लोकप्रियता बरकरार है।
इसके अलावा आमिर के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले दो बड़ी फिल्में आ रही हैं– लाहौर 1947 और एक दिन। लाहौर 1947 में सनी देओल और प्रीति जिंटा मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। वहीं, एक दिन में आमिर के बेटे जुनैद खान और साई पल्लवी लीड रोल निभा रहे हैं। इन दोनों प्रोजेक्ट्स को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह है।
आमिर खान का मराठी सीखने का फैसला सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी है। उन्होंने यह दिखाया कि किसी क्षेत्र की भाषा जानना वहां की जनता से जुड़ने का सबसे सशक्त माध्यम होता है। यह आत्मसम्मान और स्थानीय संस्कृति के प्रति सम्मान का परिचायक भी है।
आमिर खान का मराठी भाषा सीखना इस बात का प्रमाण है कि उम्र कभी भी किसी सीख की राह में बाधा नहीं होती। यह निर्णय सिर्फ एक भाषा सीखने का नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति को अपनाने और सम्मान देने का प्रतीक है।
उनका यह कदम अन्य लोगों को भी प्रेरित कर सकता है कि वे भी अपनी सीमाओं को पहचाने और सुधारने का प्रयास करें। भारत जैसे बहुभाषीय देश में यह संदेश खास मायने रखता है।
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