Bihar

नीतीश की भाजपा से दूरी कब और क्यों

Published by

KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आ गया है। भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया है और नीतीश कुमार अब महागठबंधन के साथ मिल कर सरकार बनाने की तैयारी में है। दरअसल, 26 साल में ये दूसरी बार है जब नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो रहे हैं। समता पार्टी का गठन करने के बाद से नीतीश कुमार भाजपा के साथ आ गए थे। वर्ष 2000 में पहली बार भाजपा की मदद से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे।

सात दिन के मुख्यमंत्री

2000 में विधानसभा चुनाव हुए। तब नीतीश कुमार की पार्टी का नाम समता पार्टी था। वर्ष 2000 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में समता पार्टी ने भाजपा और कुछ अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। दूसरी ओर से राजद, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी मैदान में थी। एनडीए गठबंधन को चुनाव में 151 सीटें मिलीं। भाजपा ने 67 सीटें जीती थीं। नीतीश कुमार की पार्टी के 34 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। उनदिनो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। एनडीए गठबंधन ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चुन लिया। नीतीश ने सीएम पद की शपथ भी ले ली। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा 163 था। राजद की अगुआई वाली यूपीए के पास 159 विधायक थे। बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के कारण नीतीश को सात दिन के अंदर ही इस्तीफा देना पड़ा और यूपीए गठबंधन की सरकार बनी।

विलय के बाद बना एनडीए

वर्ष 2003 में समता पार्टी, लोक शक्ति, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जनता दल (शरद यादव ग्रुप) का जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नाम से विलय हो गया। जदयू और भाजपा ने मिलकर एनडीए गठबंधन में चुनाव लड़ा। फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी गठबंधन या दल को बहुमत नहीं मिला था। राम विलास पासवान की लोजपा को 29 सीटें मिलीं। पासवान जिसके साथ जाते उसकी सरकार बनती। लेकिन, पासवान दलित या मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर अड़ गए। दोनों ही गठबंधन उनकी शर्त मानने को तैयार नहीं हुए। क्योंकि, एक तरफ तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी नेता थीं, तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार गठबंधन के नेता थे। छह महीने राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा।

जदयू का बढ़ा जनाधार

बिहार में नए सिरे से चुनाव हुआ और एनडीए को बहुमत मिल गया। नवम्बर 2005 में नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहे। उस समय जदूय को 88 और भाजपा को 55 सीटें मिली थी। एनडीए गठबंधन ने 2010 में भी साथ में मिलकर चुनाव लड़ा। तब जदयू को 115, भाजपा को 91 सीटें मिली थी। लालू प्रसाद यादव की राजद 22 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। तब तीसरी बार नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता मिली।

भाजपा को पहली बार दिखाया ठेंगा

वर्ष 2013 में नीतीश कुमार ने भाजपा से 17 साल पुराने संबंध को तोड़ कर साथ साथ छोड़ दिया था। तब भाजपा ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। नीतीश कुमार भाजपा के इस फैसले से सहमत नहीं थे। लिहाजा, उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला ले लिया। भाजपा के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया। दूसरी ओर राजद ने नीतीश कुमार को समर्थन का एलान कर दिया। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर बने रहे।

मांझी को बनाया मुख्यमंत्री

वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार की पार्टी ने अकेले लड़ा। उसे महज दो सीटों पर जीत मिली। एनडीए केंद्र की सत्ता में आई। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने महादलित परिवार से आने वाले जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि, फरवरी 2015 में नीतीश कुमार ने फिर से बिहार की कमान अपने हाथ में ले ली और मुख्यमंत्री बने। इस बार उनकी सहयोगी राजद और कांग्रेस थी।

