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गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या: पिता ने बेटी को तीन गोली मार कर उतारा मौत के घाट

हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके ही पिता ने गोली मारकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि यह घटना घरेलू विवाद और सामाजिक दबाव का परिणाम थी। यह मामला न केवल घरेलू हिंसा की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बेटियों को आज भी समाज में सम्मान की नहीं, बल्कि तिरस्कार की निगाह से देखा जाता है।

क्या है पूरा मामला?

घटना गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे गुरुग्राम के सेक्टर-57 स्थित सुशांत लोक-2 इलाके की है। जानकारी के अनुसार, राधिका यादव अपने पिता दीपक यादव के साथ घर में मौजूद थी। किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हुई, जिसके बाद पिता ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से बेटी की पीठ में तीन गोली मार दी।

गंभीर रूप से घायल राधिका को उसके चाचा कुलदीप और चचेरे भाई ने तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

कौन थी राधिका यादव?

25 वर्षीय राधिका यादव एक राज्य स्तर की टेनिस खिलाड़ी थीं, जिन्होंने कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर अपने जिले और राज्य का नाम रोशन किया था। कुछ महीने पहले कंधे में चोट लगने के चलते उन्होंने पेशेवर टेनिस खेलना बंद कर दिया था।

इसके बाद राधिका ने वजीराबाद गांव में टेनिस अकादमी की शुरुआत की थी, जहां वह बच्चों को प्रशिक्षण देती थीं। उनका उद्देश्य था – स्पोर्ट्स को ग्रामीण स्तर पर बढ़ावा देना और युवा प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करना।

पिता को बेटी की कमाई से थी नाराजगी

प्रारंभिक पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि राधिका के पिता दीपक यादव को यह बात पसंद नहीं थी कि गांव में लोग उन्हें बेटी की कमाई पर निर्भर मानते थे। गांव में यह चर्चा थी कि वे बेटी की कमाई खा रहे हैं, जिससे दीपक यादव मानसिक रूप से परेशान रहते थे।

इस मानसिक तनाव के कारण पिता और बेटी के बीच पिछले 15 दिनों से लगातार झगड़े हो रहे थे, खासतौर पर टेनिस अकादमी को लेकर। गुरुवार को विवाद इतना बढ़ गया कि दीपक ने अपना आपा खो बैठा और गोली चला दी।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी

घटना की सूचना मिलते ही सेक्टर-56 थाना पुलिस, डीसीपी ईस्ट, एफएसएल टीम, सीन ऑफ क्राइम और फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए और लाइसेंसी रिवॉल्वर जब्त कर ली।

 पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया:

“हमें निजी अस्पताल से गोली लगने की सूचना मिली थी। पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।”

पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया है और आगे की जांच जारी है। आरोपी ने अपना अपराध कबूल कर लिया है।

महिलाओं की सफलता से समाज में पनपता है ईर्ष्या और विरोध

राधिका यादव का मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या आज भी बेटियों की सफलता को समाज और परिवार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है? एक लड़की जिसने अपनी मेहनत से खेल जगत में नाम कमाया, वह अपने ही घर में ईर्ष्या और अपमान का शिकार बन गई।

यह घटना भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक मानसिकता को उजागर करती है, जहां बेटी की सफलता को पुरुष के अहंकार के लिए खतरा माना जाता है।

महिला सुरक्षा और घरेलू हिंसा पर फिर से सवाल

राधिका यादव की हत्या केवल एक परिवारिक विवाद नहीं, बल्कि यह एक समाज में व्याप्त गंभीर मानसिकता की ओर संकेत करता है। घरेलू हिंसा अब केवल एक निजी मामला नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक अपराध है।

इस घटना ने एक बार फिर महिला सुरक्षा, घरेलू हिंसा कानून, और लाइसेंसी हथियारों के दुरुपयोग पर बहस को जन्म दे दिया है।

सोशल मीडिया पर आक्रोश, #JusticeForRadhika ट्रेंड में

राधिका यादव की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर गुस्से और दुख की लहर दौड़ पड़ी है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग #JusticeForRadhika, #StopDomesticViolence, और #SupportWomenAthletes जैसे हैशटैग से न्याय की मांग कर रहे हैं।

खेल जगत से जुड़े कई खिलाड़ियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है और तेजी से न्याय दिलाने की मांग की है।

इस घटना से क्या सीख मिलती है?

राधिका यादव का यह दुखद अंत हमें कई गंभीर बातों पर सोचने के लिए मजबूर करता है:

  • बेटियों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को परिवार में भी स्वीकार करने की आवश्यकता है

  • घरेलू हिंसा को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं

  • लाइसेंसी हथियारों की निगरानी और प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए

  • महिलाओं को सुरक्षा और समर्थन देने के लिए विशेष तंत्र की आवश्यकता है

राधिका यादव की हत्या केवल एक दुखद घटना नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। एक स्वतंत्र, सफल और प्रेरणादायक महिला अपने ही घर में पितृसत्ता की आग का शिकार बन गई। अब समय है कि हम सभी मिलकर यह सोचें – कब तक बेटियों को खुद के ही घर में असुरक्षित रहना पड़ेगा?

KKNLive.com पर पढ़ते रहें महिला अधिकार, खेल जगत की घटनाएं, और भारत में घरेलू हिंसा से जुड़ी हर अपडेट।

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