इराक। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मजदूरी करने इराक गये 39 मजदूरो की चार साल पहले ही हत्या कर दी। वार साल बाद मंगलवार को भारत सरकार के द्वारा उन मजदूरो के मारे जाने की पुष्टि कर देने के बाद से यहां राजनीति गरमा गई है।
बतातें चले कि यह घटना वर्ष 2014 की है। अब मजदूर के परिजनों ने सरकार से सवाल पूछा है कि उन्हें वर्षों तक केन्द्र सरकार की तरफ से अंधेरे में यह रखा गया। सरकार बताती रही कि उनके लोग अभी जिंदा है।
इस बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में यह बयान दिया कि उत्तर-पश्चिम मोसूल के पास बदोश गांव से सभी मजदूरो के शव को बरामद किया गया है और डीएनए टेस्ट के जरिए उनकी पहचान कर ली गई है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इन भारतीयों की कब हत्या की गई है। स्वराज ने बताया कि अस्थियां बची हुई है और उसे खोद कर निकाल लिया गया है। स्पेशल विमान से उसे भारत लाकर उनके सभी संबंधित परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
बतातें चलें कि 40 भारतीयों मजदूरों के एक ग्रुप जिनमें से ज्यादातर लोग पंजाब के रहनेवाले थे, उन्हें साल 2014 में इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसूल में आईएसआईएस के लोगों ने बंधक बना लिया था। हालांकि, बंधक बने 40 भारतीयों में से गुरदासपुर के रहनेवाले हरजीत महीस बचकर भाग निकला और दावा किया कि बाकी अन्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। लेकिन, सरकार ने उसके दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया था।
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