भाजपा को दी पटखनी

वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव से पहले जदयू, राजद, कांग्रेस समेत अन्य छोटे दल एक साथ आ गए। सभी ने मिलकर महागठबंधन बनाया। तब लालू प्रसाद की राजद को 80 और नीतीश कुमार की जदयू को 71 सीटें मिली। भाजपा के 53 विधायक चुने गए। राजद, कांग्रेस और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार फिर से पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए। लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने और दूसरे पुत्र तेजप्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए। किंतु, 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार असहज हो गये और इस्तीफा दे दिया। हालांकि, चंद घंटों बाद भाजपा के साथ मिलकर फिर से सरकार बना ली।

कम सीट को बताया साजिश

वर्ष 2020 में भाजपा और जदयू ने मिलकर एनडीए गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा। तब जदयू ने 115 और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 74 सीटें हासिल की। ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद जदयू सिर्फ 43 सीटें जीत पाई थी। नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गये। भाजपा से दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए। विधानसभा चुनाव में कम सीट मिलने को नीतीश कुमार भाजापा की साजिश मान कर चुप बैठे रहे। किंतु, आरसीपी प्रकरण के बाद भाजपा पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाते हुए उन्होंने एनडीए छोड़ने का ऐलान कर दिया है।

बहुमत का आसान अंकगणित

अभी बिहार विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 243 है। यहां बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी को 122 सीटों की जरूरत होती है। वर्तमान आंकड़ों को देखें तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है। उसके पास विधानसभा में 79 सदस्य हैं। वहीं, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, वाम दलों के 16, एआईएमआईएम का 01, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 04 विधायक और एक निर्दलीय विधायक हैं। अब एक बार फिर से जदयू एनडीए से अलग हो गई है और महागठबंधन के साथ मिल कर सरकार बनाने की कबायत अंतिम चरण में है।

यादगार राजनीतिक सफर

वर्ष 1985 में नीतीश कुमार ने पहली बार नालंदा की हरनौत सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। चार साल बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े। इसके बाद 1990 की बात है। तब नीतीश कुमार ने जनता दल में अपने वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनवाने में खूब मदद की। नीतीश कुमार हमेशा लालू प्रसाद को बड़े भाई कहकर बुलाते थे। वर्ष 1991 में मध्यावधि चुनाव में नीतीश बाढ़ इलाके से चुनाव जीता। वर्ष 1994 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से बगावत कर दी और जॉर्ज फर्नांडीज के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। उनका बेदाग राजनीतिक सफर यादगार बन चुका है।

This post was last modified on अक्टूबर 31, 2022 9:57 अपराह्न IST 21:57

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Share
Published by
Tags: BJP distance Nitish's RJD

Recent Posts

  • Muzaffarpur

बिहार में होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन

बिहार में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री… Read More

अगस्त 22, 2025 5:26 अपराह्न IST
  • Crime

मुंबई पुलिस ने 60 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया, 12 आरोपी गिरफ्तार

मुंबई पुलिस ने हाल ही में एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा किया है,… Read More

अगस्त 22, 2025 5:13 अपराह्न IST
  • Society

Neuroscientist के सुझाए 5 Tips: सपनों को हकीकत बनाने का विज्ञान

आजकल सोशल मीडिया पर Manifestation शब्द काफी ट्रेंड कर रहा है। इसका मतलब है Law… Read More

अगस्त 22, 2025 4:59 अपराह्न IST
  • Politics

राहुल गांधी की सुरक्षा बढ़ाने की मांग, अजय राय ने अमित शाह को लिखा पत्र

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने केंद्रीय गृह मंत्री… Read More

अगस्त 22, 2025 4:23 अपराह्न IST
  • New Delhi

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेनका गांधी की प्रतिक्रिया: ‘फीडिंग ज़ोन से मिलेगी राहत

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के… Read More

अगस्त 22, 2025 4:04 अपराह्न IST
  • Politics

विजय ने मदुरई ईस्ट से चुनाव लड़ने का किया ऐलान, DMK-BJP पर बोला हमला

तमिल सुपरस्टार और तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) के अध्यक्ष विजय ने 2026 तमिलनाडु विधानसभा चुनावों… Read More

अगस्त 22, 2025 3:50 अपराह्न IST